Sunday, December 22

सुशील पंडित, डेमोक्रेटिक फ्रंट, यमुनानगर, 13  फरवरी

राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर उत्थान संस्थान की कोशिश ईकाई के बच्चो ने  सुंदर सुंदर चित्रकारी कर अपने भाव व्यक्त किए।संस्थान की डायरेक्टर डॉक्टर अंजू बाजपई ने सभी बच्चो को राष्ट्रीय महिला दिवस व बसंत पंचमी की शुभकानाएं देते हुए बताया कि भारत की कोकिला सरोजिनी नायडू ने महिलाओं के विकास में महत्‍वपूर्ण योगदान निभाया है ।जिसमे उन्‍होंने भारतीय समाज में फैली कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई। उनका मानना था कि यदि पुरुष देश की शान है तो महिला उस देश की नीव है।उनके कार्यों और महिलाओं के अधिकारों के लिए उनकी भूमिका को देखते हुए 13 फरवरी 2014 को भारत में राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरुआत की गई।राष्ट्रीय महिला दिवस का  उत्सव महिलाओं की ओर से निरंतर गतिविधि और वकालत की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाने का कार्य करता है। राष्ट्रीय महिला दिवस मनाकर, हम उन समस्याओं की ओर ध्यान दिला सकते हैं जिनका महिलाएं सामना करती हैं।

  यह दिन उनकी प्रेरणा, उनके साहस और उनके सच्चे समर्पण को सलाम करने का होता है। महिलाएं हमारे समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। हालांकि, हमारे समाज में अभी भी कई क्षेत्र हैं जहां महिलाओं को समानता व अधिकारों की आवश्यकता है।उन्हें समानता के साथ-साथ शिक्षा, व्यवसाय, नौकरी व अन्य सभी स्थानों पर समान दर्जा देना होगा।  सच पूछो तो महिला शक्ति ही वह सामाजिक शक्ति है, जिनका विकास बहुत जरूरी है। महिलाओं के उत्थान के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही नीतियों में पूर्ण सहयोग देकर उसको परिणाम तक पहुंचाना हम सब का कर्तव्य बनता है।समाज में केवल पाश्चात्य व आधुनिकता को अपनाना ही महिला समानता का स्वरूप नहीं है, बल्कि महिला समानता में महिलाओं के व्यक्तित्व का विकास, शिक्षा प्राप्ति, व्यवसाय, परिवार में निर्णय को समान अवसर मिले, वह आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो, शारीरिक व भावनात्मक रूप से अपने को सुरक्षित महसूस करें तथा सभी रूढिवादी व अप्रासंगिक रिवाजों, बंधनों से पूरी तरह स्वतंत्र हो। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि जो समाज महिला शक्ति का सम्मान करना नहीं जानता, वह न तो अतीत में उन्नति कर सकता और न आगे कभी कर पाएगा।  हमारे देश के संविधान में महिला और पुरूष के आधार पर नागरिकों में भेद नहीं किया गया है, बल्कि समान अवसर प्रदान किए गए है।आगे कोशिश ईकाई के प्रधानाचार्य रविंद्र मिश्रा जी ने सभी को बसंत पंचमी की बधाई देते हुए कहा की बसंत पंचमी को सर्दियों के मौसम का अंत और बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक माना जाता है।

हिंदू धर्म में बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा कर बच्चों का उपनयन संस्कार किया जाता है। खास तौर पर बसंत पंचमी का त्योहार ज्ञान की देवी मां सरस्वती को समर्पित है। यू तो हर दिन नई उमंग के साथ सूर्योदय होता है और नई चेतना प्रदान कर अगले दिन फिर आने का आश्वासन देकर चला जाता है। यों तो माघ  का माह उत्साह देने वाला है पर वसंत पंचमी का पर्व भारतीय जन जीवन को अनेक तरह से प्रभावित करता है। प्राचीन काल से इसे ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है।संस्थान से स्वाति,सुमित सोनी और हनी तोमर ने अपना सहयोग दिया।