पंचांग, 12 फरवरी 2024
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 12 फरवरी 2024
नोटः आज गौरी तृतीया(गोंतरी) व्रत है। आज श्री गणेश तिल चतुर्थी, वरद कुन्द चतुर्थी।
गौरी तृतीया(गोंतरी) व्रत : शक्तिरूपा पार्वती की कृपा प्राप्त करने हेतु सौभाग्य वृद्धिदायक गौरी तृतीया व्रत करने का विचार शास्त्रों में बताया गया है। इस वर्ष यह व्रत 12 फरवरी, 2024 को किया जाना है। माघ मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन इस व्रत को किया जाता है। शुक्ल तृतीया को किया जाने वाला यह व्रत शिव एवं देवी पार्वती की असीम कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। विभिन्न कष्टों से मुक्ति एवं जीवन में सफलता का मार्ग प्रशस्त करने के लिए इस व्रत की महिमा का बखान पूर्ण रुप से प्राप्त होता है। इस व्रत का उद्धापन कर देना चाहिए। देवी गौरी सभी की मनोकामना पूर्ण करें।
वरद कुंद चतुर्थी की पूजा भगवान गणेश जी को समर्पित है। माघ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को ही वरद कुंद चतुर्थी कहा जाता है। इस दिन को भगवान् गणेश जी के जन्म दिवस के रूप में भी जाना जाता है। इस वर्ष यानि कि 2024 में 13 फरवरी को वरद कुंद चतुर्थी है। इस दिन को तिल चतुर्थी, गणेश चतुर्थी और तिल कुंद चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान गणेश जी का व्रत भी रखा जाता है।
श्री गणेश तिल चतुर्थी तिल चौथ: गणेश जी के लिए व्रत-उपवास के साथ ही तिल-गुड़ का दान करें और शिवलिंग पर करें चंदन का लेप। इसे तिल चौथ (चतुर्थी) कहा जाता है। इस दिन गणेश जी के लिए व्रत-उपवास के साथ ही तिल-गुड़ का दान करने की परंपरा है।
विक्रमी संवत्ः 2080,
शक संवत्ः 1945,
मासः माघ,
पक्षः शुक्ल,
तिथिः तृतीया सांय काल 05.45 तक है,
वारः सोमवार।
नोटः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर सोमवार को दर्पण देखकर, दही, शंख, मोती, चावल, दूध का दान देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः पूर्वाभाद्रपद दोपहर काल 02.57 तक है,
योगः सिद्धि रात्रि काल 02.37 तक,
करणः तैतिल,
सूर्य राशिः मकर, चन्द्र राशिः कुम्भ,
राहु कालः प्रातः 7.30 से प्रातः 9.00 बजे तक,
सूर्योदयः 07.06, सूर्यास्तः 06.05 बजे।