देहात और देहाती का दर्द समझते थे चौधरी रणबीर सिंह : चांदवीर हुड्डा
- प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में स्वतंत्रता सेनानी चौधरी रणबीर सिंह की पुण्यतिथि पर चांदवीर हुड्डा ने दी श्रद्धांजलि
- चौधरी रणबीर सिंह ने हर मंच पर से गरीब, किसान, मजदूर की आवाज उठाई- चांदवीर हुड्डा
डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 01 फरवरी
हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में महान स्वतंत्रता सेनानी और संविधान निर्माता चौधरी रणबीर सिंह की पुण्यतिथि पर प्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रभारी चांदवीर हुड्डा ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान उन्होंने कहा की चौधरी रणबीर सिंह ने हर मंच से आम गरीब, किसान, मजदूर की आवाज उठाई। चौ. रणबीर सिंह ने पहले आजादी की लड़ाई में फिर किसानों, आम लोगों के अधिकारों के लिये आजीवन संघर्ष किया।
चांदवीर हुड्डा ने कहा कि संविधान सभा में चौ. रणबीर सिंह जी ने 23 नवंबर, 1948 को सबसे पहले MSP का प्रस्ताव रखा था, जिसके बाद धीरे-धीरे MSP प्रणाली लागू हुई और उसमें कई फसलें जोड़ी गयी। देश के किसान जिस MSP की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं उस MSP की सबसे पहले वकालत संविधान सभा में चौ. रणबीर सिंह जी ने की। इसके अलावा, उन्होंने संविधान सभा में हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा, गौरक्षा, पिछड़े वर्ग को आरक्षण जैसे महत्त्वपूर्ण प्रस्ताव रखे। चौ. रणबीर सिंह हुड्डा भारतीय कृषक समाज के संस्थापक महामंत्री भी थे। उन्होंने कहा था कि एक दिन किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य देना ही पड़ेगा।
उन्होंने बताया कि अंग्रेज हुकूमत के अत्याचारों के आगे न झुकने वाले चौ. रणबीर सिंह ने 8 विभिन्न जेलों में अपनी उम्र के महत्त्वपूर्ण वर्ष कैद में काटे। जिसमें से 4 आज भारत में और 4 पाकिस्तान में हैं। चौ. रणबीर सिंह दुनिया के अकेले व्यक्ति हैं जो 7 भिन्न-भिन्न सदनों के सदस्य रहे। वे कांस्टिट्यूएंट असेम्बली, कांस्टिट्यूएंट लेजिसलेटिव असेम्बली, प्रोविजनल पार्लियामेंट, लोकसभा, राज्यसभा, पंजाब विधानसभा तथा हरियाणा विधानसभा के सदस्य रहे। उनका यह अद्भुत रिकार्ड लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में सम्मान के साथ दर्ज है।
चांदवीर हुड्डा ने कहा कि चौ. रणबीर सिंह जी ने आजीवन केवल संघर्ष ही नहीं किया, बल्कि भारत के निर्माण में अपना हाथ भी बंटाया। हरियाणा और पंजाब की सरकारों में मंत्री पद पर रहते हुए देश के विकास में अपना अमूल्य योगदान दिया। भाखड़ा नांगल बांध परियोजना के रूप में चौ. रणबीर सिंह ने भारत के पहले विस्मयकारी बांध के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी, ताकि हमारे किसानों को बारहमासी जल की सप्लाई उपलब्ध हो सके। चौ. रणबीर सिंह जी का मानना था कि देश और देश का संविधान बिना गांव, गरीब और किसान के अधूरा है। यही कारण है कि इस बड़ी परियोजना के तत्काल अनुमोदन एवं त्वरित क्रियान्वयन के परिणामस्वरूप भाखड़ा नहर प्रणाली का कार्य शीघ्र पूरा हुआ और इसका उद्घाटन 7 जुलाई, 1954 को देश के प्रथम प्रधानमंत्री पण्डित जवाहर लाल नेहरू द्वारा किया गया। इस बाँध के बनने से विभिन्न राज्यों को मुख्य रूप से सिंचाई, विद्युत उत्पादन और बाढ नियंत्रण की सुविधांए प्राप्त हुई।
श्रधांजली देने वालो में रविन्दर रावल , राकेश आर्या,के सी भाटिया,रामेश्वर सैनी,नीरज,तलविंदर सिंह, अंकुर गुलाटी,मोहिंदर सांगवान आदि शामिल थे ।