ज्ञानवापी में हिंदू पक्ष को मिला तहखाने में पूजा का अधिकार

जिला प्रशासन को 7 दिन के अंदर यहां पूजा पाठ की व्यवस्था करने का आदेश दिया है। दिसंबर 1993 में राज्य की मुलायम सिंह यादव सरकार के मौखिक आदेश पर तहखाने में पूजा पाठ पर रोक लगाते हुए तहखाने को सील कर दिया गया. बाद में इसकी बेरिकेटिंग भी कर दी गई। व्यास जी यानी सोमनाथ व्यास ने अपने 2 साथियों रामरंग शर्मा और हरिहर पांडेय के साथ मिलकर ज्ञानवापी परिसर में रकबा संख्या 9130, 1931 और 1932 के अधिकारी संबंधी याचिका डाली। ज्ञानवापी परिसर में दो तहखाने हैं। इसी के ऊपर ज्ञानवापी मस्जिद बनी है।

माता श्रृंगार गौरी मंदिर और मुलायम सिंह यादव (फोटो साभार
  • सितंबर 1991 में केंद्र सरकार ने पूजा स्थल कानून बना दिया। ये कानून कहता है कि 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता। अगर कोई ऐसा करने की कोशिश करता है तो उसे एक से तीन साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है। 
  • अयोध्या का मामला उस वक्त कोर्ट में था इसलिए उसे इस कानून से अलग रखा गया था। लेकिन ज्ञानवापी मामले में इसी कानून का हवाला देकर मस्जिद कमेटी ने याचिका को हाईकोर्ट में चुनौती दी। 1993 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्टे लगाकर यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया था।
  • 24 जनवरी 2024 को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाया। जिला जज ने वादी पक्ष को सर्वें रिपोर्ट दिए जाने का आदेश दिया।
  • 25 जनवरी 2024 को रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी गई। रिपोर्ट के मुताबिक, ज्ञानवापी में मंदिर का स्ट्रक्चर मिला है। इस पर हिंदू पक्ष ने खुशी जताई। 
  • 31 जनवरी 2024 को वाराणसी जिला अदालत ने हिंदू पक्ष को व्यास तहखाने में पूजा करने की इजाजत दे दी।

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ – 31 जनवरी :

वाराणसी कोर्ट के जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने हिन्‍दू पक्ष को ज्ञानवापी के व्यास जी के तहखाने में नियमित पूजा पाठ की इजाजत दे दी है। इसके साथ ज्ञानवापी के तहखाने में 30 साल बाद हिंदुओं को पूजा का अधिकार मिल गया है। जिला जज के फैसले के बाद हिन्दू पक्ष में खुशी का माहौल है। कचहरी परिसर में हिन्दू पक्ष के वादियों ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशी का इजहार किया, तो वहीं कोर्ट के इस फैसले के बाद लोगों ने भी इसे हिंदुओं की बड़ी जीत बताते हुए कहा कि अभी तो पूजा का अधिकार मिला है, पूरा ज्ञानवापी भी हमें चाहिए।

अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि यह फैसला हिन्दू समाज की बड़ी जीत है। ये हमारी विजय का पहला चरण है। बता दें कि व्यास परिवार को निर्वाणी अखाड़े ने ही वहां पूजा पाठ के लिए ताम्र पत्र दिया था।

जिला प्रशासन को आदेश दिया गया है कि बैरिकेडिंग लगाया जाए और और एक सप्ताह के भीतर पूजा-पाठ की व्यवस्था की जाए। ये तहखाना ढाँचे के नीचे है। मुस्लिम पक्ष इसे मस्जिद बताता है। अब यहाँ नियमित पूजा-अर्चना के लिए मार्ग प्रशस्त हो गया है। हिन्दू पक्ष ने इसे बड़ी जीत करार दिया है। बता दें कि नवंबर 1993 तक पूजा होती थी। मुलायम सिंह यादव की सरकार ने पूजा-पाठ पर रोक लगा दी थी। शैलेन्द्र कुमार पाठक ने इस संबंध में याचिका दाखिल की थी, जिस पर अब फैसला आया है।

वहीं मुस्लिम पक्ष इस मामले में ‘वर्शिप एक्ट’ का हवाला देते हुए कह रहा था कि पूजा-पाठ की अनुमति यहाँ नहीं दी जा सकती है। लेकिन, कोर्ट ने हिन्दू पक्ष की याचिका स्वीकार कर ली। 17 जनवरी को ही ‘व्यास तहखाने’ को जिला प्रशासन ने अपने नियंत्रण में ले लिया था। ASI ने यहाँ सर्वे किया था, साथ ही साफ़-सफाई भी की गई थी। इसे ‘व्यास तहखाना’ कहा जाता है, क्योंकि सोमनाथ व्यास नामक पुजारी और उनका परिवार यहाँ 1993 तक पूजा-अर्चना करता आ रहा था।

हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि जिला प्रशासन व्यवस्था करेगा, वहाँ पूजा-पाठ शुरू हो जाएगी। इस फैसले के बाद ‘हर-हर महादेव’ के नारे भी लगे। उन्होंने इस घटना की तुलना 1986 के उस आदेश से की, जब केएम पांडेय ने यहाँ का ताला खुलवाया था। उन्होंने कहा कि वजूखाने का सर्वे अगला लक्ष्य है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद लोगों में उम्मीद जगी है कि काशी विश्वनाथ में भी उन्हें जीत मिलेगी।