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पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, पंचांग, 25 जनवरी 2024 जनवरी 2024

नोटः आज पौष पूर्णिमा व्रत है। एवं श्री सत्यनारायण व्रत है। आज से ही माघ स्नान प्रारम्भ हो रहा है। आज ही भगवती शाकाम्भरी जयंती है।

माघ मास का प्रारंभ तो प्रतिपदा के दिन से होगा जो 26 जनवरी को है लेकिन जो लोग माघ मास में स्नान का संकल्प लेते हैं उन्हें एक दिन पहले यानी पौष मास की पूर्णिमा के दिन ही स्नान करते हुए संकल्प लेना चाहिए। इस महीने के दौरान हरिद्वार, नासिक, उज्जैन और इलाहाबाद में कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। ऐसे में जो कोई भी मनुष्य इस बेहद पुण्यदायी माह में इन पवित्र नदियों में जाकर स्नान करता है उसे अपने पापों से छुटकारा मिलता है और जीवन में पुण्य की प्राप्ति होती है। स्नान और दान से ही नहीं बल्कि इस पवित्र माह के दौरान जो कोई भी व्यक्ति पवित्र नदियों के तट पर जाकर कल्पवास करते हैं उन्हें भी शुभ फल की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता है कि जो भक्त माघ माह में गंगा स्नान करता हैं, उससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और आर्शीवाद देते हैं।

सनातन धर्म में सत्यनारायण व्रत का बड़ा ही धार्मिक महत्व है। इस दिन पर जातक उपवास रखते हैं और श्री हरि विष्णु की पूजा विधि अनुसार करते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह उन दिनों में से एक है जब चंद्रमा पृथ्वी के करीब आता है और दिव्य चंद्रमा की किरणें पृथ्वी पर पड़ती हैं।

 25 जनवरी, शुक्रवार को पौष मास की पूर्णिमा है। मार्कंडेय पुराण के अनुसार, इस दिन माता शाकंभरी की जयंती मनाई जाती है। माता शाकंभरी को देवी दुर्गा की ही रूप माना जाता है। शाकम्भरी देवी जी भगवान विष्णु के ही आग्रह करने पर शिवालिक की दिव्य पहाडियों पर स्वयंभू स्वरूप मे प्रकट हुई थी। माता शाकम्भरी के स्वरूप का विस्तृत वर्णन दुर्गा सप्तशती के मुर्ति रहस्य अध्याय मे मिलता है। कहा जाता है कि महाशक्ति ने आयोनिजा स्वरूप मे प्रकट हो शताक्षी अवतार धारण किया। देवी शताक्षी रचना का प्रतीक है।

संवत्ः 2080, 

शक संवत्ः 1945, 

मासः पौष, 

पक्षः शुक्ल, 

तिथिः पूर्णिमा रात्रि काल 11.24 तक है, 

वारः गुरूवार। 

नोटः आज दक्षिण दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर गुरूवार को दही पूरी खाकर और माथे में पीला चंदन केसर के साथ लगाये और इन्हीं वस्तुओं का दान योग्य ब्रह्मण को देकर यात्रा करें।

नक्षत्रः पुनर्वसु कि (की वृद्धि है जो कि गुरूवार को प्रातः काल 08.17 तक है), 

योगः विषकुम्भक प्रातः काल 07.32 तक, 

करणः विष्टि, 

सूर्य राशिः मकर, चन्द्र राशिः कर्क, 

राहु कालः दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक, 

सूर्योदयः 07.17, सूर्यास्तः 05.50 बजे।

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