जान जोखिम में डाल सफर करने पर मजबूर छात्र

कोशिक खान, डेमोक्रेटिक फ्रंट, छछरौली, 19  जनवरी

छछरौली से गांवों के रूटों पर बसों की संख्या की कमी के चलते छात्र जान जोखिम में डालकर सफर करने पर मजबूर हैं। छछरौली बस स्टैंड पर पहले भी छात्रा की बस से गिरकर मौत हो चुकी है।

छछरौली से गांवों के रूटों पर जाने वाली बसों की संख्या की कमी के चलते छात्र कड़ाके की ठंड में बस की खिड़कियों पर लटक कर सफर करने पर मजबूर हैं।छात्रों का कहना है कि की कई घंटे बस स्टैंड पर खड़े होने के बाद भी बस नहीं आती। जिसके कारण मजबूरी वस बस की खिड़कियों पर लटक कर सफर करना पड़ता है। छात्र राहुल, मोहित, अंकुश, रमन ने बताया कि छछरौली के शिक्षण संस्थानों में आसपास के लगभग तीन दर्जन गांव से सैकड़ो की संख्या में छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण करने के लिए छछरौली आते हैं। उन्होंने बताया कि सुबह के समय तो जैसे कैसे सभी छात्र-छात्राएं स्कूल कॉलेज पहुंची जाते हैं पर सबसे बड़ी समस्या छुट्टी के समय होती है। छुट्टी के समय गांव के रूटों पर बसों की संख्या ना के बराबर हैं। जो एक दो बस गांव की तरफ जाती है वह पहले से ही भरी हुई आती है। फिर मजबूरी वस छात्र-छात्राओं को बस की खिड़कियों पर लटक कर जान जोखिम में डाल सफर करना पड़ रहा है। छात्र विवेक ने बताया कि तीन साल पहले छछरौली के कोट गांव निवासी छात्रा बस की खिड़की पर लटक रही थी। जिसका पांव फिसलने से वह बस के टायर के नीचे आ गई थी और उसकी मौत हो गई थी। उन्होंने बताया कि छात्र-छात्राएं मजबूरी में ठंड के मौसम में बस की खिड़कियों पर लटक कर सफर कर रहे हैं। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि दोपहर के समय रूटों पर बसों की संख्या बढ़ाई जाए। ताकि छात्र-छात्राओं व अन्य सवारियों की जान खतरे में ना पड़े।