Tuesday, December 24

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कई टीवी डिबेट में पार्टी की बात पुरजोर तरीके से उठाने वाले आचार्य प्रमोद कृष्णम ने पार्टी के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा, “श्री राम मंदिर के “निमंत्रण” को ठुकराना बेहद दुर्भाग्य पूर्ण और आत्मघाती फ़ैसला है,आज दिल टूट गया।” प्रमोद कृष्णम ने अपने रिएक्शन में पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल को भी टैग किया है। पार्टी ने इसे बीजेपी-RSS का कार्यक्रम बताकर इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया है। 

  1. कांग्रेस को ऐसे राजनीतिक निर्णय लेने से दूर रहना चाहिए था: अर्जुन मोढवाडिया
  2. राम मंदिर के निमंत्रण को ठुकराना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण: आचार्य प्रमोद
  3. 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला का प्राण प्रतिष्ठा समारोह आयोजित किया जाएगा

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ – 11 जनवरी :

अयोध्या में 500 साल के बाद भव्य राम मंदिर बन कर तैयार हो रहा है। जिसका उद्घाटन 22 जनवरी को होगा. रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने से कांग्रेस इनकार कर दिया है, जिसके बाद अब यह बात साफ हो गई है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी समेत कांग्रेस नेता शिरकत नहीं करेंगे। कांग्रेस ने बकायदा एक रिपोर्ट जारी करके कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन समारोह को बीजेपी-आरएसएस ने पॉलिटिक्ल इवेंट बना दिया है। चुनाव के सियासी लाभ के लिए आधे-अधूरे मंदिर का उद्घाटन किया जा रहा है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल नहीं होने से कांग्रेस को फायदा होगा या फिर सियासी नुकसान?

कांग्रेस पार्टी ने भी राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने से इनकार कर दिया है। पार्टी की ओर से जारी बयान में आधे-अधूरे मंदिर के उद्घाटन पर सवाल उठाए गए और इसे बीजेपी व आरएसएस का कार्यक्रम बताया। कांग्रेस ने कहा भगवान राम को देश में पूजा जाता है, धर्म निजी मसला है, लेकिन बीजेपी ने  मंदिर को राजनीतिक प्रोजेक्ट बना दिया है।  अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन की तैयारियों के बीच प्राण प्रतिष्ठा के न्योते को लेकर सियासत गरमाई हुई हैं। पार्टी ने इसे बीजेपी-RSS का कार्यक्रम बताकर इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया है। 

राम मंदिर कार्यक्रम में शामिल ना होने पर कांग्रेस में फूट देखी जा रही है। कांग्रेस नेता मोढवाडिया, अंबरीश डेर और प्रमोद कृष्णम ने 22 जनवरी को अयोध्या नहीं जाने पर शीर्ष नेतृत्व के फैसले पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा, श्री राम मंदिर का निमंत्रण ठुकराना आत्मघाती निर्णय है। गुजरात कांग्रेस नेता अर्जुन मोढवाडिया ने कहा, पार्टी को ‘राजनीतिक निर्णय’ लेने से बचना चाहिए था।

अब कॉन्ग्रेस के ही वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी के इस कदम का विरोध करना शुरू कर दिया है। संभल स्थित कल्किधाम पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने इस फैसले का विरोध किया है।

उन्होंने कहा कि श्री राम मंदिर के निमंत्रण को ठुकराना बेहद दुर्भाग्य पूर्ण और आत्मघाती फ़ैसला है। उन्होंने कहा कि आज उनका दिल टूट गया। वहीं गुजरात विधानसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष, राज्य में कॉन्ग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, पार्टी के मीडिया पैनलिस्ट एवं पोरबंदर से विधायक अर्जुन मोधवाडिया ने भी इस फैसले का विरोध किया है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि भगवान श्री राम आराध्य देव हैं, यह देशवासियों की आस्था और विश्वास का विषय है।

अर्जुन मोधवाडिया ने कहा कि कॉन्ग्रेस पार्टी को ऐसे राजनीतिक निर्णय लेने से दूर रहना चाहिए था। जहाँ भारत ही नहीं बल्कि 160 देशों में राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर तैयारी चल रही है, ऐसे समय में भारत में यहाँ की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी द्वारा इस तरह का व्यवहार किए जाने से लोग हतप्रभ हैं। अमेरिका में कार रैलियाँ निकल रही है, पेरिस में ‘राम रथ यात्रा’ निकल रही है और इस्लामी मुल्कों में भी आयोजन के लाइव प्रसारण की तैयारी है।

कई कांग्रेस नेताओं ने टिप्पणी करते हुए कांग्रेस आलाकमान के फैसले पर आपत्ति जताई है। गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष अंबरीश डेरे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम हमारे आराध्य देव हैं इसलिए यह स्वाभाविक है कि भारत भर में अनगिनत लोगों की आस्था इस नवनिर्मित मंदिर से वर्षों से जुड़ी हुई है।

अंबरीश डेरे ने लिखा,”कांग्रेस के कुछ लोगों को उस खास तरह के बयान से दूरी बनाए रखनी चाहिए और जनभावना का दिल से सम्मान करना चाहिए। इस तरह के बयान से मेरे जैसे कांग्रेस के कई कार्यकर्ताओं के लिए निराशा है। जय सियाराम।”

बुधवार को कांग्रेस महासचिव ने एक पत्र जाहिर करते हुए कहा कि भगवान राम की पूजा-अर्चना करोड़ों भारतीय करते हैं। धर्म मनुष्य का व्यक्तिगत विषय है, लेकिन वर्षों से अयोध्या में राम मंदिर को एक राजनीतिक परियोजन बना दिया है। जयराम रमेश ने आगे कहा कि एक  ‘अर्द्धनिर्मित मंदिर’ का उद्घाटन केवल चुनावी लाभ उठाने के लिए किया जा रहा है।