स्पीकर ने शिंदे गुट को असली शिवसेना माना
शिवसेना के 16 विधायकों की अयोग्यता के मामले पर महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर ने फैसला सुनाते हुए शिंदे गुट को ही असली शिवसेना करार दिया। शिंदे गुट के 16 विधायकों की विधानसभा सदस्यता बरकरार रहेगी। स्पीकर ने उन्हें योग्य ठहरा दिया है। स्पीकर के इस फैसले पर एकनाथ शिंदे सरकार का भविष्य टिका था। जानकारी के मुताबिक स्पीकर राहुल नार्वेकर ने 1200 पन्नों का एक जजमेंट तैयार किया था। आज का फैसला शिंदे गुट के पक्ष में आया है इससे उद्धव ठाकरे की पार्टी को बड़ा झटका लगा है।
सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ – 10 जनवरी :
महाराष्ट्र में शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट के 16 विधायकों की सदस्यता रद्द नहीं होगी। महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने 10 जनवरी को ये फ़ैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने मई 2023 में कहा था कि शिवसेना एकनाथ शिंदे गुट के 16 विधायकों की सदस्यता पर फ़ैसला विधानसभा अध्यक्ष लें। इन 16 विधायकों में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी शामिल थे। अब फ़ैसला सुनाते हुए नार्वेकर ने कहा, “विधायकों की अयोग्यता का फ़ैसला इस बात पर निर्भर करता है कि असली शिवसेना कौन सी है। दोनों गुट असली शिवसेना का दावा कर रहे हैं, लेकिन चुनाव आयोग ने इस संबंध में एकनाथ शिंदे गुट के पक्ष में फ़ैसला दिया है। रही बात पार्टी के संविधान की तो 2018 का पार्टी संविधान चुनाव आयोग के रेकॉर्ड में नहीं है। इसलिए हम 1999 वाला पार्टी संविधान ही मानकर आगे बढ़ रहे हैं। पार्टी संविधान कहता है कि शिवसेना में राष्ट्रीय कार्यकारिणी का फ़ैसला ही आख़िरी होता है। अकेला अध्यक्ष ही पार्टी नहीं होता, अध्यक्ष का फ़ैसला ही पार्टी का फ़ैसला नहीं होता।”
बुधवार शाम को विधानसभा में 1200 पेजों के फैसले के मुख्य बिंदुओं को पढ़ते हुए उन्होंने कहा- मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पास शिवसेना के 55 में से 37 विधायक हैं। उनके नेतृत्व वाला गुट ही असली शिवसेना है। चुनाव आयोग ने भी यही फैसला दिया था।
स्पीकर राहुल नार्वेकर ने 21 जून, 2022 के हिसाब से शिंदे गुट को असली शिवसेना माना है और उद्धव गुट की सभी दलीलों को खारिज कर दिया है। राहुल नार्वेकर ने कहा कि शिंदे गुट की तरफ से पार्टी व्हिप की नियुक्ति सही थी। इस फैसले के साथ ही एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों की कुर्सी तो बची ही है, शिंदे का मुख्यमंत्री पद भी बरकरार रहेगा।
शिवसेना पार्टी के संविधान को लेकर राहुल नार्वेकर ने फैसला देते समय सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग के फैसले को सामने रखा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में दोनों पक्षों ने पार्टी के अलग-अलग संविधान को रखा था। वहीं, चुनाव आयोग ने 2018 के संविधान को मानने से मना कर दिया था, इसी आधार पर राहुव नार्वेकर ने भी फैसला सुनाया। उन्होंने शिवसेना के 1999 के संविधान को ही आधार बनाकर फैसला दिया और शिंदे गुट को असली शिवसेना माना है। राहुल नार्वेकर ने कहा कि 21 जून, 2022 को ही पार्टी का विभाजन माना जा सकता है। राहुल नार्वेकर ने एकतरफा तरीके से एकनाथ शिंद को पार्टी से निकालने को भी गलत माना, जो कि उस समय के पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे की तरफ से किया गया था।
महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर को ये फैसला लेना था। सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर को हर हाल में 31 दिसंबर, 2023 तक फैसला लेने के लिए कहा था, लेकिन 15 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 10 दिनों की आखिरी मोहलत दी थी। इसी के बाद 10 जनवरी को ये फैसला आया है। इस मामले में स्पीकर ने शिवसेना के दोनों गुटों के विधायकों की सुनवाई पूरी कर ली थी। उन्होंने पहले कहा था कि दोपहर में ही फैसला आ जाएगा। फिर ये समय शाम को 4 बजे का तय हुआ और आखिरकार देर शाम इस मुद्दे पर फैसला आया।
करीब 18 माह पहले एकनाथ शिंदे की अगुवाई में शिवसेना के विधायकों ने बगावत कर दी थी। शिंदे गुट के विधायकों ने बीजेपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बना ली थी और उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इस मामले में राहुल नार्वेकर के पास शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट के 16 विधायकों की सदस्यता पर फैसला सबसे पहले करना था। इस मामले में दोनों तरफ से 34 याचिकाएँ दायर की गई थी, जिन्हें 6 हिस्सों में बाँट दिया गया था। इसमें से 4 हिस्से शिवसेना के उद्धव ठाकरे के ग्रुप की तरफ से दाखिल गए हैं, तो 2 हिस्से शिंदे गुटे की तरफ से थे।
बता दें कि चुनाव आयोग ने शिवसेना का नाम और सिंबल शिंदे गुट को दे दिया था। चुनाव आयोग ने शिवसेवा ने साल 1999 के संविधान को ध्यान में रखते हुए फैसला किया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अब भी कई याचिकाएँ चल रही हैं।
शिवसेना का एकनाथ शिंदे गुट: एकनाथ शिंदे, संजय शिरसत, अब्दुल सत्तार, लता सोनावाने, भरत गोगावले, संदीपन भुमरे, तानाजी सावंत, यामिनी जाधव, प्रकाश सूर्वे, अनिल बाबर, बालाजी किन्नीकर, संजय रायमुल्कर, बालाजी कल्याणकर और महेश शिंदे, चिमनराव पाटिल, रमेश बोरनारे। इनके अलावा भी कई विधायकों की सदस्यता पर तलवार लटकी थी।
शिवसेना का उद्धव ठाकरे गुटः सुनील प्रभु, रविंद्र वाईकर, सुनील राउत, वैभव नाइक, अजय चौधरी, संजय पटनीस, प्रकाश फाटेरपेकर, रमेश कोरगांवकर, राजन विचारे, नितिन देशमुख, कैलाश पाटिल और राहुल पाटिल। इस गुट के दो विधायकों- आदित्य ठाकरे और रुतुजा लाटके के खिलाफ अयोग्यता का प्रस्ताव नहीं रखा गया था।