बाहरी श्रृंगार देख मनुष्य न हो किसी के प्रति आकर्षित,भीतरी सत्य को पहचानेः महामंडलेश्वर स्वामी श्री कमलानंद गिरि जी महाराज
रघुनंदन पराशर, डेमोक्रेटिक फ्रंट, जैतो – 29 दिसम्बर :
श्री कल्याण कमल आश्रम हरिद्वार के अनंत श्री विभूषित 1008 महामंडलेश्वर स्वामी श्री कमलानंद गिरि जी महाराज ने शिव महिमा सुनाते हुए कहा कि आज का इंसान बाहरी श्रृंगार को देखता है। जबकि अंदर के सत्य को पहचान नहीं पाता। इसीलिए हमेशा व्यथित और परेशान रहता है। चरण की अपेक्षा आचरण का श्रेष्ठ होना अनिवार्य है। व्यक्ति को किसी के सुंदर चित्र में आकर्षित नहीं होना चाहिए, बल्कि उसके कल्याणकारी चरित्र से ही मार्गदर्शन प्राप्त होगा। ये बात भली-भांति जाननी चाहिए।
देवभूमि हरिद्वार के महामंडलेश्वर स्वामी श्री कमलानंद गिरि जी महाराज ने ये विचार रोज एनक्लेव स्थित श्री महामृत्युंजय महादेव मंदिर में आयोजित दिव्य श्री राम कथा एवं आध्यात्मिक प्रवचन कार्यक्रम दौरान व्यक्त किए।महामंडलेश्वर स्वामी कमलानंद गिरि जी महाराज ने कहा कि हिमाचल के घर जब भगवान भोलेनाथ की बरात गई तो वहां के लोगों की सोच थी कि शंकर जी बहुत सुंदर श्रृंगार करके आएंगे और अति सुंदर साधन की सवारी करके आएंगे। मगर बैल की सवारी में बाघ छाल धारण किए, खप्पर की माला पहने, सर्प का जनेऊ एवं शरीर में भस्म मल कर भूत प्रेतों के साथ आए भोलेनाथ को देखकर समस्त हिमाचल वासी घबरा गए। पार्वती जी की माता आरती थाल एवं पूजन की सामग्री के साथ जल का कलश व प्रज्जवलित ज्योति लेकर जैसे ही स्वागत व पूजा करने आई तो भोले बाबा का स्वरूप देखकर एकदम घबरा गई। दीपक बुझ गया और कलश जल सहित नीचे गिर गया। पार्वती की मां के हाथों ज्योति बुझने का अर्थ है कि जैसे कि मानो ज्योति को संकोच हुआ हो जिसके मस्तक पर चंद्रमा जगमग-जगमग कर रहे हैं उनको मेरे द्वारा क्या आरती होगी। गंगाजल कलश गिरने का अर्थ है मानो कलश में रखे जल का झरना कहना चाहता है कि जिनके सिर पर अविरल गंगा की धारा प्रवाहित हो रही है उनको मैं क्या आचमन कराऊंगा। पार्वती की माता मैना को जो भ्रम था कि मेरी इतनी सुंदर बेटी पार्वती का ऐसे वर (जिसका वाहन बैल है, जिसका श्रृंगार अपशकुन से भरा है) के साथ कन्यादान कैसे करूंगी! तो नारद जी ने उनका सारा भ्रम दूर कर दिया। नारद जी ने माता को समझाया कि यह तुम्हारी बेटी नहीं है बल्कि आप इनकी बेटी हो। इसने आपको मां बनने का सौभाग्य प्रदान किया है। जैसे ही नारद जी ने ज्ञान दिया मैना माता और हिमाचल खुशी के मारे नृत्य करने लगे। सुंदर श्रृंगार करके सखियों के साथ पार्वती जी विवाह मंडप में पहुंची तो देवताओं ने अपने सभी बाद्ययंत्र बजाए तथा पुष्पवर्षा करते हुए जगन्माता को प्रणाम किया। विधि पूर्वक विवाह की प्रक्रिया पूरी होने लगी। तीनों लोकों के देवी-देवताओं के दर्शन करके मैना माता खुशी के मारे विवाह की रस्म पूरी नहीं कर पा रही हैं। हिमाचल जी कुशा हाथ में लेकर कन्यादान कर रहे हैं और जैसे ही पार्वती जी का हाथ शंकर जी के हाथ में दिया तो सारी सभा में जय-जयकार होने लगी। सभी गौरीशंकर की जय-जय कार करने लगे।
कार्यक्रम दौरान जहां स्वामी श्री कमलानंद जी महाराज आध्यात्मिक प्रवचनों की अमृतवर्षा में श्रद्धालुओं को स्नान करवा रहे हैं। वहीं उनके साथ पधारे स्वामी श्री सुशांतानंद जी महाराज श्रद्धालुओं को सुमधुर भजनों की गंगा में डुबकियां लगवा रहे हैं। इस मौके मंदिर प्रांगण भगवान शिव, प्रभु श्री राम चंद्र और वीर बजरंग बली जी के जयकारों से गूंज उठा। फरीदकोट स्थित श्री महामृत्युंजय महादेव मंदिर में प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए स्वामी श्री कमलानंद जी महाराज एवं कथा श्रवण करते श्रद्धालु।