प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रोकने के लिए विपक्षी दलों द्वारा बनाए गए INDI गठबंधन ‘मिट्टी का माधो’ ही साबित हो रहे हैं। विपक्षी दल अपने-अपने फायदे को लेकर अड़े हुए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत ने कहा, ‘हम 23 सीट पर चुनाव लड़ेंगे क्योंकि हम हमेशा इतनी ही सीटों पर चुनाव लड़ते हैं।’ शिवसेना (यूबीटी), महा विकास आघाड़ी (एमवीए) का हिस्सा है जिसमें कांग्रेस और शरद पवार नीत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) घटक हैं। तीनों दल विपक्षी गठबंधन ‘INDI’ अलाएंस का भी हिस्सा हैं।हालांकि उन्होंने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की कि कांग्रेस और राकांपा कितनी-कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेंगी।
- शिवसेना ने महाराष्ट्र की 48 सीटों में से 23 पर दावा किया
- महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी में हो सकती है फूट
- लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे का फंसेगा पेंच
- 2019 में शिवसेना जीती थी 18 सीटें, 13 सांसद शिंदे संग
- शिवसेना दो गुटों में बँट गई है, एक गुट उद्धव ठाकरे का है तो दूसरा एकनाथ शिंदे का है
- एनसीपी और उद्धव ठाकरे की शिवसेना में बगावत होने के बाद कांग्रेस ही राज्य में सबसे पुरानी पार्टी बची है
सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़- 28 दिसम्बर :
लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही सीट बंटवारे को लेकर खींचतान से विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के सहयोगी, खासकर कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) तनाव में हैं। शिवसेना (यूबीटी) के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य की 48 में से 23 सीटों की बड़ी हिस्सेदारी की मांग की है, जिससे कांग्रेस और यहां तक कि शरद पवार की अध्यक्षता वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में भी घबराहट है। सांसद और शिवसेना (यूबीटी) के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ने की पार्टी की इच्छा दोहराई है – जिससे कांग्रेस और एनसीपी (एसपी) के लिए सिर्फ 25 सीटें बचेंगी। साथ ही, अन्य सहयोगी छोटी पार्टियों को भी समायोजित करनी पड़ सकती है।
कॉन्ग्रेस नेता संजय निरुपम ने कहा कि शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट को बेहद कठिन चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उनकी पार्टी में विभाजन के कारण उनके पास उम्मीदवारों की कमी है। बता दें कि शिवसेना दो गुटों में बँट गई है। एक गुट उद्धव ठाकरे का है तो दूसरा एकनाथ शिंदे का है, जो महाराष्ट्र में भाजपा के साथ सत्ता में है। शिवसेना के अधिकांश नेता शिंदे गुट के साथ हैं।
दो गुटों में बंटी शिवसेना ने महाराष्ट्र की 48 सीटों में से 23 पर दावा किया है, लेकिन अधिकांश सदस्य एकनाथ शिंदे के पक्ष में रहे हैं। कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने कहा कि नेताओं को जीतने वाली सीटों पर विवाद से बचना चाहिए। उन्होंने कहा, “शिवसेना 23 सीटों की माँग कर सकती है, लेकिन वे उनका क्या करेंगे? उनके पास नेता नहीं हैं।” बैठक में कॉन्ग्रेस के प्रतिनिधियों ने स्पष्ट किया कि शिवसेना और शरद पवार की राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी (NCP) में विभाजन हो गया है। इसके बाद राज्य में स्थिर वोट शेयर वाली एकमात्र पार्टी अभी कॉन्ग्रेस ही है।
वहीं, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक चव्हाण ने कहा कि गठबंधन में शामिल पार्टियों के बीच समायोजन की जरूरत है। चव्हाण ने कहा, “हर पार्टी सीटों में बड़ी हिस्सेदारी चाहती है, लेकिन मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए शिवसेना की 23 सीटों की माँग बहुत अधिक है।”
पिछले हफ्ते शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने कहा था कि उन्होंने अपनी पार्टी के नेता उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे के साथ हाल ही में कॉन्ग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी के साथ-साथ एआईसीसी महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ INDI अलाएंस की बैठक में बातचीत की थी। हालाँकि, कॉन्ग्रेस और एनसीपी कितने सीटों पर लड़ेगी, इसको लेकर राउत ने कुछ नहीं कहा।
बताते चलें कि साल 2019 से पहले शिवसेना बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन का हिस्सा थी। इसके बाद उद्धव ठाकरे कॉन्ग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन बनाए और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। इसके बाद जून 2022 में एकनाथ शिंदे ने 40 अन्य विधायकों के साथ मिलकर ठाकरे से विद्रोह कर दिया और अलग शिवसेना बना ली। इसके बाद MVA सरकार गिर गई।