माता -पिता भगवान का रूप होते हैं उनकी हमेशा सेवा व सम्मान करें  : डा.सुयशा जी महाराज

रघुनंदन पराशर, डेमोक्रेटिक फ्रंट, जैतो – 28दिसम्बर  :

स्वर्ण कुल गौरव, जिनशासन पारसमनी श्री समता जी महाराज संगीतमयी प्रवचन शिरोमणि, राष्ट्र ज्योति डा.सुयशा जी महाराज, स्वर्ण संघ प्रभाविता,वीर शिरोमणि श्री प्रगति जी महाराज ठाणे -7 स्वर्ण सुधा समता सुयशा जैन साधना केंद्र आर.वी.शांति नगर  कालोनी जैतो में विराजमान हैं।

जानी-मानी जैन साध्वी डा.श्री सुयशा शशि जी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा-एक बेटा अपने बूढ़े पिता को रात के खाने के लिए एक अच्छे रेस्टोरेंट में ले गया। भोजन करते समय बूढ़े पिता ने कई बार उनके कपड़ों पर भोजन गिरा दिया। रेस्टोरेंट में बैठे खाना खा रहे अन्य लोग वृद्ध को घृणा की दृष्टि से देख रहे थे लेकिन उनका बेटा शांत था। खाना खाने के बाद बेटा बिना किसी शर्म के वृद्ध को वॉशरूम ले गया। उसके कपड़े साफ किए, उसका चेहरा साफ किया, उसके बालों में कंघी की, चश्मा लगाया और फिर उसे बाहर ले आया। सब चुपचाप उसे देख रहे थे। फिर उसने बिल चुकाया और बूढ़े को लेकर निकल गया। तभी रात का खाना खा रहे एक और उसे बुलाया, और पूछा- क्या तुम्हें नहीं लगता कि तुम यहाँ कुछ छोड़ कर जा रहे हो? उसने जवाब दिया- नहीं साहब, मैं कुछ नहीं छोड़ रहा हूं। बुढ़ा बोला- बेटा, तुम यहाँ हर बेटे के लिए एक सीख, हर बेटे के लिए एक सीख और हर पिता के लिए उम्मीद छोड़ कर जा रहे हो। आमतौर पर हम अपने बुजुर्ग माता- पिता को अपने साथ बाहर ले जाना पसंद नहीं करते, और कहते हैं- क्या करोगे, चल नहीं सकते, ठीक से खा भी नहीं सकते, तुम घर में ही रहो, यही अच्छा रहेगा। लेकिन क्या आप भूल गए हैं कि जब आप छोटे थे तो आपके माता- पिता आपको गोद मेंउठाकर ले जाया करते थे। जब तुम ठीक से खा नहीं पाते थे तो माँ अपने हाथों से खिलाती थी और खाना गिर जाने पर डाँटने की जगह प्यार जताती थी।फिर वही माँ-बाप बुढ़ापे में बोझ क्यों लगते हैं? माता-पिता भगवान का रूप होते हैं।उनकी सेवा करो और प्यार दो क्योंकि एक दिन तुम भी बूढ़े हो जाओगे। अपने माता,पिता और बड़ों का हमेशा सम्मान करें।