आमजन तक नहीं पहुँच पाई मुहिम
डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़- 25 दिसम्बर :
वर्ष 2023 इंटरनेशनल ईयर आफ मिलेट्स के तौर पर दुनियाभर में मनाया गया तथा भारत में इस अवसर को एक सशक्त मिलेट्स समुदाय के साथ अनगिनत मौकों को समर्पित किया गया। इंटरनेशनल ईयर आफ मिलेट्स 2023 ने मिलेट्स की महत्ता को समझाने और समर्थन देने का माध्यम तो बनाया लेकिन क्या कुछ जमीनी हकीकत में कितना कुछ बदलाव आया, इस पर विचार की आवश्यकता है। ये कहना है चण्डीगढ़ में मिलेट्स मुहिम के साथ जुड़े हुए डॉ. एचके खरबंदा का।
इस वर्ष हमारी प्रतिबद्धता ने मिलेट्स के अधिकारों, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार करने के लिए एक साझा मंत्र स्थापित किया, लेकिन न तो मिलेट्स के लिए कोई एमएसपी जारी हुई, न ही कहीं मिलेट्स को व्यवहारिक रूप से इस्तेमाल किया गया। सिर्फ जी 20 के मेहमानों व सरकारी आयोजनों तक ही सीमित रहा इंटरनेशनल ईयर आफ मिलेट्स। जबकि हमारा लक्ष्य हमेशा से एक सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रयास करना था। उन्होंने कहाकि आने वाले साल में यह उम्मीद है कि आमजन तक मिलेट्स की खूबियों का प्रचार-प्रसार पहुंचेगा व ये वर्ग इसका अधिकाधिक प्रयोग करेगा।
वर्षों से मिलेट्स के प्रसार व प्रचार में जीवन लगाने वाले डॉ खादर वली को पद्मश्री व खेती विरासत मिशन जैसी एनजीओ को भी सिर्फ सरकारी आयोजनों की भागीदारी ही मिल पाई।
मिलेट्स के प्रचार-प्रसार में वर्षों से प्रयासरत पूर्व असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. एच के खरबंदा ने कहा कि
किसी भी सरकारी तंत्र को आने वाले समय में कोई कंक्रीट योजना बनानी होगी तभी मिलेट्स के प्रचार-प्रसार में विश्व भर में भारत अपनी भूमिका निभा पायेगा।