Wednesday, December 25

हाल ही में चिक्कोडी में एक कार्यक्रम में बोलते हुए, पाटिल ने कहा, “कृष्णा नदी का पानी मुफ़्त है। चूंकि उत्तरी कर्नाटक के कई क्षेत्र सूखे की चपेट में हैं, इसलिए मुख्यमंत्री मुफ्त में बीज और उर्वरक भी दे रहे हैं। अब किसान चाह रहे हैं कि राज्य में बार-बार सूखा पड़े और उनका कर्ज माफ हो जाए, जो सही तरीका नहीं है।”  पाटिल ने यह भी कहा कि जलवायु परिस्थितियों के कारण राज्य में हर तीन या चार साल में एक बार सूखे की मार पड़ने की संभावना है। मंत्री ने कहा, राज्य में हर तीन या चार साल में सूखे जैसी स्थिति देखने को मिलेगी और सरकार किसानों की मदद के लिए हमेशा मौजूद रहेगी।

कर्नाटक के सहकारिता मंत्री शिवानंद पाटिल

सारीका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ – 25दिसम्बर  :

कर्नाटक सरकार में सहकारिता मंत्री शिवानंद पाटिल के बयान पर बीजेपी ने पलटवार किया है। कर्नाटक बीजेपी ने पाटिल से उनके बयान वापस लेने की मांग की है। दरअसल मंत्री शिवानंद पाटिल ने कहा है कि जलवायु परिस्थितियों के कारण राज्य में हर तीन या चार साल में एक बार सूखे की मार पड़ने की संभावना है। चिक्कोडी में एक कार्यक्रम में बोलते हुए, पाटिल ने कहा, “कृष्णा नदी का पानी मुफ़्त है। चूंकि उत्तरी कर्नाटक के कई क्षेत्र सूखे की चपेट में हैं, इसलिए मुख्यमंत्री मुफ्त में बीज और उर्वरक भी दे रहे हैं। अब किसान चाह रहे हैं कि राज्य में बार-बार सूखा पड़े और उनका कर्ज माफ हो जाए। मंत्री ने कहा कि हलांकि ये सही तरीका नहीं है।

भाजपा ने कहा है कि कॉन्ग्रेस कर्नाटक के किसानों का मजाक उड़ा रही है। गौरतलब है कि कर्नाटक में इस बार सूखा पड़ रहा है और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने इसको लेकर कर्जों में कुछ राहत का ऐलान भी किया है। कर्नाटक भाजपा के अध्यक्ष BY विजयेन्द्र ने कहा है कि कॉन्ग्रेस ने किसानों को गाली देने की संस्कृति और किसानों का जीवन खराब करने की नीति अपना ली है। यह जिम्मेदारी शिवानंद पाटिल को दी गई है।” उन्होंने शिवानंद पाटिल से तुरंत माफ़ी माँगने को कहा है।

शिवानंद पाटिल ने सितम्बर 2023 में भी किसानों पर विवादित बयान देते हुए कहा था कि किसान मुआवजे का पैसा लेने के लिए आत्महत्या कर लेते हैं। उन्होंने कहा था कि यह तबसे बढ़ा है जबसे सरकार ने मुआवजे की धनराशि बढ़ाई है

उन्होंने संवेदनहीनता दिखाते हुए कहा था कि जिन किसानों की मौत प्रेम प्रसंगों, हृदय गति रुकने या फिर शराब पीने से हो रही है उनको भी किसान आत्महत्याओं में दिखाया जा रहा है ताकि मुआवजा पाया जा सके। उन्होंने कहा था कि ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि उनके लालची रिश्तेदार मुआवजे की धनराशि पाना चाहते हैं। यह मानव प्रकृति है कि गलत कारणों को दिखा कर मुआवजा लिया जाए।