Tuesday, December 24

स्वामी श्री सुशांतानंद जी महाराज ने बताया मानव जीवन का महत्व

महाराज जी के साथ पधारे स्वामी श्री सुशांतानंद जी महाराज ने कहा कि मानव जीवन को व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए। मानव जीवन प्रभु सिमरन करने के लिए मिला है। इसलिए कुछ समय प्रभु सिमरन के लिए अवश्य निकालना चाहिए। मनुष्य जीवन बेहद कीमती है। इसलिए मनुष्य को इसके प्रति सचेत रहना चाहिए। मनुष्य जन्म बार-बार नहीं मिलता। इसलिए इस कीमती जीवन का पूरा आनंद उठाओ और प्रभु सिमरन करते रहो। अगर जीवन को व्यर्थ के कामों में गंवाओगे तो बाद में बहुत पछताना पड़ेगा। मगर बाद में पछताने का कोई लाभ नहीं होगा। उन्होंने कहा कि सुख-दु:ख तो पिछले जन्मों के कर्मों के आधार पर मिलता है। आज जो दुखी है उसने पूर्व जन्म में जरूर पाप किए होंगे। अगर आज कोई धनवान और सुखी है तो यह उसके पूर्व जन्मों के अच्छे कर्मों का फल है। इसलिए दूसरों को सुखी देखकर जलन की अग्नि में खुद को मत जलाओ।श्री अयोध्या धाम से पहुंचे पूजित अक्षत कलश के दर्शनों को उमड़े श्रद्धालु

रघुनंदन पराशर, डेमोक्रेटिक फ्रंट, जैतो – 20 दिसम्बर  :

जिस भक्त की रक्षा खुद प्रभु करते हों, उसका दुश्मन चाहे कितना भी बलवान क्यों न हो, वे कभी ऐसे भक्त का कोई अहित नहीं कर सकता। बुद्धिमान हो या मूर्ख, पापी हो या संत सभी का प्रभु एक ही है। भगवान कोई अलग-अलग नहीं है। इसलिए हर मानव को खूब कर्म करना चाहिए और फल भगवान के हाथों में छोड़ देना चाहिए। ये विचार श्री कल्याण कमल आश्रम हरिद्वार के अनंत श्री विभूषित 1008 महामंडलेश्वर स्वामी श्री कमलानंद गिरि जी महाराज ने रोज एनक्लेव स्थित श्री महामृत्युंजय महादेव मंदिर में आयोजित दिव्य श्री राम कथा एवं आध्यात्मिक प्रवचन कार्यक्रम के दौरान श्रद्धालुओं के विशाल जनसमूह के समक्ष व्यक्त किए। स्वामी श्री कमलानंद गिरि जी महाराज ने कहा कि कथा की सार्थकता तभी सिद्ध होती है जब मनुष्य उसे अपने जीवन में धारण कर निरंतर हरि सिमरन करते हुए अपने जीवन को आनंदमय, मंगलमय बनाकर अपना आत्म कल्याण करें। अन्यथा कथा सिर्फ मनोरंजन मात्र और कानों के रस तक ही सीमित रह जाएगी। मनुष्य जब अच्छे कर्म करने के लिए आगे बढ़ता है तो सम्पूर्ण सृष्टि की शक्ति समाहित होकर मनुष्य का साथ देने में लग जाती है और खुद-ब-खुद सभी कार्य सफल होने लगते हैं। ठीक उसी तरह बुरे कर्मों की राह के दौरान सम्पूर्ण बुरी शक्तियां मनुष्य के साथ हो जाती हैं। इस दौरान मनुष्य को निर्णय करना होता कि उसे किस राह पर चलना है। अच्छे कर्मों वाली राह पर या बुरे कर्मों वाली राह पर, क्योंकि कर्म के अनुसार ही फल मिलता है। महामंडलेश्वर महाराज जी ने कहा कि परमात्मा की मर्जी के बगैर एक पत्ता भी नहीं हिल सकता। हर कार्य परमात्मा की मर्जी से ही होता है। परमात्मा की मर्जी के आगे सभी बेबस हैं। इसलिए परमात्मा की रजा में राजी रहना सीखें।

श्री अयोध्या धाम से पहुंचे पूजित अक्षत कलश को स्वामी श्री कमलानंद गिरि जी महाराज की अध्यक्षता में शोभायात्रा के रुप में श्री महामृत्युंजय महादेव मंदिर में लाया गया और मंदिर में स्थापित किया गया। इस मौके कलश के दर्शनों को बड़ी गिनती में श्रद्धालु उमड़े नजर आए। मंदिर प्रांगण प्रभु श्री राम चंद्र और वीर बजरंगी के जयकारों से गूंज उठा। फरीदकोट स्थित श्री महामृत्युंजय महादेव मंदिर में स्वामी श्री कमलानंद गिरि जी महाराज की अध्यक्षता में श्री अयोध्या धाम से पहुंचा पूजित अक्षत कलश।