Sunday, December 22
  • रेवाड़ी एम्स अभी भी कागजों से बाहर नहीं निकला, बाढ़सा एम्स-2 परिसर के 10 मंजूरशुदा संस्थान भी हुए गायब – दीपेन्द्र हुड्डा
  •        सांसद दीपेन्द्र सिंह हुड्डा के सवाल पर संसद में भारत सरकार ने दिया जवाब
  •        देश के कुल 22 मंजूरशुदा एम्स में से केवल 2 एम्स रेवाड़ी और दरभंगा का ही काम नहीं हो पाया – दीपेन्द्र हुड्डा
  •        प्रदेश की खट्टर सरकार की तरफ से सुस्ती ही देरी का कारण है – दीपेन्द्र हुड्डा
  •        हरियाणा में एक मजबूत सरकार की जरूरत है मजबूर सरकार की नहीं– दीपेन्द्र हुड्डा

चंडीगढ़, 19 दिसंबर। 

सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने संसद में रेवाड़ी एम्स और बाढ़सा एम्स-2 परिसर के 10 मंजूरशुदा संस्थानों के काम का ब्योरा मांगा तो केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री डॉ. भारती प्रविण पवार के जवाब से पता चला कि रेवाड़ी एम्स अभी भी कागजों से बाहर नहीं निकला और पिछले करीब 9 साल से ब्लूप्रिन्ट, मास्टर प्लान, टेन्डर और री-टेन्डर में ही फंसा हुआ है। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि देश भर में स्वीकृत कुल 22 मंजूरशुदा एम्स में से केवल 2 एम्स रेवाड़ी और दरभंगा का ही काम नहीं हो पाया। उन्होंने कहा कि प्रदेश की खट्टर सरकार की तरफ से सुस्ती ही देरी का प्रमुख कारण है। सरकार ने अपने जवाब में बताया कि निर्माण कार्य की शुरुआत विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है जिसमें राज्य सरकार द्वारा भारग्रस्तता मुक्त भूमि का हस्तांतरण, नियामक मंजूरी और स्थल विशिष्ट मुद्दे शामिल हैं। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि वे रेवाड़ी एम्स और बाढ़सा एम्स के बचे हुए सभी 10 संस्थानों का काम पूरा कराने के लिए प्रयास करते रहेंगे।

दीपेन्द्र हुड्डा ने बताया कि बाढ़सा एम्स-2 परिसर में प्रस्तावित और मंजूरशुदा राष्ट्रीय स्तर के 10 संस्थानों के बारे में भी सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया। जिससे ऐसा लगता है कि इन्हें भी या तो दूसरे प्रदेशों में भेज दिया गया या रद्द कर दिया गया। सांसद दीपेन्द्र ने कहा कि बाढ़सा एम्स विस्तार परिसर में बनने वाले राष्ट्रीय स्तर के स्वास्थ्य संस्थानों के बारे में बताते हुए दीपेन्द्र हुड्डा के कहा कि बाढ़सा एम्स-2 परिसर प्रोजेक्ट उनके राजनीतिक जीवन का सबसे महत्त्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है और इससे वो भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं। उन्होंने एम्स-2 बाढ़सा परिसर में हजारों करोड़ की लागत से बनने वाले कई संस्थान मंजूर कराए थे, जिसमें 710 बेड वाले राष्ट्रीय कैंसर संस्थान के अलावा 600 बेड का नेशनल कार्डियोवैस्कुलर सेंटर, 500 बेड का जनरल पर्पस हॉस्पिटल, 500 बेड का नेशनल ट्रांस्प्लांटेशन सेंटर, 500 बेड का नेशनल सेंटर फॉर चाइल्ड हेल्थ, 500 बेड का डाइजेस्टिव डिजीज सेंटर, 200 बेड का नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर जिरियाटिक्स, कॉम्प्रिहेंसिव रिहेबिलिटेशन सेंटर, 120 बेड का सेंटर फार ब्लड डिसार्डर, सेंटर फॉर लेबोरेटरी मेडिसिन, नेशनल सेंटर फॉर नर्सिंग एजुकेशन एंड रिसर्च प्रमुख हैं।

उन्होंने भाजपा सरकार पर विकास विरोधी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि आमजन के स्वास्थ्य से जुड़ी इस परियोजना को भाजपा सरकार ने राजनैतिक प्रतिशोध के चलते हरियाणा से छीन लिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार पूरी तरह कमजोर और नकारा साबित हुई है। हरियाणा में एक मजबूत सरकार की जरूरत है मजबूर सरकार की नहीं।