पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 18 दिसम्बर 2023 :
नोटः स्कन्द (गुह) षष्ठी व्रत एवं चम्पा षष्ठी व्रत (महाराष्ट्र) है।
प्रत्येक मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी मनाया जाता है। लेकिन कुछ लोग यह व्रत कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को भी करते हैं दोनों ही व्रत मान्य हैं। कार्तिकेय जी का एक नाम स्कंद भी है, इसलिए इसे स्कंद षष्ठी कहते हैं। इसे गुहा षष्ठी भी कहते हैं।
मार्गशीर्ष मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के चंपा षष्ठी के नाम से जाना जाता है. चंपा षष्ठी व्रत भगवान शिव एवं माता पार्वती के बड़े पुत्र भगवान कार्तिकेय और देव खंडोबा बाबा को समर्पित है.
विक्रमी संवत्ः 2080,
शक संवत्ः 1945,
मासः मार्गशीर्ष,
पक्षः शुक्ल,
तिथिः षष्ठी अपराहन् काल 03.15 तक,
वारः सोमवार।
नोटः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर सोमवार को दर्पण देखकर, दही,शंख, मोती, चावल, दूध का दान देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः शतभिषा रात्रि काल 01.22 तक हैै,
योगः वज्र रात्रि काल 09.32 तक,
करणः तैतिल,
सूर्य राशिः धनु, चन्द्र राशिः कुम्भ,
राहु कालः सायंः 4.30 से सायं 6.00 बजे तक,
सूर्योदयः 07.12, सूर्यास्तः 05.23 बजे।