पेंशन धारकों की लंबित मांगों को लेकर जनरल इंश्योरेंस रिटायरिज एसोसिएशन ने की विशेष बैठक
डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़- 18 दिसम्बर :
“अखिल भारतीय पेंशनभोगी दिवस” को जनरल इंश्योरेंस रिटायरिज एसोसिएशन ने चंडीगढ़ में खास रूप से मनाया। इस दौरान एसोसिएशन के सदस्यों ने पेंशनभोगियों को आ रही समस्यायों और अपनी लंबित मांगों को लेकर एक विशेष बैठक का आयोजन करते हुए इन पर विस्तार से चर्चा की।
जनरल इंश्योरेंस रिटायरिज एसोसिएशन के प्रेसिडेंट जे पी सिंह ने वताया कि देश में पेंशनभोगी संगठनों द्वारा हर साल 17 दिसंबर को “अखिल भारतीय पेंशनभोगी दिवस” के रूप में मनाया जाता है। डीएस नकारा मामले की सालगिरह (17.12.1982) को पेंशनभोगी दिवस के रूप में मनाने के लिए एआईआईपीए द्वारा आह्वान किया गया था कि 18 दिसंबर 2023 (17 दिसंबर रविवार है) को अन्य पेंशनभोगी संगठनों और ट्रेड यूनियनों के साथ संयुक्त रूप से बैठकें आयोजित कर पेंशन भोगियों के अधिकारों और हितों पर गंभीरता से चर्चा की जाए। इसी संदर्भ में आज इस विशेष बैठक का आयोजन कर पेंशनर्स की लंबित पारिवारिक पेंशन मामले पर ध्यान केंद्रित करते हुए संकल्प लिया गया है और माननीय वित्त मंत्री को अपनी मांगों की प्रति भेजी रही है।
एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी सतीश शर्मा ने बताया कि 17.12. 1982 को भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने डी.एस. नाकारा वर्सिज अन्य बनाम भारत संघ द्वारा दायर एक मामले में फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया था कि पेंशन न तो कोई इनाम है और न ही नियोक्ता की इच्छा पर निर्भर कोई मुफ्त चीज है। पेंशन कोई अनुग्रह भुगतान नहीं है बल्कि यह पिछली सेवाओं के लिए भुगतान है और यह एक सामाजिक कल्याण उपाय है जो उन लोगों को सामाजिक-आर्थिक न्याय प्रदान करता है जो अपने जीवन के सुनहरे दिनों में नियोक्ता के लिए इस आश्वासन पर लगातार मेहनत करते हैं कि बुढ़ापे में उन्हें बेसहारा नहीं छोड़ा जाएगा।
इस प्रकार, भारत के सर्वोच्च न्यायालय का यह विशिष्ट निर्णय हमारे महान राष्ट्र के सभी पेंशनभोगियों के लिए ‘मैग्ना कार्टा’ बन गया है। शीर्ष न्यायालय द्वारा स्थापित अधिकारों का जश्न मनाने और इस बात पर जोर देने के लिए कि पेंशनभोगियों को राज्य द्वारा उपेक्षित नहीं किया जाना चाहिए, तब से सभी वर्गों के पेंशनभोगी और पेंशनभोगी संगठन हर साल 17 दिसंबर को “पेंशनभोगी दिवस” मनाते आ रहे हैं।