दादू वाणी की महिमा और संतों की दिव्यवाणी को जन-जन तक पहुंचाने का श्रेेष्ठ कार्य किया : शिवरत्न गुप्ता
डेमोक्रेटिक फ्रंट, भिवानी- 30 नवम्बर :
जगतगुरु श्रीमद दादू पीठाधीश्वर आचार्य प्रवर श्री गोपालदास जी महाराज का कार्तिक माह शुक्ल पक्ष त्रयोदशी को देवलोक गमन होने पर अखिल भारतीय श्री दादू सेवक समाज द्वारा, श्री दादू द्वारा कान्हा दास घेर, पतराम गेट, भिवानी में उनकी स्मृति में पुष्पांजलि सभा का आयोजन किया गया। जिसमें शहर के गणमान्य व्यक्तियों ने उन्हें पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया।
इस अवसर पर वैश्य महाविद्यालय ट्रस्ट के अध्यक्ष शिवरत्न गुप्ता ने कहा कि आचार्य प्रवर स्वामी श्री गोपालदास जी महाराज ने दादू वाणी की महिमा और संतों की दिव्यवाणी को देश दुनिया में जन-जन तक पहुंचाने का श्रेेष्ठ कार्य किया। आपके सानिध्य में जीव और जन कल्याण के अनेकोनेक कार्य, शिक्षण संस्थाओं, सामाजिक संगठनों और राजकीय कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। ऐसे दिव्य संत के सानिध्य में हजारों, करोड़ों श्रद्धालुओं ने अपने जीवन को धन्य किया।
महंत दौलतदास जी महाराज ने कहा कि संत प्रवर श्री दादू दयाल जी महाराज की शिष्य परंपरा में आप जैसे अनेक संत हुए जिन्होंने परमात्मा की असीम कृपा की अनुभूति हमें करवाई है। उन्होंने उनके जीवन दर्शन के बारे में भक्त जनों को बताया कि महाराज दादू मठ के 20वें मठाधीश मूल रूप से सीकर जिले के निवासी थे। उनकी माता जी ने मनौती के चलते बचपन में ही दादूद्वारा के तत्कालीन मठाधीश को सौंप दिया तथा तब से वे दादूद्वार में ही पले बढे़। उन्होंने यह भी बताया कि महाराज जी के सानिध्य में फाल्गुन में आने वाला श्री दादू प्राकट्य उत्सव पर दादू मेला देश प्रदेश का सबसे दिव्य और भव्य मेला होता है। जिसमें संतों और श्रद्धालुओं का अपार जनसैलाब रहता है।
आदर्श महिला महाविद्यालय महासचिव अशोक बुवानीवाला ने कहा कि भारत के ऋषि मुनियों द्वारा सत्य और राम की महिमा का विश्वभर में प्रचार प्रसार किया गया। ऋषि मुनियों की संत परंपरा में भक्ति कालीन युग में संत प्रवर श्री दादू दयाल जी महाराज का अवतरण हुआ। जिन्होंने ज्ञान भक्ति और वैराग्य का संदेश देकर दुनिया को निराकार के रूप में उस परम सत्ता के सानिध्य में रहने का अहसास कराया। उन्हीं की वाणी को ब्रह्म पीठ नरेना के 20वें आचार्य के रूप में विराजमान होकर आपने दादू वाणी को विदेशों तक पहुंचाया। इस अवसर पर शहर से व संत समाज के साधक शिरोमणि के साथ महंत गुमान दास जी, महंत जगदीश प्रसाद, नरेंद्र सरार्फ, प्रवीण गोयल, जगदीश प्रसाद चैधरी, मोहनदास स्वामी, पवन बुवानीवाला, कमलेश चैधरी, सावरमल, घनश्यामदास, महाबीर सोनी, सुशील बुवानीवाला, पवन केडिया, महाबीर डालमिया, नवीन गुप्ता और दीपक तौला, हरीश हालुवासिया आदि उपस्थित रहे।