प्राईवेट एडेड कॉलेजों का प्रतिनिधिमंडल शिक्षा मंत्री से मिला

निजी कॉलेजों में स्टाफ के टेकओवर के फैसले को वापस लेने के मुद्दे पर प्राईवेट एडेड कॉलेजों का प्रतिनिधिमंडल शिक्षा मंत्री से मिला 

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़ – 24 नवम्बर  :

हरियाणा प्रदेश के सहायता प्राप्त निजी कॉलेजों में स्टाफ के टेकओवर के विरुद्ध कॉलेज-प्रबंधन एवं शिक्षक वर्ग का शिष्टमंडल चौ. तेजवीर सिंह (पूर्व विधायक, पूंडरी) एवं प्रधान, वेलफेयर एसोसिएशन ऑफ मैनेजमेंट ऑफ प्राइवेट एडेड कॉलेज, (रजि.) हरियाणा के नेतृत्व में  शिक्षा मंत्री  मूल चंद शर्मा जी से उनके चंडीगढ़ स्थित कार्यालय में मिला। इस अवसर पर उनके साथ प्रबंधन वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव एस.ए.एस. ओबेरॉय, वरिष्ठ उप प्रधान मेजर एस.पी. सिंह, हरियाणा कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. दयानंद मलिक, एचसीटीए के पूर्व प्रधान नरेंद्र सिंह चाहर व महासचिव डॉ. राजेंद्र सिंह मौजूद रहे।

चौ. तेजवीर सिंह ने इस भेंट की जानकारी देते हुए कहा कि प्रतिनिधि मंडल के सभी सदस्यों ने हरियाणा में 97 सहायता प्राप्त कॉलेजों के स्टाफ को टेकओवर न करने के लिए  शिक्षा मंत्री को  मुख्यमंत्री  मनोहर लाल जी के नाम ज्ञापन दिया। चौधरी तेजवीर सिंह ने जानकारी देते हुए कहा कि प्रतिनिधि मंडल ने मंत्री महोदय के सम्मुख विस्तार से अपनी बात रखते हुए कहा कि शिक्षा विभाग निजी महाविद्यालयों के स्टाफ का अधिग्रहण करके निस्संदेह सरकार, समाज, व्यवस्था, लड़कियों, गरीब लोगों व पिछड़े इलाकों के लिए बहुत बड़ी समस्या पैदा करने जा रहा है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार का शिक्षा विभाग, टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ के टेकओवर करने की तैयारी में लगा हुआ है, लेकिन उन बिन्दुओं पर ध्यान नहीं दे रहा है, जो भविष्य में शिक्षा को प्रभावित करेंगी। 

उन्होंने कहा कि यह भी सर्वविदित है कि समस्त एडिड कॉलेज हरियाणा शिक्षा प्रणाली के मूल स्तम्भ व विगत 70 वर्षों से रीढ़ रहे है। वैसे भी इनमें से अधिकांश कॉलेज पचास वर्षों से भी अधिक पुराने हैं। उन्होंने कहा कि यह सत्य है कि इन सभी एडिड कॉलेजों ने शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिये प्रदेश सरकार व समाज का अपार सहयोग किया है। 

 चौधरी तेजवीर सिंह  ने अवगत कराया गया कि वर्तमान में इन कॉलेजों में दो लाख से भी अधिक विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। शिक्षा विभाग में इन कॉलेजों के स्टाफ को टेकओवर करने की योजना बना रहा है निश्चित ही ऐसा करने से भारी संख्या में विद्यार्थी योग्य और अनुभवी टीचर्स के अनुभवों से वंचित हो जाएंगे, जिससे की शिक्षा का स्तर नीचे गिर जायेगा। 

इस अवसर पर वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव सरदार एस.ए.एस. ओबेरॉय ने मंत्री महोदय के समक्ष अपनी बात रखते हुए कहा कि दूर दराज के सरकारी कॉलेजों में लड़कियों का पहुंचना संभव नहीं होगा, जिस कारण से लड़कियों का ड्रॉप आउट बढ़ सकता है और वे सभी शिक्षा से वंचित हो जाएंगी। ये सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेज हरियाणा प्रांत के पिछड़े से पिछड़े ग्रामीण क्षेत्र में खुले हुए हैं और प्रत्येक जगह महाविद्यालय में छात्रों को ले जाने के लिए बसों की व्यवस्था की गई है, जो राजकीय महाविद्यालयों में नहीं है।

 वेलफेयर एसोसिएशन के वरिष्ठ उप प्रधान मेजर एसपी सिंह ने कहा कि प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती। हम सभी जानते हैं कि ये सभी एडिड कॉलेज शिक्षा के क्षेत्र में अपनी महती भूमिका का निर्वाह लंबे समय से कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके एडिड कॉलेजों ने यूजीसी द्वारा निर्देशित एवं प्रायोजित नैक समिति से अपने- अपने कॉलेजों का आकलन करवाकर निर्धारित मानदंडों के अनुसार उत्कृष्ट ग्रेड हासिल करके राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान द्वारा प्रदत अनुदान ग्रहण किए हैं। 

एचसीटीए के प्रधान डॉ. दयानंद मलिक ने मंत्री महोदय के समक्ष अपनी बात रखते हुए कहा कि सभी एडिड कॉलेजों के टीचिंग एवं नॉन टीचिंग स्टाफ की लंबित मांगे जैसे मेडिकल की सुविधा, एच.आर.ए., समय पर वेतन, ग्रेच्युटी व सीसीएल आदि को पूरा करके उनको उचित सहयोग एवं प्रोत्साहित किया जा सकता है।

 चौ. तेजवीर सिंह ने कहा कि सरकार व शिक्षा विभाग के प्रशासन का यह प्रस्तावित कदम निस्संदेह  मुख्यमंत्री  मनोहर लाल जी द्वारा उद्धृत ‘बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ, ‘हरियाणा एक- हरियाणवी एक’ और ‘सबका साथ सबका विकास’ की अपनी कर्तव्य नीतियों के विरुद्ध होगा। 

 उन्होंने बताया कि  शिक्षा मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल की समस्त बातों को पूरी गंभीरता, धैर्य एवं रुचि से सुनकर हमें आश्वस्त किया कि मैं स्वयं माननीय मुख्यमंत्री जी को आप सभी के सुझावों से अवगत कराकर आपको यथाशीघ्र वार्ता के लिए बुलाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि हरियाणा सरकार और शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारी ने उच्च शिक्षा की व्यवस्था के निमित्त कोई ऐसा कदम नहीं उठाएगी जिससे विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित हो या कॉलेजों में विद्यार्थियों का विशेषकर लड़कियों का ड्रॉप आउट बढ़ जाए तथा हरियाणा प्रदेश में हायर एजुकेशन पर कोई संकट आए।