Saturday, December 21

रघुनंदन पराशर, डेमोक्रेटिक फ्रंट, जैतो – 23 नवम्बर  :

डीपफेक दुनिया भर में लोकतंत्र और सामाजिक संस्थानों के लिए एक गंभीर खतरा बनकर उभरा है। सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से डीपफेक सामग्री के प्रसार ने इस चुनौती को बढ़ा दिया है।मंत्रालय ने समय-समय पर सोशल मीडिया मध्यस्थों को उचित निगरानी करने और डीपफेक के खिलाफ शीघ्र कार्रवाई करने की सलाह दी है।इससे पहले आज, रेल, संचार और इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने डीपफेक पर प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर शिक्षा जगत, उद्योग निकायों और सोशल मीडिया कंपनियों के प्रतिनिधियों से विचार-विमर्श किया।चर्चा के दौरान इस बात पर सहमति बनी कि सरकार, शिक्षा जगत, सोशल मीडिया कंपनियां और नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विस कंपनीज (एनएएसएससीओएम) संयुक्त रूप से डीपफेक का जवाब देने की दिशा में काम करेंगे। इस बात पर भी सहमति हुई कि अगले 10 दिनों के भीतर निम्नलिखित चार स्तंभों पर कार्रवाई योग्य वस्तुओं की पहचान की जाएगी । इसमें पता लगाना: ऐसी सामग्री पोस्ट करने से पहले और बाद में डीपफेक सामग्री का पता लगाया जाना चाहिए,रोकथाम: डीपफेक सामग्री के प्रसार को रोकने के लिए एक प्रभावी तंत्र होना चाहिए,रिपोर्टिंग: प्रभावी और शीघ्र रिपोर्टिंग और शिकायत निवारण तंत्र उपलब्ध होना चाहिए, जागरूकता: डीपफेक के मुद्दे पर व्यापक जागरूकता पैदा की जानी चाहिए,इसके अलावा, तत्काल प्रभाव से, एमईआईटीवाई डीपफेक के खतरे को रोकने के लिए आवश्यक नियमों का आकलन और मसौदा तैयार करने के लिए एक अभ्यास शुरू करेगा। इस उद्देश्य के लिए एमईआईटीवाई माईजीओवी पोर्टल पर जनता से टिप्पणियां आमंत्रित करेगा।स्तंभों वाली संरचना को अंतिम रूप देने के लिए दिसंबर 2023 के पहले सप्ताह में संबंधित हितधारकों के साथ एक अनुवर्ती बैठक फिर से आयोजित की जाएगी। भारत सरकार प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर और जन जागरूकता को बढ़ावा देकरडीपफेक के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है।