Saturday, December 21

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ (राकेश शाह) : चंडीगढ़ भाजपा के नए अध्यक्ष जातिंदरपाल मल्होत्रा की स्थिति ‘येस सर’ जैसी बनती जा रही है। अध्यक्ष पद की कुर्सी संभाले अभी जुमा जुमा कुछ ही समय हुआ है लेकिनबुन्हे अक्सर पार्टी के सीनियर नेताओं के बीच ही घिरा देखा जाता रहा है। पार्टी के भीतर चर्चा है कि अध्यक्ष के हर फैसले के पीछे पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का हाथ रहता है, मसलन प्रशासन के किसी अधिकारी से मुलाकात की बात हो, या फिर गवर्नर के दरबार में जाने की बात हो तो सीनियर नेता का साया हरदम साथ रहता है। 

कुल मिलाकर नए अध्यक्ष अपनी खुद की पहचान नहीं बना पा रहे हैं। बात अगर पूर्व अध्यक्ष अरुण सूद की की जाए तो वह अपने समर्थकों के साथ न केवल खुद फैसले लिया करते बल्कि गवर्नर के पास जब भी उनका जाना होता था तो कोई भी सीनियर नेता उनके आसपास नहीं फटकता था। इधर हालात यह है कि मल्होत्रा की ताजपोशी भी उनके आका की मौजूदगी के बिना नहीं हुई थी।

राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि एक अध्यक्ष का अपने आका की जिहजुरी करना कहीं अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव पर विपरीत असर न डाल दे। अटकलें हैं की अध्यक्ष के फैसलों पर उनके आका की इतनी अधिक दखलंदाजी लेकिन पार्टी पर भी भारी न पड़ जाए। संभावना जताई जा रही है की जल्द ही प्रदेश कार्यकारणी और प्रकोष्ठों का घटन किया जाना है, ऐसे में कई अहम पदों पर बदलाव भी हो सकते हैं। इस बदलाव में मुमकिन है की अध्यक्ष के आका की पसंद के कार्यकर्ताओं को ही उच्च पद मिले।