Monday, December 23


डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़- 18 नवम्बर  :

आर्य समाज सेक्टर 7-बी के 65वें वार्षिक उत्सव के दौरान दिल्ली से पधारे आचार्य चंद्रशेखर शास्त्री ने कहा कि मनुष्य को सही जीवन जीने के लिए शांति अति आवश्यक है। ज्ञान को कर्म में लगाना अति आवश्यक है। ज्ञान के बिना कर्म बेकार है और भक्ति के बिना ज्ञान बेकार है।

उन्होंने कहा कि परमात्मा प्रकाश देता है इसलिए महर्षि दयानंद की पुस्तक का नाम सत्यार्थ प्रकाश है। उन्होंने कहा कि आज मकान बड़े हैं। बच्चे कम हैं। पैसे ज्यादा है फिर भी मनुष्य दुखी है। हमारा देश दिव्य और भव्य है। आचार्य ने कहा कि जो किसी के जीवन में बाधक नहीं वह साधक होता है। वाणी में दरिद्रता नहीं होनी चाहिए। अच्छे  कार्यों की प्रशंसा करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि खाया हुआ अपना नहीं होता बल्कि पचाया हुआ अपना होता है। कमाया हुआ अपना नहीं है। परोपकार में लगाया गया धन अपना होता है।  प्रत्येक मनुष्य को श्रेष्ठ कर्म करते हुए 100 साल जीने की इच्छा करनी चाहिए। जीवन में निरंतर सुकर्म करते रहना चाहिए।  किसी भी वस्तु का अहंकार नहीं करना चाहिए। जब तक नींद है तब तक घमंड है। नींद में कुछ पता नहीं होता है। संसार में आकर कितने सुकर्म में किये उसे परमात्मा देखेगा। महर्षि दयानंद बातों के बादशाह नहीं थे बल्कि आचरण के आचार्य थे। कर्म का फल अवश्य मिलता है इसलिए हमें समझाने की नहीं समझने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि परमात्मा की व्यवस्था में कोई भी कमी नहीं है। उदाहरण के तौर पर देखिए धान के पौधे पर कई धान के बीज लगते हैं। सभी बीज एक साथ पकते हैं। पपीते के पौधे पर जो भी पपीते लगते हैं वह एक साथ नहीं पकते बल्कि थोड़े-थोड़े करके पकते हैं। परमात्मा आकाश से वर्षा की बूंदे गिराता है, न कि पानी की मोटी बौछार। परमात्मा की व्यवस्था में कोई कमी नहीं है।

चंबा से पधारे आचार्य दीवान चंद्र शास्त्री ने मनमोहक भजनों से उपस्थित लोगों को आत्म विभोर कर दिया।