फारूक अब्दुल्ला की बेटी को छोड़ चुके हैं सचिन पायलट
आइये जानते हैं पायलट के इस बार के हलफनामें में और किन-किन बातों का जिक्र है। 2018 के मुकाबले उनकी संपत्ति में कितना इजाफा हुआ है? 2018 में उनकी पत्नी के नाम पर कितनी संपत्ति थी? उनके दोनों बेटों के नाम पर क्या है? 2018 के मुकाबले 2023 में क्या नया है और क्या नहीं है? सारा जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला की बेटी हैं और उमर अब्दुलके तालाक को न्ययलय ने नामंज़ूरि दि , वह भि अप्नि पत्नि और बच्चोन के पास नयि दिल्लि मैं नहीं जाते हैं.
- पायलट ने शपथ-पत्र में किया खुलासा
- सचिन पायलट और सारा पायलट दो बच्चे हैं
- दोनों की प्रेम कहानी भी काफी चर्चित रही है
सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़ – 31 अक्टूबर :
कांग्रेस के दिग्गज नेता एवं राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट अपनी पत्नी से सारा पायलट से अलग हो गए हैं. इसका खुलासा आज पायलट ने नामांकन-पत्र के साथ दिए एफिडेविट में किया गया है. हालांकि दोनों के बीच तलाक कब हुआ इसका तो कोई खुलासा नहीं हो सका है लेकिन सार्वजनिक रूप से यह पहली बार सामने आया है कि दोनों अलग हो गए हैं। पायलट ने अपने शपथ पत्र में पत्नी के नाम के आगे तलाशुदा लिखा है. सचिन और सारा के दो बच्चे हैं. दोनों बच्चे सचिन के पास है. इसका भी हलफनामे में खुलासा किया गया है.
सचिन पायलट और सारा अब्दुल्ला की शादी 15 जनवरी 2004 को हुई थी। दोनों के आरन और विहान नाम के दो बच्चे हैं। सारा अब्दुल्ला और सचिन पायलट की शादी काफी चर्चित रही थी। इनके अलग होने की चर्चा काफी समय से चल रही थी, लेकिन इसकी पुष्टि हुई है सचिन पायलट द्वारा विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी के तौर पर भले गए हलफनामे से। सचिन पायलट ने इसमें बताया है कि उनके दोनों बच्चे उन्हीं पर आश्रित हैं।
साल 2018 में शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुई थीं सारा
सचिन पायलट ने साल 2018 के चुनावी हलफनामे में सारा अब्दुल्ला की संपत्ति की भी जानकारी दी थी, लेकिन इस बार के हलफनामे में उन्होंने खुद को तलाकशुदा बताया है। इससे पहले भी साल 2014 के लोकसभा चुनाव के समय दोनों के तलाक की अफवाहें उड़ी थी, लेकिन तब सचिन ने इसका खंडन किया था। साल 2018 में जब सचिन पायलट उप-मुख्यमंत्री बने थे, तो शपथ ग्रहण समारोह के दौरान सारा अपने पिता फारूक अब्दुल्ला और दोनों बेटों आरन-विहान के साथ शामिल हुईं थी।
बता दें कि सचिन पायलट लंबे समय से राजनीति की दुनिया में हैं। साल 2004 में वो दौसा लोकसभा सीट से सांसद बने थे। साल 2009 में उन्होंने अजमेर लोकसभा सीट से चुनाव जीता था और केंद्रीय मंत्री भी बने थे। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का मुँह देखना पड़ा था, लेकिन साल 2018 में उनकी अगुवाई में कॉन्ग्रेस ने राजस्थान विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी।
हालाँकि शीर्ष नेतृत्व ने उनकी जगह अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री के तौर पर चुना था। पायलट को उपमुख्यमंत्री बनाया गया था। लेकिन कुछ समय बाद ही गहलोत और पायलट के बीच की तनातनी सार्वजनिक हो गई। पायलट की कैबिनेट से भी छुट्टी कर दी गई थी। फिलहाल सचिन पायलट एक बार फिर से टोंक विधानसभा सीट से चुनावी समर में उतर चुके हैं।