Monday, December 23

G20 समिट 2023 के समय देश का नाम बदलने की खूब चर्चा हुई। कहा गया कि India की जगह ‘भारत’ लिखा जाएगा। राष्ट्रपति ने G20 के न्‍योते में India की जगह भारत लिखकर भेजा। फिर G20 के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेमप्‍लेट पर भी ‘भारत’ लिखा गया। उसके बाद संसद का विशेष सत्र बुलाया गया तो फिर उस चर्चा ने जोर पकड़ लिया। हालांकि, ऐसा कुछ हुआ नहीं। अब स्कूली किताबों में देश का नाम बदलने की सिफारिश की गई है। नैशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) की हाई लेवल कमिटी ने यही सिफारिश की है। कमिटी के चेयरपर्सन सीआई आइजैक ने कहा कि स्‍कूली करिकुलम में India को हटाकर ‘Bharat’ किया जाना चाहिए। एक और सिफारिश की गई है कि करिकुलम से एंश‍ियंट हिस्ट्री को बाहर कर उसकी जगह ‘क्‍लासिकल हिस्ट्री’ पढ़ाई जाए।

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़ – 25 अक्टूबर :

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद, यानी एनसीईआरटी की किताबों में जल्द ही एक बदलाव देखने को मिल सकता है। दरअसल, एनसीईआरटी द्वारा गठित एक समिति ने किताबों में ‘INDIA’ को बदलकर ‘Bharat’ करने की सिफारिश की थी।

पैनल के सदस्यों में से एक सीआई इस्साक के मुताबिक, NCERT की नई किताबों के नाम में बदलाव होगा। इस्साक ने कहा, यह प्रस्ताव कुछ महीने पहले रखा गया था और अब इसे स्वीकार कर लिया गया है।

इस्साक ने कहा कि इंडिया शब्द का इस्तेमाल आमतौर पर ब्रिटेन की ईस्ट इंडिया कंपनी और 1757 के प्लासी युद्ध के बाद होना शुरू हुआ था। वहीं, भारत का जिक्र विष्णु पुराण जैसे ग्रंथों में हैं, जो सात हजार साल से भी पुराने हैं।

यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब केंद्र को आधिकारिक दस्तावेजों में इंडिया की जगह ‘भारत’ लिखने पर विपक्ष की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया मिल रही है। पहली बार इस तरह से नाम बदलने का काम ASEAN Program के निमंत्रण में किया गया था, जिसमें पीएम मोदी को ‘भारत के प्रधानमंत्री’ लिखा गया था।

हालांकि, इंडिया बनाम भारत विवाद में तेजी तब आई जब राष्ट्रपति भवन ने ‘भारत के राष्ट्रपति’ की ओर से 9 सितंबर को जी20 रात्रिभोज के लिए निमंत्रण भेजा। इन सबके बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि ‘भारत’ शब्द का अर्थ संविधान में परिलक्षित होता है।

एनसीआईआरटी की कमेटी ने शैक्षणिक किताबों में ‘एंशि‍एंट हिस्ट्री’ की जगह ‘क्लासिकल हिस्ट्री’ को शामिल करने की सिफारिश की है. ऐसे में ये मांग मान ली गई तो इतिहास को अब प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक में विभाजित नहीं किया जाएगा, क्योंकि इससे यह पता चलता है कि भारत एक पुराना और ब्रिटिश साम्राज्यवाद से अनजान राष्ट्र है। अंग्रेजों ने भारतीय इतिहास को प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक में बांटा है। अब चूंकि एंशिएंट का मतलब प्राचीन होता है। वो यह दिखाता है कि देश अंधेरे में था, जैसे कि उसमें कोई वैज्ञानिक जागरूकता थी ही नहीं। इस सिलसिले में सौर मंडल पर आर्यभट्ट के काम समेत ऐसे कई उदाहरण भी दिए गए हैं। इन बदलावों के अमल में आने के बात इसे देश के एजुकेशन सिस्टम में बड़ा परिवर्तन देखने को मिलेगा।