108 दियों का स्वास्तिक बनाकर हुई संधि पूजा
संधि पूजा करने के बाद ही श्री राम ने रावण से युद्ध किया था : पुरोहित सुनील चैटर्जी
डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़- 23 अक्टूबर :
दुर्गा पूजा में बंगाली कम्युनिटी के लिए अष्टमी का दिन और उसमें होने वाली संधि पूजा खास अहमियत रखती है। महिलाएं नई साड़ी और पुरुष कुर्ता पजामा धारण करते है। रविवार का दिन दुर्गाष्टमी को समर्पित रहा। सेक्टर-35 स्थित बंग भवन में अष्टमी को पूजा दिन में शुरू हुई। पुरोहित सुनील चटर्जी ने पहले देवी मां को दर्पण में नहलाया। दस जगह की मिट्टी, सात नदी के पानी, सोना रूपी चांदी, चंदन, सिंदूर, हल्दी, तेल, गन्ना रस, फल और फूल से। फिर पूजा की शुरुआत हुई। आरती कर मां को भोग लगाया और पुष्पांजलि की गई। वही शाम में संधि पूजा हुई।
पुरोहित सुनील चैटर्जी ने बताया कि संधि पूजा का वर्णन रामायण काल में मिलता है। ये अष्टमी खत्म होने और नवमी लगने के बीच के समय में होने वाली पूजा है। यही पूजा करने के बाद ही श्री राम ने रावण से युद्ध किया था। इस बार इस संधि पूजा का समय रात की बजाए शाम का पड़ा। इसलिए शाम 4:55 से 5:18 मिनट के बीच पूजा खत्म की। मां दुर्गा को 108 कमल पुष्प अर्पण कर 108 दियों का स्वस्तिक बनाया। तत्पश्चात प्रतीकात्मक बलि दी गई गन्ना, पेठा, केला, खीरा और सुपारी से। फिर पुष्पांजलि कर मां से भोग निवेदन हुआ और मां की आरती कर पूजा संपन्न हुई। इसी तरह पूजा शहर के अन्य दुर्गा पूजा पंडालों में भी हुई।