हरियाणा लेखक मंच का वार्षिक अधिवेशन कुरुक्षेत्र में आयोजित किया गया       

सुशील पण्डित, डेमोक्रेटिक फ्रंट, यमुनानगर – 19अक्टूबर :

हरियाणा लेखक मंच का दूसरा वार्षिक सम्मलेन गत दिवस कुरुक्षेत्र में आयोजित हुआ। इस अवसर पर राज्य के अलग अलग जिलों से सौ से अधिक साहित्यकार उपस्थित हुए. इस सम्मेलन में दो विचार-सत्र रखे गए थे.  पहले सत्र में ‘आज के दौर में लेखक के सरोकार’ विषय पर चर्चा हुई. विषय-प्रस्तावक डा.कृष्ण कुमार(एसोसिएट प्रोफेसर) ने कहा कि साहित्य का सरोकार प्रतिरोध में ही निखरता है,तभी वह साहित्य को मनोरंजन और उन्माद में जाने से बचा सकता है. सत्र के मुख्य वक्ता कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सुभाष चन्द्र ने कहा कि हमारे सारे सौन्दर्यबोध को अवमूल्यित किया जा रहा है. लेखक का काम सच कहना,उलझी बात को सुलझाकर पाठक को बताना और विकृति के प्रति सचेत करते हुए पाठक  को परिष्कृत करना है.सत्र की अध्यक्षता अमृतलाल मदान ने की. मंच के उपाध्यक्ष डा.अशोक भाटिया ने वक्ताओं का परिचय देते हुए दोनों विषयों की जरूरत पर प्रकाश डाला. दूसरे विचार-सत्र में ‘वर्तमान दौर के लेखन में स्त्री-संघर्ष की अभिव्यक्ति’ विषय पर प्रोफेसर मनजीत राठी(रोहतक विश्वविद्यालय) ने विषय-प्रवेश में कहा कि स्त्रियों का संघर्ष सामाजिक संघर्ष है.पितृसत्ता और कठोर परम्पराएं उसकी राह रोके खड़ी हैं.सत्र की मुख्य वक्ता,कथाकार प्रोफेसर प्रज्ञा(दिल्ली विश्वविद्यालय) ने कहा कि लेखन का कोई जेंडर नहीं होता.अनेक रचनाओं से उदाहरण देकर डा.प्रज्ञा ने स्पष्ट किया कि समानता,सुरक्षा और स्वावलंबन की चाह में स्त्री को सदा भूख,अपमान और शोषण से गुजरना पड़ता है.सत्र के अध्यक्ष डा.रतन सिंह ढिल्लों ने कहा कि हरियाणा में नारी-आन्दोलन को सुधारवादी नहीं,इंकलाबी होना पड़ेगा.दोनों सत्रों में ओम बनमाली,गुरदेव सिंह देव,हरपाल सिंह,कमलेश चौधरी,अनुपमा शर्मा,दीपक वोहरा,कुलदीप आदि द्वारा पूछे गए प्रश्नों ने विमर्श को विचारोत्तेजक बना दिया. मंच संचालन डा.बी.मदन मोहन और ब्रह्मदत्त शर्मा द्वारा किया गया। धन्यवाद जयपाल और मदनलाल मधु ने किया. इस अवसर पर ‘’शुभ तारिका’ पत्रिका सहित इस वर्ष प्रकाशित दस पुस्तकों का विमोचन किया गया.मंच द्वारा कराई गई कविता-लेखन प्रतियोगिता के छह विजेताओं को पुरस्कृत भी किया गया.अंत में मंच द्वारा हरियाणा की पाँचों साहित्य अकादमियों की पूर्ववत बहाली की मांग करने का प्रस्ताव रखा गया,जो सर्वसम्मति से पारित हुआ. पुस्तक-प्रदर्शनी भी लगाई गई. इस सम्मलेन के पीछे मंच की कार्यकारिणी के सदस्यों श्री अजय सिंह राणा,राधेश्याम भारतीय,पंकज शर्मा,अरुण कहरबा,जयपाल,अरुण कुमार,मदनलाल मधु,सतविंदर राणा,अशोक बैरागी का विशेष योगदान रहा।