हरियाणा में कमजोर सरकार का एक और प्रमाण, नहीं करा पाई 4 RRTS का निर्माण : दीपेन्द्र हुड्डा
- हरियाणा के हितों की रक्षा नहीं कर पा रही है गठबंधन सरकार, विकास कार्य इनके एजेंडे में ही नहीं– दीपेन्द्र हुड्डा
- गठबंधन सरकार द्वारा प्रदेश हितों की उपेक्षा के कारण 4 RRTS कॉरीडोर को भारत सरकार ने एक पैसा नहीं दिया : दीपेन्द्र हुड्डा
- हरियाणा की नकारा सरकार के चलते यहाँ के शहरों को रैपिड रेल से जोड़ने का काम खटाई में पड़ा – दीपेन्द्र हुड्डा
- कांग्रेस सरकार बनने पर चारों RRTS कॉरीडोर का काम युद्द स्तर पर कराएंगे पूरा – दीपेन्द्र हुड्डा
डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़- 19 अक्टूबर :
सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल के उद्घाटन से पहले आज कहा कि हरियाणा में कमजोर सरकार का एक और प्रमाण नहीं करा पाई 4 RRTS का निर्माण। उन्होंने कहा कि मौजूदा गठबंधन सरकार हरियाणा के हितों की रक्षा नहीं कर पा रही है, क्योंकि हरियाणा में विकास कार्य इनके एजेंडे में ही नहीं है। दीपेन्द्र हुड्डा ने बताया कि हुड्डा सरकार के समय हमारी 4 आरआरटीएस परियोजनाएं भी एक साथ प्रस्तावित हुई थी लेकिन 2014 के बाद बीजेपी सरकार के उदासीन रवैये के कारण इसका काम ठप हो गया जबकि दिल्ली-गाज़ियाबाद-मेरठ रैपिड रेल परियोजना के पहले फेज का उद्घाटन कल देश के प्रधानमंत्री करेंगे। उन्होंने कहा कि अगर हरियाणा सरकार भी गंभीरता से प्रयास करती तो आज हरियाणा की 4 आरआरटीएस परियोजनाओं का भी उद्घाटन हो रहा होता। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार बनने पर चारों RRTS कॉरीडोर का काम युद्द स्तर पर पूरा कराएंगे।
दीपेन्द्र हुड्डा ने आगे बताया कि बीते 13 मार्च, 2023 को जब उन्होंने संसद में हरियाणा के रैपिड रेल कॉरीडोरों के काम का ब्योरा मांगा तो केंद्र सरकार के जवाब से हरियाणा की कमजोर सरकार की एक और कमजोरी ही उजागर नहीं हुई बल्कि उसकी बदनीयत भी खुलकर सामने आई। प्रदेश की गठबंधन सरकार द्वारा प्रदेश हितों की उपेक्षा का जीता जागता सबूत शहरी कार्य राज्य मंत्री कौशल किशोर द्वारा संसद में दीपेन्द्र हुड्डा के सवाल पर दिया गया जवाब है जिसमें उन्होंने कहा कि दिल्ली-सोनीपत-पानीपत, दिल्ली-गुड़गाँव-अलवर, दिल्ली-रोहतक-हिसार और दिल्ली-फरीदाबाद-पलवल गलियारों के संबंध में केंद्र सरकार द्वारा न तो स्वीकृति दी गई न कोई राशि आवंटित की गई है।सांसद दीपेन्द्र ने कहा कि 2014 के बाद से हरियाणा हर मामले में विकास की पटरी से उतर गया और लगातार प्रदेश हितों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। यदि से चारों RRTS कॉरीडोर बन जाते तो इसका सीधा फायदा प्रदेश के लाखों युवाओं, रोजाना दिल्ली आने वाले कर्मचारियों, कामगारों को होता।
दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि 2010 में पूर्ववर्ती हुड्डा सरकार के कार्यकाल के दौरान 4 हाईस्पीड रेल (RRTS) कॉरीडोर केंद्र सरकार को प्रस्तावित कर वर्ष 2012 में NCR प्लानिंग बोर्ड की कार्य योजना में शामिल कराए थे। लेकिन 2014 में सरकार बदलने के बाद मौजूदा हरियाणा सरकार ने इन सभी का काम ठंडे बस्ते में डाल दिया। वे लगातार इसका काम शुरू कराने की मांग करते रहे। इसी क्रम में 5 अप्रैल, 2018 को सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने तत्कालीन केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी से मिलकर RRTS का काम पूरा कराने की मांग रखी तो हरियाणा सरकार ने केवल 2 कॉरीडोर – दिल्ली-गुड़गांव-एसएनबी, दिल्ली-सोनीपत-पानीपत का ही DPR अनुमोदित किया। जबकि, दीपेन्द्र हुड्डा ने केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी से दिल्ली-रोहतक-हिसार और दिल्ली-फरीदाबाद-पलवल RRTS की भी डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने की मांग को भी मंजूरी दिलायी थी। लेकिन, हरियाणा की नकारा सरकार के उदासीन रवैये के चलते यहाँ के शहरों को रैपिड रेल से जोड़ने का काम खटाई में पड़ा हुआ है।
दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि संसद में उनके सवाल पर दिए गए उत्तर में आवासन मंत्री ने बताया कि हरियाणा सरकार ने 13.02.2019 को दिल्ली-गुड़गांव-एसएनबी (शाहजहांपुर-नीमराना-बेहरोड़) RRTS कॉरीडोर और 23.12.2020 को दिल्ली-सोनीपत-पानीपत (RRTS) कॉरीडोर के डीपीआर का अनुमोदन किया था। लेकिन, इन दोनों आरआरटीएस कॉरिडोर के लिए दिल्ली सरकार वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए सहमत नहीं हुई। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि जहां तक दिल्ली सरकार द्वारा वित्तीय सहमति न देने से 2 RRTS का काम लटकने की बात है तो इसी हरियाणा में एक उदाहरण ऐसा भी है जब पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय दिल्ली से बहादुरगढ़ तक मेट्रो लाने का लोगों का सपना पूरा करने के लिए इस परियोजना में दिल्ली सरकार के हिस्से का पैसा भी चौ. भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने वहन करने का ऐतिहासिक फैसला लिया था। 2000 करोड़ की कुल लागत में से तत्कालीन हरियाणा सरकार ने 912 करोड़ रूपए वहन किये थे और बहादुरगढ़ तक मेट्रो लेकर आए।