निर्यात पर पाबंदी और निर्यातकों की हड़ताल से धान के किसानों को हो रहा भारी घाटा : हुड्डा
- प्रति क्विंटल 1000 और प्रति एकड़ 20,000 रुपये से ज्यादा का घाटा झेल रहे हैं किसान- हुड्डा
- निर्यात से रोक हटाए सरकार, बीजेपी-जेजेपी केंद्र के सामने रखे किसानों का पक्ष- हुड्डा
- धान की खरीद के लिए रिलीज ऑर्डर जारी करे प्रदेश सरकार, बढ़ाया जाए सेलरों का कोटा- हुड्डा
- सुस्त खरीद और उठान के चलते मंडियों में भीगा किसान का धान- हुड्डा
डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़- 17 अक्टूबर :
पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने धान के निर्यात पर लगाई गई पाबंदियों को हटाने की मांग दोहराई है। क्योंकि, सरकार द्वारा थोपी गई पाबंदियों के चलते चावल निर्यातकों ने हरियाणा समेत सात राज्यों में धान की खरीद बंद कर दी है। इसके चलते किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। बासमती के दाम 3500-3600 रुपये प्रति क्विंटल से गिरकर 2500 पर पहुंच गए हैं। किसानों को प्रति क्विंटल कम से कम हजार रुपए का घाटा हो रहा है यानी उसे प्रति एकड़ 20000 से ज्यादा की चपत लग रही है। किसानों को आशंका है कि अगर निर्यातकों की हड़ताल जारी रही तो यह रेट और गिर सकता है।
चावल निर्यातकों का कहना है कि केंद्र सरकार ने बासमती चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य 1200 डॉलर प्रति टन रखा है, जो बहुत ज्यादा है। भारत सरकार द्वारा लगाई गई पाबंदियों का फायदा पाकिस्तान जैसे देश उठा रहे हैं और चावल का निर्यात कर रहे हैं। इस पाबंदी का हरियाणा के किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है। क्योंकि देश से लगभग 45 लाख टन चावल का निर्यात होता है, उसमें से 25 लाख टन अकेले हरियाणा से जाता है। लेकिन निर्यातकों की हड़ताल के चलते प्रदेश की मंडियों में 1121, 1509, 1781 और सरबती जैसी किस्मों की बिक्री पूरी तरह बंद हो गई है।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि हरियाणा की बीजेपी-जेजेपी सरकार किसानों की इस बर्बादी पर मूक दर्शक बनी हुई है। जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री को तुरंत प्रधानमंत्री से बात करनी चाहिए और केंद्र के सामने किसानों का पक्ष रखना चाहिए। इससे पहले कांग्रेस सरकार के समय जब निर्यात पर रोक लगी थी तो बतौर मुख्यमंत्री हमने तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह से अपील करके रोक को हटावाया था। किसानों को उसका भरपूर लाभ मिला था। कांग्रेस कार्यकाल में किसानों को 5 से साढ़े 5 हजार रुपये प्रति क्विंटल का रेट मिला था। लेकिन मौजूदा सरकार के समय ना मोटी धान का एमएसपी मिल पा रहा है और ना ही बासमती को अंतरराष्ट्रीय मार्केट का रेट।
कांग्रेस और किसानों की मांग है कि किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए सरकार निर्यात पर लगाई गई रोक को तुरंत हटाए। प्रदेश की मंडियों में हो रही सुस्त खरीद और उठान के जलते किसान पहले से ही परेशानी झेल रहा है। बारिश और ओलावृष्टि के चलते मंडी में पड़ी उसकी फसल भी भीग गई है। ऐसे में कुछ किसानों को निर्यात से थोड़े लाभ की उम्मीद बची है। लेकिन ऐसा लगता है कि सरकार यह उम्मीद भी उसे छीनना चाहती है।
हुड्डा ने निर्यात पर पाबंदी हटाने के साथ सेलरों के कोटे में उचित बढ़ोतरी की मांग भी उठाई। क्योंकि कोटा कम होने की वजह से मंडी में धान खरीदने वालों की संख्या बेहद कम रह गई। इसके चलते किसानों को उचित रेट भी नहीं मिल रहा है। मोटी धान के किसानों को प्रति क्विंटल 200 से 300 रुपये का घाटा हो रहा है। सरकार को किसानों की समस्या के समाधान के लिए रिलीज ऑर्डर जारी करना चाहिए। ताकि खरीददार अपने आसपास की मंडियों में जाकर भी खरीद कर सकें। प्राइवेट एजेंसियों को यह छूट मिलने से खरीददार बढ़ेंगे और किसानों को ज्यादा रेट मिलेगा।