किसानों को एमएसपी से वंचित करना बीजेपी-जेजेपी की अघोषित नीति- हुड्डा
- धान-बाजरा की खरीद, उठान और भुगतान नहीं होने से किसान परेशान- हुड्डा
- पीपीपी ने किया जनता का जीना मुहाल, 90% आईडी में पाई गई धांधली- हुड्डा
- जनता को परेशान करने के लिए बीजेपी-जेजेपी ने जनता के ही 105 करोड़ रुपये किए खर्च- हुड्डा
- कांग्रेस सरकार बनते ही पीपीपी होगा खत्म, सरकारी योजनाओं के लिए आधार कार्ड का डाटा पर्याप्त- हुड्डा
डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़- 03 अक्टूबर :
पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने धान और बाजरा किसानों की दुर्दशा के लिए बीजेपी-जेजेपी को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि किसानों को मुआवजे और एमएसपी के लिए वंचित करना गठबंधन सरकार की अघोषित नीति है। इसलिए जानबूझकर सरकार द्वारा देरी से सरकारी खरीद शुरू की गई ताकि किसानों को एमएसपी ना मिल सके। इतना ही नहीं खरीद शुरू होते ही सरकारी पोर्टल और व्यवस्थाओं की पोल खुल गई। हमेशा की तरह पोर्टल ने काम करना बंद कर दिया। किसानों के गेट पास से लेकर जे फॉर्म और ई फॉर्म निकलने मुश्किल हो गए।
खरीदी गई फसल के उठान को लेकर भी सरकार द्वारा कोई व्यवस्था नहीं की गई। मंडियां धान और बाजरे से अटी पड़ी हैं और अभी लाखों क्विंटल फसल का आना बाकी है। लेकिन अभी से आवक पर रोक लगा दी गई है। किसानों को कई-कई घंटे और कई-कई दिन लंबे इंतजार से होकर गुजरना पड़ रहा है।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस ने बार-बार सरकार से जल्द खरीद शुरू करने, मंडियों में व्यवस्थाएं सुधारने, उठान और भुगतान में तत्परता लाने की मांग की थी। लेकिन सरकार कुंभकरणी नींद सोई रही और किसानों को प्राइवेट एजेंसी के हवाले कर दिया। हुड्डा ने अपनी मांग दोहराते हुए कहा कि एमएसपी किसान का अधिकार है और प्रत्येक किसान की फसल एमएसपी पर बिकनी चाहिए। अब तक पूरा रेट नहीं मिलने की वजह से किसानों को जो घाटा हुआ है, सरकार को उसका भुगतान करना चाहिए।
पत्रकारों , बातचीत के बाद जारी बयान में हुड्डा ने फसल खरीद के साथ परिवार पहचान पत्र में धांधलियों का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि यह परमानेंट परेशानी पत्र है जिसकी धांधलियां खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं। अगस्त 2020 से अगस्त 2023 तक प्रदेश में करीब 70 लाख परिवार पहचान पत्र बने। उनमें 90% से ज्यादा में गड़बड़ियां पाई गईं। किसी में जन्म की तारीख, किसी में नाम, किसी में मैरिटल स्टेटस, किसी में योग्यता, किसी में विकलांग स्टेटस और किसी में आय गलत दिखाई गई। यहां तक कि जिंदा आदमी को मृत और मृत को जिंदा दिखा दिया गया। इतनी बड़ी मात्रा में गलतियां जानबूझकर ही हो सकती हैं, अनजाने में नहीं।
सरकार की गलतियों का खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है। लोग फैमिली आईडी की गलतियों को सुधरवाने के लिए लघु सचिवालयों के चक्कर काट रहे हैं। कई-कई दिनों तक उन्हें घंटों लंबी कतारों में खड़े रहना पड़ता है। बावजूद इसके समाधान नहीं हो पा रहा। इसलिए कांग्रेस ने ऐलान किया है कि जनता को जानबूझकर परेशान करने के लिए बनाई गई फैमिली आईडी को पार्टी की सरकार बनते खत्म किया जाएगा। सरकार के पास आधार कार्ड का डाटा पहले से मौजूद है। अगर उसे किसी योजना के लिए जनता का डाटा चाहिए तो आधार कार्ड का डाटा पर्याप्त है।