पंजाब के पास किसी भी अन्य राज्य को देने के लिए अतिरिक्त पानी नहीं
राकेश शाह /सारिका तिवारी, डेमोक्रैटिक फ्रंट, चण्डीगढ़ – 27 सितम्बर :
पंजाब के पास किसी राज्य को देने के लिए अतिरिक्त पानी नहीं यह बात आज पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने उत्तरी ज़ोनल कौंसिल की 31वीं बैठक को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में कही। उन्होंने कहा कि सतलुज यमुना लिंक (एस.वाई.एल.) नहर के बजाय यमुना सतलुज लिंक (वाई.एस.एल.) के प्रोजैक्ट पर सोच विचार करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सतलुज नदी में तो पहले ही पानी नहीं और इसमें से किसी अन्य को पानी की बूँद देने का सवाल ही पैदा नहीं होता। भगवंत सिंह मान ने कहा कि पंजाब को तो बल्कि सतलुज नदी के द्वारा गंगा और यमुना से पानी की सप्लाई करनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सतलुज यमुना लिंक नहर पंजाब के लिए बहुत ही ‘जज़्बाती मसला’ है और इस नहर के निर्माण से कानून-व्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। यह एक राष्ट्रीय समस्या बन जायेगी, जिसका प्रभाव हरियाणा और राजस्थान भी भुगतेंगे। उन्होंने कहा कि पंजाब के पास हरियाणा के साथ साझा करने के लिए कोई अतिरिक्त पानी नहीं है और अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार पानी की मौजूदगी का पुन: मुल्यांकन करना ज़रूरी है। यमुना के पानी समेत नयी शर्तें और बदले हुए हालात के अनुसार नये ट्रिब्यूनल की स्थापना करना ही पानी के विवाद का एकमात्र समाधान है।
भाखड़ा ब्यास प्रशासनिक बोर्ड (बी.बी.एम.बी.) में राजस्थान को मैंबर नियुक्त करने की माँग पर ज़ोरदार विरोध करते हुए मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने कहा कि पंजाब राज्य पुनर्गठन एक्ट 1966 के प्रस्तावों के अधीन बी.बी.एम.बी. का गठन हुआ और यह एक्ट मूलभूत रूप से दो उत्तराधिकारी राज्यों पंजाब और हरियाणा के मसलों के बारे में है। इस एक्ट के सभी प्रस्तावों के साथ राजस्थान और हिमाचल प्रदेश या किसी अन्य राज्य का कोई सम्बन्ध नहीं है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि इन कारणों से वह भाखड़ा-ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड में राजस्थान या हिमाचल प्रदेश से किसी तीसरे मैंबर को शामिल करने के प्रस्ताव का सख़्ती से विरोध करते हैं।
शानन पावर हाऊस प्रोजैक्ट का मुद्दा उठाते हुए मुख्यमंत्री ने दुख से कहा कि हिमाचल प्रदेश द्वारा जोगिन्दरनगर में शानन पावर हाऊस को स्थानांतरित करने का मुद्दा उठाया गया है, जिसके लिए यह तर्क दिया जा रहा है कि साल 1925 में मंडी के राजा ने इस प्रोजैक्ट के लिए 99 सालों के लिए ज़मीन लीज़ पर दी थी, जिसकी समय-सीमा साल 2024 में ख़त्म हो रही है। उन्होंने कहा कि यह बड़े दुख की बात है कि इस मुद्दे को उठाया गया जबकि यह प्रोजैक्ट पंजाब पुनर्गठन एक्ट-1966 के उपबंधों के अंतर्गत पंजाब राज्य बिजली बोर्ड को सौंपा गया था। पंजाब पुनर्गठन एक्ट संसद का एक्ट है जिससे पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश राज्य बने। जि़क्रयोग्य है कि इसी एक्ट ने नीचे की ओर बस्सी पावर हाऊस (उल हाइडल प्रोजैक्ट पड़ाव-2) की मलकीयत और कंट्रोल हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड को सौंपी है। यह स्थिति आधी सदी से अधिक समय से भारत सरकार द्वारा बिना कोई छेड़छाड़ के कायम रखी गई है। उन्होंने आगे कहा कि पंजाब राज्य बिजली बोर्ड ने साल 1975 से 1982 तक अपने खर्चे पर प्रोजैक्ट का विस्तार किया और इसकी क्षमता 48 मेगावाट से बढ़ाकर 110 मेगावाट की। भगवंत सिंह मान ने कहा कि यह मामला केंद्रीय बिजली मंत्रालय के समक्ष विचाराधीन है।
हिमाचल प्रदेश द्वारा चक्की नदी के पानी को मोडऩे के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की सरकार चक्की नदी में से करीब 127 क्यूसिक पानी हिमाचल प्रदेश में ले जाने के लिए नहर बनाने के बारे में विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि जल आपूर्ति एवं स्वच्छता विभाग, पंजाब ने चक्की नदी के पानी को पंजाब के पहाड़ी क्षेत्रों में दूर-दराज के इलाकों में स्थित गाँवों को पीने वाले पानी की सप्लाई के तौर पर देने के लिए 7 स्कीमें चलाई हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि गर्मियों के मौसम में चक्की नदी में बहुत कम पानी होता है और यदि पानी को हिमाचल की ओर मोड़ दिया जाता है तो नदी में पानी की कमी और अधिक बढ़ेगी एवं 35 गाँवों के लिए चलाई गई जल सप्लाई स्कीमों को बहुत प्रभावित करेगा, जिस कारण भूजल का स्तर और भी घटेगा।