Sunday, December 22

सुशील पण्डित, डेमोक्रेटिक फ्रंट, यमुनानगर – 26 सितम्बर :

सोशल मीडिया (फेसबुक तथा वट्सएप) में आए दिन वायरल हो रही झूठी खबरें पत्रकारिता तथा समाज के लिए आज चुनौती बन चुकी है। सोशल मीडिया पर फैली झूठी खबरों की वजह से लोगों को बहुत बडा नुकसान उठाना पड रहा है। जब तक खबरों की प्रमाणिकता का सही प्रकार से मूल्याकंन नहीं किया जाएगा, तब तक इस प्रकार की घटनाओं पर अंकुश लगना संभव नहीं है। उक्त शब्द चितकारा यूनिवर्सिटी राजपुरा पंजाब से आए एसोसिएट प्रोफेसर एवं फैक्टसशाला ट्रेनर डॉ पंकज गर्ग ने कहे। डीएवी गर्ल्स कॉलेज के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग, वुमेन स्टडी सेंटर व वुमेन सेल के संयुक्त तत्वावधान में फैक्टस चौकिंग एवं इंफोरमेशन लिट्रेसी विषय पर वर्कशाप का आयोजन किया गया। कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. मीनू जैन ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। कार्यक्रम पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्यक्ष परमेश कुमार की देखरेख में हुआ।

डॉ पंकज गर्ग ने कहा कि कहा कि लोगों की सोच को तब्दील करने के लिए आज सोशल मीडिया को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल झूठी फोटोज़ व विडियों को हम वैरीफाई किए बैगर आगे फॉरवर्ड कर देते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक वट्सअप पर हर रोज 100 बिलियन मैसेज सांझा होते है। अन्य सोशन नेटवर्किंग साइट का भी यही हाल है। उदाहरण के तौर पर उन्होंने बहुत सारी विडियो व फोटो दिखाकर उसकी प्रमाणिकता के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गुलग क्रोम में गुगल रिवर्स इमेज सर्च, सर्च बाई इमेज, टीनआई इत्यादि के जरिए फोटो व विडियो को वैरीफाई किया जा सकता है। टाइम टूल के जरिए पता लगाया जा सकता है कि वह फोटो कब खिंची गई। ऑब्जर्वेशन के जरिए भी सही गलत का पता लगाया जा सकता है। प्रिंसिपल डॉ मीनू जैन ने कहा कि झूठी व सच्ची खबर में क्या अंतर है, आज इसे समझने की बेहद जरूरत है। उन्होंने छात्राओं से आह्वान किया कि वे खबरों व फोटो की प्रमाणिकता को जांचें बिना आगे फारवर्ड न करें। परमेश कुमार ने कहा कि हमें ज्यादातर सूचना सोशल मीडिया से मिलती है। ये सूचनाएं कितनी सही या गलत है, इसकी हमें जानकारी नहीं होती। सभी को फैक्टस चेकिंग की नॉलेज होना बेहद जरूरी है। ताकि झूठी खबरों को वायरल होने से रोका जा सकें।  

हमें जिस भी प्लेटफॉर्म मिल रही सूचना मिल रही है, उसकी प्रमाणिकता जांचना बेहद जरूरी है। झूठी खबरें चंद सेकिंड्स में वायरल हो जाती है। जिसका समाज व लोगां पर विपरित असर पडता है।  

कार्यक्रम के सफल आयोजन में वुमेन सेल इंचार्ज डॉ मीनाक्षी सैनी, वुमेन स्टडी सेंटर इंचार्ज डॉ मीनू गुलाटी, पत्रकारिता विभाग की प्राध्यापिका पायल व वंशिका गुप्ता ने सहयोग दिया।