वाजपेयी सरकार ने दोबारा 13वीं लोकसभा में 1999 में इस विधेयक को पेश करने की कोशिश की। उस दौरान भी राजनीतिक दल इसी माँग को लेकर बँट गए। इसके बाद उन्होंने 2002 और 2003-2004 में भी इस बिल को पास करने की कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हो पाए। महिला आरक्षण पारित कराने के लिए पिछले 27 साल में मौजूदा सरकार समेत 4 सरकारों की ये 11वीं कोशिश है। ये बिल कैसे पारित होगा, कब से लागू होगा, कितने दिनों के लिए है, किन सीटों पर होगा।
राजवीरेंद्र वशिश्ट/ डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़ – 19 सितम्बर :
केंद्र सरकार ने संसद के निचले सदन, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण प्रदान करने से संबंधित ऐतिहासिक ‘नारीशक्ति वंदन विधेयक’ को मंगलवार को लोकसभा में पेश किया। विधेयक में कहा गया है कि आरक्षण अगली जनगणना के प्रकाशन और उसके पश्चात परिसीमन प्रक्रिया के बाद ही प्रभावी होगा। ऐसे में 2024 चुनाव से पहले इसके लागू होने की संभावना नहीं के बराबर है। इसका एक मतलब यह भी है कि भले ही विधेयक पारित हो जाए, लेकिन 2029 में चुनाव होने तक इसे अधिनियमित नहीं किया जा सकता है।
लोकसभा में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने महिला आरक्षण से जुड़ा 128वां संविधान संशोधन ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक-2023’ पेश किया. यह संसद के विशेष सत्र में नए संसद भवन में पेश किया जाने वाला पहला विधेयक है। सरकार ने कहा कि महिलाओं के आरक्षण से संबंधित इस संविधान संशोधन विधेयक का उद्देश्य राष्ट्र और राज्य स्तर पर नीति बनाने में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना है। विधेयक में फिलहाल 15 साल के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है और संसद को इसे बढ़ाने का अधिकार होगा।
- क्या संसद में बिल पारित होने से सभी राज्यों की विधानसभाओं में भी यह लागू हो जाएगा?
- क्या ये आरक्षण राज्यसभा और विधानपरिषदों में भी लागू होगा?
- क्या महिला आरक्षण आगामी 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में लागू हो पाएगा?
- क्या महिला आरक्षण हमेशा के लिए है?
- क्या एससी-एसटी महिलाओं को अलग से आरक्षण मिलेगा?
- क्या ओबीसी महिलाओं को अलग से आरक्षण मिलेगा?
- कौन-सी सीटों को महिलाओं के लिए रिजर्व किया जाए, ये कैसे तय होगा?
- क्या एक महिला, महिलाओं के लिए आरक्षित एक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ सकती है?
- क्या मौजूदा लोकसभा और विधानसभाओं पर इस बिल का कोई असर पड़ेगा?
- क्या रिजर्वेशन बिल लागू होने के बाद महिलाएं केवल आरक्षित सीटों से ही चुनाव लड़ पाएंगी?