- एमएसपी से कम रेट पर पिट रही धान, जल्द ख़रीद शुरू करे सरकार- हुड्डा
- धान के निर्यात से रोक हटाए सरकार, किसानों को होगा निर्यात से मुनाफा- हुड्डा
- कांग्रेस कार्यकाल में निर्यात के चलते किसानों को मिलते थे धान के एमएसपी से ऊंचे दाम- हुड्डा
- बोगस निकले बीजेपी-जेजेपी द्वारा किसानों को एमएसपी और मुआवजा देने के दावे- हुड्डा
डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़- 16 सितम्बर :
पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बताया है कि जींद में होने वाले ‘जन मिलन समारोह को लेकर तैयारियां जारी हैं। 8 अक्टूबर को होने वाले इस समारोह के संयोजक की जिम्मेदारी वरिष्ठ नेता अशोक अरोड़ा को सौंपी गई है। कार्यक्रम का आयोजन पार्टी के स्थानीय नेताओं द्वारा किया जाएगा। इसमें बड़ी तादाद में स्थानीय नेता, विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि, सर्व समाज के मौजिज लोग, गणमान्य हस्तियां और कार्यकर्ता शामिल होंगे।
हुड्डा द्वारा जारी बयान में आज एकबार फिर सरकार से जल्द धान की खरीद शुरू करने और उसके निर्यात पर लगाई गई पाबंदी को हटाने की मांग दोहराई गई है। हुड्डा ने कहा कि मंडियों में धान की आवक शुरू हो गई है। लेकिन अभी तक सरकारी खरीद शुरू नहीं होने के चलते किसानों को एमएसपी नहीं मिल पा रही। किसान एमएसपी से कम रेट पर फसल बेचने के लिए मजबूर हैं। पहले बाढ़ और अब सरकारी लेटलतीफी के चलते किसान को घाटे पर घाटा उठाना पड़ रहा है।
हुड्डा ने कहा कि बीजेपी-जेजेपी किसानों को ना एमएसपी दे पा रही है और ना ही मुआवजा। सरकार की तरफ से बोगस कागजी दावे किए जा रहे हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण और हास्यास्पद हैं। उदाहरण के तौर पर सरकार ने अब ऐलान किया है कि बाढ़ में खराबे के बाद जो किसान धान की फसल उगाएगा, उसे 7000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। सरकार को पता होना चाहिए कि यह सीजन धान उगाने का नहीं है। बल्कि धान पककर तैयार हो चुकी है और मंडियों में पहुंचनी शुरू हो चुकी है। इसी तरह जब किसान बाढ़ से त्रस्त थे और मुआवजे के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना चहते थे तो उस वक्त कोई बीमा कंपनी ही नहीं थी। सरकार ने तबतक बीमा कंपनियों को नोटिफाई ही नहीं किया था। इसी तरह बार-बार बीजेपी-जेजेपी द्वारा किसानों के जले पर नमक छिड़कने का काम किया जाता है।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस कार्यकाल के दौरान धान का निर्यात होता था। इसके चलते देश व प्रदेश के किसानों को फसल का ऊंचा रेट मिलता था। अक्सर धान की फसले परमल एमएसपी से भी ऊंचे रेट और बासमती 5000 से 6000 रुपये प्रति क्विंटल तक बिकती थी। निर्यात के चलते किसानों को खासा मुनाफा होता था। लेकिन मौजूदा केंद्र सरकार ने धान के निर्यात पर रोक लगाकर किसानों को होने वाले संभावित मुनाफे पर अंकुश लगा दिया है। हरियाणा सरकार द्वारा केंद्र के सामने किसानों की वकालत तक नहीं की जा रही।