पं. विष्णु दिगंबर पलुस्कर की 150वीं जयंती व गंधर्व महा-विद्यालय, पंचकूला के 75 वर्ष पूरे होने पर भव्य संगीत कार्यक्रम का आयोजित

चंडीगढ़ 8 सितम्बर 2023ः 

शास्त्रीय संगीत के महान दिग्गज पं. विष्णु दिगंबर पलुस्कर की 150वीं जयंती तथा गंधर्व महा-विद्यालय,  पंचकूला  के स्थापना के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में गंधर्व महा-विद्यालय, पंचकुला द्वारा टैगोर थिएटर में संगीत संध्या का आयोजन किया गया। 
इस अवसर पर हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय मुख्य अतिथि थे। संगीत संध्या में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित तबला वादक पंडित योगेश समसी ने अपने तबले के थाप व हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत गायक डॉ. आदित्य शर्मा ने अपने मधुर गायन से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। 

कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि और अन्य विशिष्ट अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर की गई। जिसके उपरांत गंधर्व महा-विद्यालय, पंचकूला के संगीत विद्यार्थियों ने राग हंसध्वनि में दो रचनाएं ’मां शारदे वुड्यादानी’ और ’मंगला नारायणी’ सुंदर प्रस्तुति देकर श्रोताओं का मन मोह लिया। जिसके बाद विद्यार्थियों द्वारा पंडित विष्णु दिगंबर पलुस्कर द्वारा रचित गुरबाणी का एक प्रसिद्ध शबद ’साधो मन का मान त्यागो’ श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत किया। इन वस्तुओं को प्रस्तुत करने वाले महा-विद्यालय के छात्र थे- त्रिष्या, हिमांगी, मीनाक्षी, ऋतविक, प्रबल, वाणी। गायन के दौरान साथ हारमोनियम पर राहुल और तबले पर अमन ने संगत की। 

इस अवसर पर हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत गायक डॉ. आदित्य शर्मा, जो महा-विद्यालय परिवार की तीसरी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं, ने राग भूपाली में पंडित विष्णु दिगंबर पलुस्कर की पारंपरिक रचना ’जब ही सब निरपात भयी’ को धीमी ख्याल में प्रस्तुत किया और जिसके बाद उन्होंने ताल तिलवाड़ा में निबद्ध रचना ’जब से तुम संग लगी’ सुनाकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। उन्होंने अपने गायन का समापन तराना के साथ किया। इस दौरान उनके साथ हारमोनियम पर आदर्श सक्सेना और तबले पर रजनीश धीमान ने संगत की। 
वहीं दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित योगेश समसी ने श्रोताओं के समक्ष तीन ताल की विस्तृत प्रस्तुति व जटिल और सूक्ष्म विविधताओं ने श्रोताओं को आनंदित करने के साथ मंत्रमुग्ध कर दिया। इस दौरान हारमोनियम पर उनके साथ जाने-माने हारमोनियम वादक डॉ. विनय मिश्रा ने बहुत ही कुशलता से संगत की।

कार्यक्रम का समापन वर्तमान संगीत की गिरती गुणवत्ता और हमारी समृद्ध संगीत विरासत को संरक्षित करने की आवश्यकता पर महा-विद्यालय के डायरेक्टर डॉ. अरविंद शर्मा के धन्यवाद और टिप्पणियों के साथ हुआ।