सुशील पण्डित, डेमोक्रेटिक फ्रंट, यमुनानगर – 05 सितम्बर :
शिक्षक दिवस के अवसर पर उत्थान कोशिश ईकाई के दिव्यांग बच्चों ने शिक्षक दिवस मनाया। इस अवसर पर दिव्यांग बच्चों ने यह साबित कर दिया कि हुनर किसी का मोहताज नहीं होता बस एक अच्छे मार्गदर्शक की जरूरत होती है। बच्चे भी शिक्षक बने और विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया। दिव्यांग बच्चों ने इस दिन को और विशेष बना दिया, बच्चों ने अपने अपने अंदाज में शिक्षकों को बधाई दी।कुछ ने लिखकर, स्पीच देकर, म्यूजिक, डांस, स्पोर्ट गेम से शिक्षकों का मन मोह लिया।
उत्थान संस्थान की डायरेक्टर डॉक्टर अंजू बाजपई ने कहा कि हर व्यक्ति के जीवन में उसके शिक्षक का सबसे महत्वपूर्ण स्थान होता है। गुरु को भगवान का दर्जा दिया जाता है।उन्होंने बताया कि ऐसे बच्चों के लिए शिक्षक की भूमिका बहुत अहम भूमिका होती है, क्योंकि बच्चों को सुनने, बोलने, चलने और समझने में कठिनाई ज्यादा होती है, इसलिए ऐसे बच्चों को संभालने में अध्यापकों को ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन ऐसी परिस्थितियों को दूर करने के लिए विशेष शिक्षा में डिग्री किए शिक्षक ही दिव्यांग बच्चों को अच्छी तरह से देखभाल और उन्हें आत्मनिर्भर बना सकते हैं।
उन्होंने सभी को शिक्षक दिवस की बधाई देते हुए दो पंक्तियां शिक्षक दिवस पर कही.”गुमनामी के अंधेरे में था, पहचान बना दिया जीवन की हर मुश्किल और उलझन को आसान बना दिया।गुरु की कृपा ने मुझे एक अच्छा इंसान बना दिया। कोशिश इकाई के प्रिंसिपल रविंद्र मिश्रा कहा की यह सुनिश्चित करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि दिव्यांगजन अपना जीवन स्वतंत्र रूप से और सम्मान के साथ व्यतीत कर सकें। यह सुनिश्चित करना भी हमारा कर्तव्य है कि उन्हें अच्छी शिक्षा प्राप्त हो, वे अपने घरों और समाज में सुरक्षित रहें।
भारतीय संस्कृति और परंपरा में दिव्यांगता को ज्ञान प्राप्ति और उत्कृष्ट बनने में कभी बाधा नहीं माना गया है तथा प्रायः देखा गया है कि दिव्यांगजन दिव्य-गुणों से युक्त होते हैं। दिव्यांगजनों में सामान्य लोगों की तरह ही प्रतिभाएं और क्षमताएं मौजूद होती हैं और कभी-कभी उनसे कहीं ज्यादा होती हैं। उन्होंने कहा कि दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उनमें सिर्फ आत्मविश्वास उत्पन्न करने की आवश्यकता है। मौके पर उत्थान संस्थान से स्वाति,हनी तोमर और सुमित सोनी मौजूद रहे।