Sunday, December 22
  • अध्यापक बच्चों/युवाओं को किताबी ज्ञान के साथ-साथ नैतिकता का सबक भी पढाये, मेहनत और ईमानदारी के रास्ते पर चलकर जिंदगी में आगे बढने का ज्ञान भी दें : ज्योति सभ्रवाल

नन्द सिंगला, डेमोक्रेटिक फ्रंट, पंचकुला – 05 सितम्बर :

    खण्ड़ शिक्षा अधिकारी ज्योति सभ्रवाल ने शिक्षक दिवस की सभी अध्यापकों एवं अन्य लोगों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि शिक्षक ही है जो विद्यार्थी को आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करते है। उन्होंने कहा कि शिक्षक ही बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ-साथ उन्हें नैतिकता, इनसानियत का सबक भी पढ़ाते है। हमारे देश की सभ्यता, संस्कृति और धार्मिक ग्रंथो में भी कहा गया है कि गुरू भगवान से भी बढकर होता है। कबीर जी ने एक दोहे में गुरू की महिमा बताते हुए कहा है कि गुरू गोविन्द दोऊ खड़े काके लांगू पायं बलिहारी गुरू आपने जिन गोविन्द दियो बताय। उन्होंने कहा कि देश और समाज को सही राह पर ले जाने में शिक्षकों की भी मुख्य भूमिका रहती है। उन्होंने कहा कि अध्यापक बच्चों/युवाओं को मात्र किताबी ज्ञान या मात्र डिग्री हासिल करवाने की ही न पढाई करवाए, बल्कि नैतिकता का सबक भी पढाये, मेहनत और ईमानदारी के रास्ते पर चलकर जिंदगी में आगे बढने का ज्ञान भी दें। 

    बता दें कि विश्व के अनेक  देशों में शिक्षकों को विशेष सम्मान देने के लिये शिक्षक दिवस का आयोजन किया जाता है। वैसे तो भारत में अपने गुरु को आदर व् सम्मान देने की एक पवित्र परम्परा प्राचीनकाल से उपलब्ध है फिर भी भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन 5 सितम्बर भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने अपने छात्रों से उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की इच्छा जताई थी।   बॉक्स- सहायक प्रोफैसर डॉ. निर्मल सिंह का कहना है कि शिक्षक, विद्यार्थी और शिक्षा में वह कड़ी है जो समाज की अन्य सभी कडिय़ां को जोड़ती हैं। आज जरूरत केवल किताबी ज्ञान की ही नहीं, अपितु नैतिक मूल्यों से परिपूर्ण शिक्षा की है। वैसे भी समाज को यह नहीं भूलना चाहिए जन्मदाता से ज्यादा महत्व शिक्षक का होता है। सफलता किसी की भी हो उस नींव में अहम योगदान शिक्षक का ही होता है। बिना शिक्षक न तो कोई व्यक्ति महान बन पाया है न ही बिना गुरु-शिष्य कोई देश महान बनने का सपना देख सकता है।

राजकीय सीनीयर सैकण्डरी स्कूल जटवाड़ की प्रिंसीपल नीलम शर्मा ने सभी को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि एक शिक्षक अपने बच्चों को सही शिक्षा, प्रेरणा, सहनशीलता, व्यवहार और सही मार्गदर्शन देकर उनके भविष्य को उज्ज्वल बनाता है एक आदर्श शिक्षक श्रेष्ठ गुणों से परिपूर्ण होता है।

सहायक प्रोफैसर डॉ. सुमन लता ने कहा कि टैक्नोलॉजी ने शिक्षक के भाव, भूमिका और भविष्य तीनों पर भारी दबाव बना दिया है। टैक्नोलॉजी शिक्षा व्यवस्था का स्थाई घटक बन चुका हैं। गूगल, इंटरनेट का माया जाल, मीडिय़ा और सोशल मीडिय़ा का सूचना संसार जिस तरह की ज्ञान संरचना गढ़ रहा है, वह नई तरह के दबावों के निर्माण  की वजह बन रहा है। बाजार के प्रभावों से उपजी संस्कृति ने शिक्षा और शिक्षक की भूमिका को पूरी तरह बदल दिया।

शिक्षाविद् रजनीश शर्मा ने कहा कि 5 सितंबर को स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। विद्यार्थी अपने प्रिय शिक्षकों के प्रति अपनी खुशी व्यक्त करने के लिए कई तरह के कार्यक्रम भी करते हैं। इस दिन कई स्कूलों में विद्यार्थी खुद शिक्षक बनते हैं। साथ ही वे उन गुरुओं को भी याद करते हैं, जो स्कूल छोड़ चुके होते हैं। 

हिन्दी प्राध्यापक रघुवीर सिंह का कहना है कि हिन्दी भाषा का महत्व इसी बात से पता चल जाता है कि यह आज जन-जन की भाषा बन चुकी है यह सबसे शुद्ध भाषा है जैसे लिखी जाती है वैसे ही बोली जाती है। इसके उच्चारण में कोई भी शब्द साइलेंट नहीं होता। इसका जन्म देव भाषा  संस्कृत से हुआ है इसलिए यह और भी पूज्यनीय बन जाती है।