Sunday, December 22

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – राशिफल, पंचांग 30 अगस्त 2023 :

नोटः आज ही रक्षाबंधन है, श्रावणी उपाकर्म, यजुर्वेदि-अथर्वेदि उपाकर्म, हयग्रीव जयंती, श्रीसत्यनारायण व्रत, कोकिला व्रत पूर्ण तथा गायत्री जयंती है

Gayatri jayanti on 13th June, How is Their Incarnation And Why Are They  Called Vedmata | गायत्री जयंती 13 जून को, कैसे हुआ इनका अवतरण और क्यों कहा  जाता है इनको वेदमाता -

गायत्री जयंती : हर साल श्रावण पूर्णिमा के दिन गायत्री जयंती का पावन पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता गायत्री का जन्म श्रावण पूर्णिमा को हुआ था। हर साल श्रावण पूर्णिमा के दिन गायत्री जयंती का पावन पर्व मनाया जाता है। गायत्री जयंती के दिन विधि- विधान से गायत्री माता की पूजा- अर्चना करनी चाहिए।

Hayagriva Jayanti 2021 | Lord Hayagreeva Jayanthi | HinduPad

हयग्रीव जयंती का पर्व सावन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के आधार पर इस दिन भगवान श्री विष्णु ने हयग्रीव अवतार लिया था। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से एक अवतार हयग्रीव भी हैं। हरग्रीव अवतार से संबंधित अनेक कथाएं भी प्राप्त होती हैं।

नोटः आज प्रातः 10.19 से पंचक प्रारम्भ हो रहे हैं, पंचक काल में तृण, काष्ठ, धातु का संचय व भवन निर्माण और नवीन कार्य तथा यात्रा आदि कर्म वर्जित होते हैं। पंचक काल में शव दाह का भी निषेध होता है। चूंकि शव को इतनी लंबी अवधि हेतु रोकना देश काल परिस्थिति के अनुसार मुश्किल हैं, अतः योग्य वैदिक ब्रह्मण की सलाह लेकर पंच पुतलों का दाह और पंचक नक्षत्रों की शांति विधि पूर्वक करानी चाहिए। क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि मृतक व्यक्ति के परिवार व संबंधियों में से ही पॉच व्यक्तियों के अकालमृत्यु होने की आशंका बनी रहती है।

विक्रमी संवत्ः 2080, 

शक संवत्ः 1945, 

मासः श्रावण (शुद्ध द्वितीय), 

पक्षः शुक्ल पक्ष, 

तिथिः चतुर्दशी प्रातः कालः 10.59 तक है, 

वारः बुधवार। 

विशेषः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर बुधवार को राई का दान, लाल सरसों का दान देकर यात्रा करें।

नक्षत्रः धनिष्ठा 

रात्रि काल  काल 08.47 तक है, 

योगः अतिगण्ड 

रात्रि काल 09.32 तक, 

करणः वणिज, 

सूर्य राशिः सिंह, चंद्र राशिः मकर, 

राहु कालः दोपहर 12.00 बजे से 1.30 बजे तक, 

सूर्योदयः 06.02, सूर्यास्तः 06.41 बजे।