अब चंदामामा दूर के नहीं : प्रधान मंत्री

भारत चांद के किसी भी हिस्से में यान उतारने वाला दुनिया का चौथा देश भी बन गया है। इससे पहले अमेरिका, सोवियत संघ और चीन को ही यह कामयाबी मिली है। अब सभी को विक्रम लैंडर से प्रज्ञान रोवर के बाहर आने का इंतजार है। धूल का गुबार शांत होने के बाद यह बाहर आएगा। इसमें करीब 1 घंटा 50 मिनट लगेगा। इसके बाद विक्रम और प्रज्ञान एक-दूसरे की फोटो खींचेंगे और पृथ्वी पर भेजेंगे।

चंद्रयान-3 लैंडिंग से ठीक पहले वर्टिकल पोजिशन में आया। - Dainik Bhaskar
चंद्रयान – 3 लैंडिंग से ठीक पहले वर्टिकल पोजिशन में आया

सारीका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, बेंगलुरु/चण्डीगढ़ – 23अगस्त :

भारत ने इतिहास रच दिया है क्योंकि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के महत्वाकांक्षी तीसरे चंद्र अभियान चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर ने बुधवार शाम को चंद्रमा की सतह को छू लिया है। भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश और धरती के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया है, जो अब तक अनछुआ था।

इस अभियान के तहत यान ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की, जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंच पाया था। चंद्र सतह पर अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कर चुके हैं, लेकिन उनकी ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर नहीं हुई थी। ‘चंद्रयान 3’ की सफलता को लेकर देश भर में प्रार्थनाएँ हो रही थीं।

बता दें कि ISRO के ‘चंद्रयान 3’ का बजट मात्र 75 मिलियन डॉलर (615 करोड़ रुपए) ही था, जो अंतरिक्ष के विषय पर बनी हॉलीवुड की फिल्म ‘Interstellar’ (2014) के बजट से भी कम है। दुनिया के सबसे अमीर उद्योगपति एलन मस्क ने भी इस पर टिप्पणी की है। बता दें कि ‘इंटरस्टेलर’ का बजट 165 मिलियन डॉलर था। एलन मस्क ने कहा है कि ये मिशन भारत के लिए काफी अच्छा है। बता दें कि ‘चंद्रयान 3’ को 14 जुलाई, 2023 को अंतरिक्ष के लिए लॉन्च किया गया था।

BRICS समिट में हिस्सा लेने के लिए दक्षिण अफ्रीका गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लैंडिंग के कार्यक्रम से वर्चुअली जुड़े हुए थे। जहाँ ‘चंद्रयान 3’ के लैंडर का नाम विक्रम है, वहीं इसके रोवर का नाम प्रज्ञान है। बता दें कि इस मिशन के बारे में जानकारी ISRO के मुखिया रहे के सिवन ने 2020 में ही दे दी थी। उन्होंने बताया था कि जहाँ रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल में 250 करोड़ रुपए का खर्च आया है, वहीं वहीं लॉन्च सर्विस 365 करोड़ रुपए के खर्च से हुआ।

वहीं बता दें कि ‘चंद्रयान 2’ मिशन 978 करोड़ रुपए में पूरा किया था, लेकिन वो लैंड नहीं कर पाया था। उस दौरान भावुक के सिवन को सांत्वना देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वीडियो भी सामने आया था। जिस तरह से उन्होंने वैज्ञानिकों को ढाँढस बँधाया था, उसके बाद उनकी जम कर तारीफ़ हुई थी। वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए इस कार्यक्रम से जुड़े प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस उपलब्धि पर मुस्कुराते हुए नजर आए। इसके बाद उन्होंने अपना संबोधन शुरू किया।

PM मोदी बोले- चंदा मामा के दूर के नहीं, एक टूर के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़कर वैज्ञानिकों को बधाई दी। उन्होंने कहा- यह क्षण भारत के सामर्थ्य का है। यह क्षण भारत में नई ऊर्जा, नए विश्वास, नई चेतना का है। अमृतकाल में अमृतवर्षा हुई है। हमने धरती पर संकल्प लिया और चांद पर उसे साकार किया। हम अंतरिक्ष में नए भारत की नई उड़ान के साक्षी बने हैं।

नया इतिहास बनते ही हर भारतीय जश्न में डूब गया है। पहले कहा जाता था कि चंदा मामा बहुत दूर के हैं। एक दिन ऐसा आएगा कि बच्चे कहेंगे चंदा मामा बस टूर के हैं।

राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने कहा- भारतीय वैज्ञानिकों ने इतिहास रच दिया। उन्हें बधाई। चंद्रयान की सफलता मानवता के लिए बड़ा पल है।

तब रूस के नाम हो जाता यह रिकॉर्ड
भारत से पहले रूस चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लूना-25 यान उतारने वाला था। 21 अगस्त को यह लैंडिंग होनी थी, लेकिन आखिरी ऑर्बिट बदलते समय रास्ते से भटक गया और चांद की सतह पर क्रैश हो गया।

चांद पर लैंडिंग में 41 दिन लगे

चंद्रयान-3 आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई को 3 बजकर 35 मिनट पर लॉन्च हुआ था। इसे चांद की सतह पर लैंडिंग करने में 41 दिन का समय लगा। धरती से चांद की कुल दूरी 3 लाख 84 हजार किलोमीटर है।

लैंडिंग के बाद अब क्या होगा?

  • डस्ट सेटल होने के बाद विक्रम चालू होगा और कम्युनिकेट करेगा।
  • फिर रैंप खुलेगा और प्रज्ञान रोवर रैंप से चांद की सतह पर आएगा।
  • पहिए चांद की मिट्‌टी पर अशोक स्तंभ और ISRO के लोगो की छाप छोड़ेंगे।
  • विक्रम लैंडर प्रज्ञान की फोटो खींचेगा और प्रज्ञान विक्रम की। ये फोटो वे पृथ्वी पर भेजेंगे।