भारत की युवा आबादी पर बड़ा खतरा, हो रहे कार्डियक अरेस्ट का शिकार डॉक्टर टीएस क्लेर फोर्टिस हॉस्पिटल

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़- 10 अगस्त :


देश के युवाओं में कार्डियक अरेस्ट के मामले काफी ज्यादा बढ़ रहे हैं, ऐसे में लोगों के बीच अवेयरनेस फैलाने की जरूरत है. हाल के कुछ आंकड़े बहुत ही डरावने हैं जिनसे पता चलता है कि यंग एज ग्रुप में मौत का एक बड़ा कारण कार्डियक अरेस्ट बन गया है. लिहाजा, ये जरूरी है कि लोगों को कार्डियक अरेस्ट के लक्षणों, संकेत और बचाव के तरीकों की जानकारी दी जाए ताकि वो इस जानलेवा परेशानी से खुद को बचा सकें.कार्डियक अरेस्ट एक क्रिटिकल मेडिकल इमरजेंसी है जिसमें हृदय ब्लड को प्रभावी ढंग से पंप करना बंद कर देता है, और मरीज को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है, होश खो बैठता है. इसमें मरीज अचानक गिर जाता है, पल्स रुक जाती हैं और सांस भी थमने लगता है. अगर तुरंत मेडिकल हेल्प न मिले तो मरीज के बचने की संभावना खत्म हो जाती है और महज 10 मिनट के अंदर मरीज की मौत हो जाती है. कार्डियक अरेस्ट होने के कारण अलग-अलग हो सकते हैं. लगभग 85% मामलों में, कार्डियक अरेस्ट पहले से मौजूद हार्ट की समस्याओं जैसे कार्डियोमायोपैथी या पिछले दिल के दौरे के कारण होता है. जिन मरीजों के हार्ट की पंपिंग क्षमता कम होती है और इजेक्शन फ्रैक्शन 35% से कम होता है, उन्हें कार्डियक अरेस्ट का ज्यादा खतरा रहता है. कुछ मामलों में कार्डियक अरेस्ट वंशानुगत हार्ट डिजीज जैसे हाइपरट्रोफिक कार्डियोमायोपैथी, क्यूटी प्रोलॉन्गेशन, ब्रूगाडा सिंड्रोम और एराइथमॉजेनिक राइट वेंट्रिकुलर डिस्प्लेसिया की दिक्कत वालों को होता है. इन परेशानियों का टाइम पर पता लगाने की जरूरत है, जिसके लिए इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी (ईसीजी), ईकोकार्डियोग्राफी कराएं और कार्डियक फिजिशियन को दिखाएं.


फोर्टिस हार्ट एंड वैस्कुलर इंस्टीट्यूट के चेयरमैन डॉक्टर टीएस क्लेर ने इस बात पर जोर दिया कि कार्डियोपल्मोनरी रिसकिटशन (सीपीआर) को तत्काल मैनेज करना कार्डियक अरेस्ट के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है. इसके अलावा, बिजली के झटके के माध्यम से डिफाइब्रिलेशन और एडवांस कार्डियक लाइफ सपोर्ट की मदद से मरीज से बच पाने की संभावना बढ़ जाती है. भारत में युवा आबादी के बीच जो कार्डियक अरेस्ट के मामले बढ़ रहे हैं उनमें सबसे बड़ा कारण खराब लाइफस्टाइल है. युवाओं की खाने-पीने की आदतें सही नहीं हैं, प्रोसेस फूड ज्यादा खा रहे हैं, शुगर का इनटेक ज्यादा है, हाई ग्लाइसेमिक कार्बोहाइड्रेट्स ले रहे हैं, उनकी रूटीन भी सही नहीं है, मोटापा बढ़ रहा है, तंबाकू और शराब का सेवन ज्यादा करते हैं, स्ट्रेस ज्यादा है. इन सब तमाम कारणों के चलते युवा हार्ट डिजीज और हार्ट अटैक का शिकार हो रहे हैं. हाल में ये भी सामने आया है कि गलत तरीके से एक्सरसाइज और मसल गेन के लिए प्रोटीन सप्लीमेंट्स लेने से भी हार्ट पर असर पड़ता है, खासकर उन युवाओं में जो इसे ज्यादा मात्रा में लेते हैं.