हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ ने नई स्थानांतरण नीति को बताया अव्यवहारिक : पितांबर मोहन
संदीप सैनी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, पंचकुला – 07 अगस्त :
आज हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ संबंधित सर्व कर्मचारी संघ जिला पंचकूला की कार्यकारिणी की मीटिंग हुई जिसमें नई स्थानांतरण नीति पर विचार विमर्श किया गया। इस मीटिंग में जिले के सभी पदाधिकारियों ने भाग लिया स्थानांतरण नीति पर बोलते हुए प्रधान श्री पीतांबर मोहन ने बताया की जिस तरह छात्र संख्या के ऊपर रैशलेइजेशन किया गया वह बिल्कुल व्यवहारिक नहीं है। पंचकूला जिले में बहुत से ऐसे स्कूल है जहां पर छात्र संख्या अधिक है परंतु सरकार द्वारा स्वीकृत पद कम कर दिए गए हैं। कहीं 3 अध्यापक तो कहीं 4 अध्यापक कम दर्शाए गए हैं। इसके अतिरिक्त जिस प्रकार जॉन सिस्टम खत्म करके ब्लॉक सिस्टम किया जा रहा है यह भी केवल और केवल अपने लोगों को दोबारा बढ़िया स्टेशनों पर भेजने के लिए किया गया क्योंकि अभी तक जो अध्यापक लगातार 5 और 6 व 7 जॉन में रहे उनको दोबारा फिर से कम अंकों के आधार पर कठिन स्थानों पर भेजा जाएगा और जो लोग पहले से बढ़िया जॉन में रहे उन्हें फिर से वही जॉन मिलेंगे। इस प्रकार अध्यापकों के साथ न्याय नहीं होगा इसके अतिरिक्त नई पॉलिसी में मोरनी और मेवात के लिए भेजे जाने वाले अध्यापकों को 10% मूल वेतन का तथा अतिथि अध्यापकों को ₹10000 देने का प्रावधान है परंतु अध्यापक संबंधित जिले का नहीं होना चाहिए और उसने मोरनी या पंचकूला से 10वीं और 12वीं की कक्षा पास ना की हो वही लोग लाभ के पात्र होंगे। जोकि मोरनी और जिला पंचकूला के मूल निवासियों के साथ भेदभाव पूर्ण व अन्यायपूर्ण घोषणा है। कुछ अधिकारी और राजनेता अपने लोगों को मोरनी में भेजने के लिए इस प्रकार की नीति की घोषणा करते हैं। जिसका हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ पंचकूला पूर्ण विरोध करता है तथा मांग करता है कि जिस प्रकार सभी कर्मचारियों को ₹700 पहाड़ी भत्ता दिया जाता है उसी प्रकार सभी कर्मचारियों को 10% मूल वेतन का वह कांटेक्ट तथा अतिथि अध्यापकों को ₹10000 अतिरिक्त वेतन दिया जाए। मोरनी के बहुत से अध्यापक का हरियाणा के विभिन्न जिलों में काम कर रहे हैं। उनको मोरनी ब्लॉक में स्थानांतरित किया जाए। इसी प्रकार जो जिला पंचकूला से अध्यापक हैं उन अध्यापकों से मोरनी का ऑप्शन मांगा जाए ताकि वे अच्छे से इस दुर्गम क्षेत्र में काम कर सकें तथा दूर-दूर के जिलों से वापिस अपने जिले में आ सकें परंतु यहां तो बहुत सारे अध्यापकों को डेपुटेशन पर भेजा जा रहा है ताकि उन्हें अतिरिक्त वेतन का लाभ दिया जा सके।
शिक्षा पर बोलते हुए राज्य ऑडिटर विजयपाल ने बताया कि सरकार नहीं चाहती कि गरीबों के बच्चों को शिक्षा दी जा सके। सरकार हर रोज नई नीतियां लेकर लोगों को शिक्षा से दूर करते जा रही है। इसकी एक बानगी चिराग योजना है। जिससे छात्रों को सरकारी स्कूलों से निकालकर प्राइवेट में भेजा जा सके उन्हें तो सरकार ₹1100 तक देती है जबकि सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों से गरीब होने पर भी ₹500 मासिक फीस ले रही है।
जिला सचिव श्री यादराम में संबोधित करते हुए कहा की इस सरकार की करनी और कथनी में बहुत अंतर है जिस प्रकार सिलेबस को तोड़ मरोड़ कर पेश किया जा रहा है वह बहुत निंदनीय है। सरकार नहीं चाहते कि कोई बच्चा अच्छे से पढ़ सके इसीलिए पहली और दूसरी कक्षा को विद्यालय से बाहर किया जा रहा है ताकि शिक्षा के ढांचे को नष्ट किया जा सके। इसके अतिरिक्त जिस प्रकार सरकार ने छात्राओं के विद्यालयों को बंद किया वह भी निंदनीय है। हम इसका विरोध करते हैं उन्होंने बताया की अध्यापक संघ पिछले 102 दिन से यमुनानगर में क्रमिक अनशन पर बैठा है तथा जब तक सरकार बात नहीं करती तब तक अध्यापक संघ अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए इस प्रकार के विरोध प्रदर्शन जारी रखेगा तथा लोगों के बीच में जाकर सरकार की नीतियों के बारे में लोगों को जागरूक करेगा।