Thursday, December 18

बिल को पारित करने के दौरान आम आदमी पार्टी(आआपा) सांसद सुशील कुमार रिंकू द्वारा वेल में आकर कागज फाड़कर आसन पर फेंकने के कारण उन्हें मानसून सत्र की बची हुई अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया है। आप सांसद के व्यवहार के कारण स्पीकर ने उन्हें नामित किया, संसदीय कार्य मंत्री जोशी ने निलंबन का प्रस्ताव रखा और उसे सदन ने मंजूर कर दिया।

Delhi Ordinance Bill लोकसभा में हुआ पास, AAP सांसद निलंबित

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़/नयी दिल्ली – 03 अगस्त :

दिल्ली के अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़े अध्यादेश की जगह लेने वाला दिल्ली सेवा बिल लोकसभा में गुरुवार को ध्‍‍‍‍‍वनि मत से पास हो गया। इस दौरान चर्चा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह  ने कहा कि केंद्र को कानून बनाने का अधिकार है। यह अध्यादेश पूरी तरह से संवैधानिक है। इसके पास होते ही विपक्षी पार्टियों का गठबंधन टूट जाएगा। वहीं, विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया है। बिल पास होने के बाद सदन को कल तक के लिए स्‍थगित कर दिया गया है।

इससे पहले दिल्ली सेवा बिल 2023 पर लोकसभा में चर्चा के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आम आदमी पार्टी समेत पूरे विपक्ष को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा है कि अरविंद केजरीवाल का बंगला बनाने में हुए भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए इस बिल का विरोध हो रहा है। अमित शाह ने यह भी कहा कि गठबंधन बनने से कोई फायदा नहीं होगा। नरेंद्र मोदी फिर से पूर्ण बहुमत से प्रधानमंत्री बनेंगे।

अमित शाह ने कहा कि 1993 के बाद दिल्ली में कभी कांग्रेस और कभी भाजपा की सरकार आई। दोनों में से किसी दल ने दूसरे के साथ झगड़ा नहीं किया, लेकिन 2015 में ऐसी सरकार आई, जिसका मकसद सेवा करना नहीं, झगड़ा करना है। उन्होंने कहा कि इनका मकसद कानून व्यवस्था और स्थानांतरण पर नियंत्रण नहीं, बल्कि विजिलेंस को नियंत्रण में लेकर बंगले और भ्रष्टाचार का सच छिपाना है।

अमित शाह ने इतिहास का आइना भी दिखाया, कहा कि पट्टाभि सीतारमैया समिति ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की सिफारिश की थी। जब यह विषय तत्कालीन संविधान सभा के समक्ष आया, तब पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, राजाजी (राजगोपालाचारी), डॉ. राजेंद्र प्रसाद और डॉ. भीमराव आंबेडकर ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज दिये जाने का विरोध किया था।

उन्होंने आगे कहा, “मुझे यह कहने में कोई झिझक नहीं है कि 2015 में स्थिति बदली और यहाँ एक ऐसे दल की सरकार आई, जिसका मकसद सेवा करना नहीं, झगड़ा करना है। यहाँ समस्या अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के अधिकार का नहीं है, बल्कि विजिलेंस को हाथ में लेकर जो बंगला बना दिया है इसकी सच्चाई छिपाना है। जो भ्रष्टाचार हो रहा है, इसकी सच्चाई छुपाना है।”

अमित शाह ने विपक्ष के नए-नवेले I.N.D.I.A. गठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा है, “मेरी सभी से विनती है कि चुनाव जीतने के लिए किसी पार्टी का समर्थन या विरोध करना, यह सही राजनीति नहीं है। विधेयक और कानून देश की भलाई के लिए लाया जाता है। इसलिए इसका विरोध और समर्थन दिल्ली की भलाई के लिए करना चाहिए।”

उन्होंने आगे कहा, “दिल्ली की भलाई के लिए बिल का समर्थन करना चाहिए। मेरी अपील है विपक्ष के सदस्यों को दिल्ली के बारे में सोचना चाहिए। गठबंधन की मत सोचिए। गठबंधन से फायदा होने वाला नहीं है। गठबंधन बनने के बाद भी पूर्ण बहुमत से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनेंगे।”

इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “विपक्ष का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर इस बिल को लाया गया है। मैं सभी को बताना चाहता हूँ कि आपने सुप्रीम के आदेश का अपना मनपसंद हिस्सा ही पढ़ा है। जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बारे में संसद में बताते हैं तो पूरे हिस्से की जानकारी होनी चाहिए। उसका दूसरा हिस्सा भी पारदर्शिता के साथ सदन में रखना चाहिए।”

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का जिक्र करते हुए कहा, “सुप्रीम कोर्ट के आदेश में पैरा 86, पैरा 95 और विशेषकर पैरा 164 की ओर वह ध्यान दिलाना चाहते हैं। इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि संसद को 239 एए के तहत दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र के किसी भी विषय पर कानून बनाने का अधिकार है। यह अदालत ने अपने जजमेंट में पूरी तरह स्पष्ट कर दिया है।”

गृहमंत्री ने आगे कहा, “देश की आजादी के बाद पट्टाभि सीतारमैया समिति ने दिल्ली को राज्य स्तर का दर्जा देने की सिफारिश की थी। हालाँकि, जब सिफारिश संविधान सभा के सामने आई, तब पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल, राजाजी, राजेंद्र प्रसाद, भीमराव आंबेडकर जैसे नेताओं ने इसका विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि ये उचित नहीं होगा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए। मैं यह सब इसलिए बता रहा हूँ, ताकि आप लोगों को पता होगा कि आप किसकी सिफारिश का विरोध कर रहे हैं।”