राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार से बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने एक बार फिर डायरी बम फोड़ा है। उदयपुरवाटी विधानसभा सीट से विधायक राजेंद्र सिंह ने बुधवार सुबह एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने जमकर गहलोत सरकार को आड़े हाथ लिया। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने लाल डायरी का भी जिक्र किया। गुढ़ा ने लाल डायरी के तीन पन्ने पढ़कर सुनाए। गुढ़ा ने सीएम अशोक गहलोत के ओएसडी सौभाग सिंह और पर्यटन विकास निगम के चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ के बीच हुई बातचीत का जिक्र किया। गुढ़ा ने कहा कि डायरी में राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (RCA) वाला हिसाब करने की बात कही गई है। बता दें कि सीएम गहलोत के बेटे वैभव आरसीए के अध्यक्ष हैं।
सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, जयपुर – 02अगस्त :
राजस्थान के सियासी मैदान में लाल डायरी चर्चा में बनीं हुई है। बर्खास्त मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा लगातार सीएम गहलोत और सरकार के मंत्रियों पर लगातार हमलावर हैं। आज गुढ़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लाल डायरी पर बड़ा खुलासा करते हुए तीन पेज रिलीज कर दिए। गुढ़ा ने दावा किया है कि इस डायरी में मुख्यमंत्री के करीबी धर्मेंद्र राठौड़ की हैंडराइटिंग है। डायरी में राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के लेनदेन की बातें कोडवर्ड में हैं और वैभव गहलोत सहित मुख्यमंत्री के सचिव को लेकर भी बातें लिखी गई हैं।
गुढ़ा ने जो पन्ने जारी किए, उनमें तीन पॉइंट लिखे हैं :
- वैभव जी और मेरी दोनों की RCA चुनाव खर्चे को लेकर चर्चा हुई कि भवानी सामोता किस तरह तय करके भी लोगों के पैसे नहीं दे रहा है….
- घर पर राजीव खन्ना और भवानी सामोता आए, आरसीए चुनाव का हिसाब किया…भवानी सामोता ने ज्यादातर लोगों से जो वादा किया है वो पूरा नहीं किया है…मैंने कहा यह ठीक नहीं है… आप इसे पूरा करो तो भवानी सामोता ने कहा कि मैं सीपी साहब की जानकारी में डालता हूं…फिर आपको 31 जनवरी तक बताता हूं…
- सीएम के पीएस को भी फोन किया और कहा कि आरसीए वाला हिसाब कर दो मुझे जरूरत है…उन्होंने कहा कि सीएम से बात कर बताऊंगा।
गुढ़ा ने कहा- रंधावा ने माफी का दबाव बनाया
- मुझे सरकार जेल में डाल देगी तो कोई और इस पर जवाब देगा। उन्होंने दावा किया कि इसमें धमेंद्र राठौड़ की हैंडराइटिंग है, मैं इस डायरी के पन्नों पर लगातार खुलासे करता रहूंगा, जेल गया तो मेरा विश्वस्त व्यक्ति आप तक इन पन्नों को पहुंचाता रहेगा।
- आज दिखाए गए पेजों पर आरसीए के करप्शन और लेनदेन का साफ उल्लेख है। मैं सरकार को नहीं बल्कि सरकार मुझे ब्लैकमेल कर रही है और रंधावा ने मुझ पर माफी मांगने के लिए दबाव भी बनाया था। पूर्व मंत्री ने कहा कि मैं इस डायरी को विधानसभा में टेबल पर रखना चाह रहा था, जिससे सारे तथ्य आधिकारिक रूप से सामने आ जाएं।
- कांग्रेस है कहां, यहां तो गहलोत कांग्रेस है। सीएम की एक जेब में प्रभारी रंधावा हैं तो एक जेब में डोटासरा हैं, हाईकमान भी कमजोर है। अगर मुझे सरकार ने जेल में डाला तो सरकार के समाचार समाप्त हो जाएंगे, लोग कहेंगे वन्स अपॉन ए टाइम, देयर वॉज ए अशोक गहलोत (एक समय था जब अशोक गहलोत थे)।
- मुख्यमंत्री मेरे बेटे के जन्मदिन पर मेरे घर आए थे, तब 50–60 हजार लोगों के बीच बोल कर आए थे कि गुढ़ा नहीं होता, तो मैं मुख्यमंत्री नहीं होता, अचानक गुढ़ा में क्या खराबी हो गई? मैं रंधावा से पूछना चाहता हूं कि बहन-बेटियों की सुरक्षा की बात करके क्या गलत किया? किस बात की माफी मांगू मैं?
मैं भी रणनीति के तहत डायरी के पन्ने जारी करूंगा
गुढ़ा ने कहा- मेरे खिलाफ रोजाना नए मुकदमे हो रहे हैं। एक मुकदमा आज हो रहा है, एक मुकदमा 2 दिन बाद हो रहा है। जिस तरह से मेरे खिलाफ यह केस कर रहे हैं, मैं भी रणनीति के तहत स्टेप बाय स्टेप डायरी के पन्ने जारी करूंगा।
सरकार को ब्लैकमेल करने के सवाल पर गुढ़ा ने कहा- अगर 15 साल से मैं इनको ब्लैकमेल कर रहा हूं तो मैंने उनसे क्या-क्या ले लिया, यह बताते क्यों नहीं?
गुढा ने 24 जुलाई को सदन में लहराई थी डायरी
राजेंद्र गुढ़ा ने मंत्री पद से बर्खास्त होने के बाद सदन में लाल डायरी लहराकर हलचल मचा दी थी। 24 जुलाई को गुढ़ा लाल डायरी लेकर स्पीकर के सामने चले गए थे। संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल की टेबल पर जाकर उनका माइक नीचे कर दिया था। इस दौरान कांग्रेस विधायकों से उनकी धक्का-मुक्की हुई थी। इस घटना पर गुढ़ा को पूरे सेशन के लिए सदन से सस्पेंड कर दिया गया था। गुढ़ा के साथ बीजेपी विधायक मदन दिलावर को भी सस्पेंड किया गया था।
इसके बाद 27 जुलाई को सीकर में हुई सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस डायरी पर चुटकी लेते हुए कहा था कि ये लाल डायरी चुनावों में कांग्रेस का डिब्बा गोल कर देगी।
राजस्थान की राजनीति में इन दिनों दो शब्द सबसे ज्यादा चर्चा में हैं…राजेंद्र गुढ़ा और उनकी लाल डायरी। मंत्री पद से बर्खास्त होने के बाद गुढ़ा ने डायरी को विधानसभा में टेबल करना चाहा, लेकिन ये हो नहीं हो पाया।