- केंद्र सरकार आय सीमा को 8 लाख से बढ़ाकर कम से कम 10 लाख करे – दीपेन्द्र हुड्डा
- दुर्भाग्य की बात है कि हरियाणा सरकार ने इसे 8 लाख से घटा कर 6 लाख कर दिया– दीपेन्द्र हुड्डा
- हरियाणा में कांग्रेस सरकार आने पर OBC क्रीमी लेयर आय सीमा 6 लाख से बढ़ाकर 10 लाख करेंगे – दीपेन्द्र हुड्डा
- दीपेन्द्र हुड्डा ने पिछड़ा वर्ग के लिए सकल वार्षिक आय की गणना में वेतन और कृषि आय को बाहर करने की मांग की
डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ – 25 जुलाई :
सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने केंद्र सरकार द्वारा क्रीमीलेयर की मौजूदा परिभाषा एवं आय सीमा को हरियाणा में भी लागू किए जाने के संबंध में आज एकबार फिर संसद में चर्चा करने का नोटिस दिया। इसे शून्यकाल में चर्चा के लिए 6 नंबर पर सूचीबद्ध किया गया। अपने नोटिस में उन्होंने कहा कि हरियाणा में मौजूदा BJP-JJP सरकार ने नॉन-क्रीमीलेयर आय सीमा को केंद्र द्वारा निर्धारित ₹8 लाख से भी घटाकर ₹6 लाख रुपये कर दिया है। जिसमें वेतन और कृषि आय समेत सभी स्रोतों से प्राप्त आय को सकल वार्षिक आय की गणना में जोड़ा जा रहा है। यह विसंगति OBC वर्ग को आरक्षण देने की संविधान की मूल भावना के ख़िलाफ़ है और केंद्र द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का खुला उल्लंघन है। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि केंद्र सरकार इस आय सीमा को 8 लाख से बढ़ाकर कम से कम 10 लाख करे, साथ ही प्रदेश सरकार को निर्देश दे कि आय सीमा को 8 लाख से घटाकर 6 लाख कर के पिछड़ा वर्ग के साथ जो मज़ाक किया जा रहा है उसे तुरंत रोका जाए। उन्होंने केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्री से मांग करी कि केंद्र सरकार द्वारा क्रीमी लेयर की मौजूदा परिभाषा एवं आय सीमा को हरियाणा में भी लागू किया जाए, ताकि एकरूपता बनी रहे। दीपेन्द्र हुड्डा ने यह भी कहा कि हरियाणा में कांग्रेस सरकार आने पर इस विसंगति को दूर करके OBC क्रीमी लेयर की आय सीमा को 6 लाख से बढ़ाकर 10 लाख करेंगे।
दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि 6 लाख रुपये से अधिक वार्षिक आय होने पर हरियाणा में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण का फायदा नहीं मिलता, जो पिछड़ा वर्ग के साथ घोर अन्याय है। हरियाणा सरकार निरंतर पिछड़ा वर्ग के खिलाफ अन्यायपूर्ण और असंवैधानिक नीतियां बना रही है। जिससे लोगों में भारी रोष है। उन्होंने हरियाणा की मौजूदा सरकार से सवाल किया कि अपनी ही पार्टी की केंद्र सरकार की बात भी न मान कर पिछड़ा वर्ग से कौन सी दुश्मनी निकाल रही है।
उन्होंने अपने नोटिस में बताया कि केंद्र सरकार द्वारा 14 अक्टूबर, 2004 को जारी स्पष्टीकरण के अनुसार क्रीमी लेयर को तय करते समय वेतन और कृषि से हुई आय को नहीं जोड़ा जाता। क्रीमी लेयर की मौजूदा परिभाषा वही है जो कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ने 8 सितंबर 1993 के नोटिफिकेशन और 14 अक्टूबर 2004 के स्पष्टीकरण में जारी किया था। केंद्र सरकार का कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग हर तीन साल में आय सीमा को लेकर बदलाव करता है। जैसे 8 सितंबर 1993 को यह 1 लाख रुपए सालाना थी और सितंबर 2017 तक यह बढ़कर 8 लाख रुपये पहुंची। लेकिन अब 6 वर्ष बीत गए आय सीमा की समीक्षा नहीं हुई। वहीं, हरियाणा की बीजेपी-जेजेपी सरकार द्वारा 17 नवंबर 2021 को ओबीसी क्रीमीलेयर से संबंधित अधिसूचना में क्रीमीलेयर की परिभाषा को आर्थिक आधार पर 6 लाख तय कर दिया गया, जो पिछडा वर्ग के आम लोगों के हितों पर सीधा कुठाराघात है।