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साल 2012 में बहुचर्चित एयर होस्टेस गीतिका शर्मा सुसाइड केस (Air Hostess Geetika Sharma Suicide Case) में आज रॉउज एवन्यू कोर्ट ने फैसला सुनाया। कोर्ट ने इस मामले के मुख्य आरोपी हरियाणा के सिरसा से पूर्व विधायक गोपाल कांडा और मैनेजर अरुणा चड्ढा को बरी कर दिया है

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राजवीरेंद्र वसिश्ठ, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/नयी दिल्ली – 25 जुलाई :

साल 2012 में बहुचर्चित एयर होस्टेस गीतिका शर्मा सुसाइड केस (Air Hostess Geetika Sharma Suicide Case) में आज रॉउज एवन्यू कोर्ट ने फैसला सुनाया। कोर्ट ने इस मामले के मुख्य आरोपी हरियाणा के सिरसा से पूर्व विधायक गोपाल कांडा और  मैनेजर अरुणा चड्ढा को बरी कर दिया है। इस मामले में रॉउज एवन्यू कोर्ट लगभग 11 साल बाद फैसला सुनाया है।

11 साल के लंबे वक्त के बाद आए इस फैसले पर गोपाल कांडा ने कहा है, “मेरे खिलाफ एक भी सबूत या कुछ नहीं था। ये सिर्फ और सिर्फ बनाया गया था। यह किस सोच से और क्यों बनाया गया था, ये कोर्ट ने आज फैसला दे दिया है। ये सब कुछ आपके सामने है।” वहीं, कांडा के वकील आरएस मलिक ने भी कहा है कि उनके क्लाइंट के खिलाफ कोई सबूत नहीं था। इस मामले में गोपाल कांडा के साथ ही उनकी MDLR एयरलाइंस कंपनी की मैनेजर रहीं अरूणा चड्‌ढा को भी बरी कर दिया गया।

असल में गीतिका सुसाइड केस कांडा के सियासी रास्ते की सबसे बड़ी मुश्किल थी। इसी मामले की वजह से न केवल उनकी मंत्री की कुर्सी गई बल्कि दूसरी बार मंत्री बनने की मंशा भी पूरी न हो सकी। यही नहीं, कुछ दिन पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सिरसा आए तो कांडा को मंच पर जगह भी नहीं मिली। हालांकि कोर्ट के फैसले के बाद कांडा का पॉलिटिकल करियर फिर रफ्तार पकड़ सकता है। खासकर नॉन जाट की राजनीति करने वाली BJP के लिए वह बड़ा रोल प्ले कर सकते हैं। कांडा इस समय अपनी पार्टी हरियाणा लोकहित पार्टी (हलोपा) के टिकट पर एमएलए हैं।

1. सुसाइड केस के बाद इस्तीफा देना पड़ा
गीतिका ने 23 साल की उम्र में 5 अगस्त, 2012 को दिल्ली के अशोक विहार स्थित अपने ही फ्लैट में सुसाइड कर लिया था। उस वक्त हरियाणा में कांग्रेस सरकार थी। भूपेंद्र हुड्‌डा CM थे। कांडा ने निर्दलीय विधायकों के साथ मिलकर कांग्रेस सरकार को समर्थन दे रखा था। बदले में उन्हें गृह राज्यमंत्री का पद मिला। मगर, गीतिका सुसाइड केस में नाम आने के बाद कांडा को मंत्री पद छोड़ना पड़ा।। फिर 18 महीने तिहाड़ जेल में बिताने पड़े।

2. मंत्री बनते-बनते रह गए
2019 में गोपाल कांडा दूसरी बार अपनी पार्टी हलोपा के टिकट पर सिरसा से विधायक बने। चुनाव नतीजों के बाद उन्होंने हरियाणा में मनोहर लाल की अगुवाई वाली BJP-JJP सरकार का समर्थन किया। सिरसा से भाजपा सांसद सुनीता दुग्गल और रानियां के निर्दलीय MLA रणजीत चौटाला के साथ कांडा चार्टेड प्लेन से दिल्ली गए। उनकी इच्छा फिर से मंत्री बनने की थी। हालांकि तब BJP की वरिष्ठ नेता और मध्यप्रदेश की पूर्व CM उमा भारती ने उनके खिलाफ मुखर होकर आवाज उठाई। उमा भारती ने कांडा का समर्थन लेने पर अपनी पार्टी पर ही निशाने साधने शुरू कर दिए। उन हालात में मंत्री पद तो दूर, BJP ने उन्हें सरकार में शामिल तक नहीं किया। कांडा भी सिर्फ बाहर से समर्थन करते रहे।

3. शाह की रैली का पूरा बंदोबस्त किया लेकिन मंच पर नो एंट्री
इसी साल जून महीने में लोकसभा चुनाव को लेकर सिरसा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की रैली हुई। इस रैली का सारा बंदोबस्त गोपाल कांडा और उनके भाई व BJP नेता गोविंद कांडा ने किया। शाह सिरसा पहुंचे तो गोपाल कांडा उनके साथ दिखे। उनकी गुरुद्वारा साहिब के अंदर शाह के बगल में बैठे की तस्वीर भी सामने आई। हालांकि रैली की स्टेज से कांडा गायब रहे। स्टेज पर गोपाल के भाई गोविंद कांडा और बेटे धवल कांडा को जगह दी गई। गोपाल कांडा मंच पर न जा सके तो रैली से वापस आ गए।

सिरसा के गुरुद्वारे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठे गोपाल कांडा(बाएं)।
सिरसा के गुरुद्वारे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठे गोपाल कांडा(बाएं)।

गोपाल कांडा के बरी होते ही उनके मंत्री बनने को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है। अभी गोपाल कांडा BJP-JJP सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे हैं। हालांकि NDA गठबंधन में कांडा की पार्टी- हलोपा- शामिल है। चर्चा है कि अगर अगले साल विधानसभा चुनाव से पहले हरियाणा कैबिनेट में विस्तार या फेरबदल हुआ तो कांडा को मौका मिल सकता है। भाजपा अगले चुनाव में कांडा की हलोपा से गठबंधन कर सकती है। इसकी बड़ी वजह सिरसा है, जहां कांडा BJP को मजबूती दिला सकते हैं।

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