डेमोक्रेटिक फ्रंट, पंचकुला – 19 जुलाई :
- सरकार ने जनता के जले पर छिड़का नमक : चन्द्रमोहन
हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री चन्द्रमोहन ने पानी के बिल में बढ़ोतरी को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता पहले ही महंगाई का दंश झेल रही है। ऐसे में पानी के बिलों में बढ़ोतरी करके गठबंधन सरकार ने जनता के जले पर नमक छिड़कने का काम किया है। प्रदेश सरकार जनता की जेब काटने का कोई मौका नहीं चूकती।
हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा पानी के बिलों में 25 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी पर पूर्व उपमुख्यमंत्री चन्द्रमोहन ने कहा कि प्रदेश की जनता पहले ही महंगाई का दंश झेल रही है। ऐसे में पानी के बिलों में बढ़ोतरी करके गठबंधन सरकार ने जनता के जले पर नमक छिड़कने का काम किया है।
चन्द्रमोहन ने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार जनता की जेब काटने का कोई मौका नहीं चूकती। आज सबसे ज्यादा फोकस बाढ़ नियंत्रण और राहत कार्यों पर होना चाहिए। ज्यादातर जिले पूरी तरह बाढ़ के पानी में डूबे हुए हैं। जलभराव से लोगों को खाने-पीने के सामान से लेकर बिजली-पानी और मवेशियों के चारे तक की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है।
‘लाखों एकड़ फसल हो चुकी है बर्बाद’
भाई चन्द्रमोहन ने कहा कि लाखों एकड़ खेती पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है। बाढ़ ग्रस्त इलाकों में बीमारियां फैलनी शुरू हो गई है, लेकिन रोकथाम के लिए भी कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई। पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार को जल निकासी के लिए ज्यादा से ज्यादा संसाधन जुटाने चाहिए।
पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीणों को जनरेटर और डीजल उपलब्ध कराया जाए। साथ ही किसानों को 40 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा दिया जाए। मकानों, दुकानदारों और कारोबारियों को हुए नुकसान का भी उचित आकलन करके सभी को मुआवजा देने की प्रक्रिया जल्द शुरू होनी चाहिए
पंचकूला व हरियाणा के बाक़ी शहर में सेक्टरों व घरों के पानी के एचएसवीपी ने 20 प्रतिशत रेट और बढ़ा दिए हैं। नए रेट के हिसाब से ही सेक्टरवासियों को पानी के बिल दिए जा रहे हैं।
माह का औसत पानी का बिल एक हजार रुपये आता है। इस हिसाब से प्रदेश भर से एचएसवीपी पेयजल के नाम पर 50 करोड़ रुपये वसूलता है। चूंकि अब पानी के रेट में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी है तो अब पेयजल के लिए सेक्टरवासियों को 10 करोड़ रुपये अतिरिक्त चुकाने होंगे।
पानी के रेट में बढ़ोतरी पूरी तरह से गलत है। जनस्वास्थ्य विभाग व एचएसवीपी के पानी के रेट में काफी अंतर है। एचएसवीपी ने इन्हें कम करने के बजाय और बढ़ोतरी कर दी।