सुधा दीपक की काव्य पुस्तक ‘हीरथ’ का विमोचन हुआ

‘हीरथ’ की कविताओं पर बनी फिल्म ‘द सहगल हाउस’ 15 जुलाई को दिखाई जाएगी

चंडीगढ़, 13 जुलाई, 2023: 

द नैरेटर्स परफॉर्मिंग आर्ट्स सोसाइटी के एक संगठन, कलाक्षेत्र द्वारा चंडीगढ़ के नोवोटेल होटल में आयोजित एक प्रेस वार्ता में, सुधा दीपक द्वारा लिखित अंग्रेजी कविताओं की किताब ‘हीरथ’ का अनावरण किया गया। पुस्तक विमोचन के अवसर पर कवयित्री सुधा दीपक और द नैरेटर्स की संस्थापक व निदेशक निशा लूथरा ने किताब के बारे में प्रेस से चर्चा भी की।  प्रेस वार्ता में घोषणा की गई कि चुनिंदा दर्शकों की मौजूदगी में, 15 जुलाई को शाम 6 बजे टैगोर थिएटर में, निशा लूथरा द्वारा निर्देशित और किताब की कविताओं पर आधारित फिल्म ‘द सहगल हाउस’ दिखाई जाएगी।

इस बीच, कवयित्री ने अपने काव्य संग्रह ‘हीरथ’ का विवरण साझा करते हुए कहा कि ‘हीरथ’ का अर्थ है किसी चीज़ के लिए अतृप्त और गहरी लालसा। किताब की सभी कविताएं शीर्षक के अनुरूप हैं और इनका बहुत गहरा अर्थ है, जो इन्हें पढ़ने पर समझ में आ जाएगा। अभिषेक पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक में 61 कविताएं हैं जो प्रसंगात्मक हैं और कवयित्री के जीवन के विभिन्न चरणों में हुए अनुभवों को बयां करती हैं। प्रत्येक कविता के साथ अनुभव सोम द्वारा बनाए गए चित्र हैं। किताब का आवरण भी उन्होंने ही डिजाइन किया है।

कवयित्री सुधा दीपक मूल रूप से दिल्ली की हैं और एक गृहिणी हैं। वह योग और संगीत में प्रशिक्षित हैं। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा, “वर्षों पहले, मेरी करीबी दोस्त मीनाक्षी वर्मा ने मुझे अपने विचारों को शब्दों में ढालने के लिए प्रेरित किया था। हालांकि, मैं आलस के चलते टालमटोल करती रही, जिससे कविताएं लिखने में देरी हुई। मुझे ख़ुशी है कि डॉ. विमल कालिया द्वारा लिखित दो पुस्तकों की समीक्षा लिखने के दौरान मुझे अपनी कविताएं लिखने के लिए आवश्यक प्रोत्साहन मिला। फिर मैंने अपनी कविताएं संकलित कीं। कविताओं की सादगी निशा लूथरा को बड़ी पसंद आई और उन्होंने इन्हें प्रकाशित करने का बीड़ा उठाया। उन्होंने 8 कविताएं चुनीं और ‘हीरथ’ शीर्षक की मूल भावना- किसी के घर के लिए गहरी लालसा, के आधार पर पात्रों और पटकथा का तानाबाना बुना।

निशा लूथरा ने कहा, “व्यक्तिगत बातचीत के दौरान मुझे सुधा की कविताएं बेहद अच्छी लगीं। उनके काव्य संग्रह के सार ने मेरे मन पर गहरा प्रभाव डाला। मैंने उन्हें प्रकाशित करने का फैसला किया और कुछ चुनिंदा कविताओं के इर्द-गिर्द एक कहानी ‘द सहगल हाउस’ लिखी। यह एक ऐसी कहानी है जो बुनियादी मानवीय रिश्तों के साथ जुड़ी मानवीय भावनाओं के इर्द-गिर्द घूमती है। फिल्म परिवार के किरदारों के साथ-साथ विभिन्न भावनात्मक प्रसंगों के इर्द-गिर्द घूमती है। प्रत्येक काव्य पाठ के साथ, पारिवारिक बंधन की कई परतें दर्शकों के सामने उभरती हैं और उनके मन में अगले अध्याय के बारे में आस जगाती हैं।

“मेरे लिए यह सम्मान की बात है कि निशा ने मेरी कविताओं को कहानी के लिए चुना। ऐसा पहली बार है कि निशा ने पटकथा लिखने के लिए कविताओं को आधार बनाया। उन्होंने कलाकारों के साथ शूटिंग और पोस्ट-प्रोडक्शन के साथ इन्हें एक फिल्म में बदल दिया। अधिकांश कविताएं हमारे जीवन के विभिन्न चरणों में और अलग-अलग स्थितियों में, विभिन्न अहसासों के बारे में हैं। कुछ प्रेरक भी हैं, क्योंकि मूल रूप से, मैं एक मोटिवेशनल राइटर हूं। कुछ कविताएं दिल व दिमाग के बीच निरंतर संघर्ष को दर्शाती हैं। किताब तैयार होने में एक साल लग गया, क्योंकि मैं धीरे-धीरे लिखती हूं और मैं तभी कलम उठाती हूं जब अंदर से कुछ महसूस होता है। इन सबमें ‘आंसू’ कविता मेरे दिल के सबसे करीब है, ” सुधा ने कहा।

निशा ने प्रेस वार्ता में कहा कि फिल्म में दिव्या शर्मा, दिवजोत गुलाटी, अनुराग वर्मा, मुग्धा अरोड़ा, शिवानी कश्यप, सुरजीत सिंह और पुनीत ने अभिनय किया है। कृष्णा ने इसका संपादन किया है। एसएस सिद्धू, अनुज बिरवान, राजन के बथेजा, और नीना भटनागर क्रमशः फोटोग्राफी निदेशक (डीओपी), सहायक छायाकार, सहायक निदेशक और मेकअप कलाकार हैं। फिल्म का संगीत गगनीत सिंह और हितेश गिरि ने दिया है। द नैरेटर्स ने अपनी बात कहने के लिए हमेशा ही कथा माध्यम को चुना है। अपनी दो अन्य फिल्मों (‘बृंदा’ और ‘आउटसाइड द सेफहाउस’) की भांति, यह फिल्म भी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में भेजी जाएगी। शनिवार, 15 जुलाई को कला प्रेमियों को फिल्म की विशेष स्क्रीनिंग का इंतजार रहेगा, जिसके बाद काव्य पुस्तक का विशेष लॉन्च होगा।