सूरतगढ़ की वीआईपी कॉलोनियायों के खाली भूखंडों से बुरा हाल, ऐसे में रहते हैं बड़े लोग 
नगर पालिका अधिशासी अधिकारी से 10 जुलाई को मिलकर पत्र दिया गया है। इसके बाद एक पत्र आयकर विभाग के एंटी विजन को दिया जाएगा कि पता लगाएं कि यह किन लोगों के भूखंड जिन्होंने खरीदे तो है लेकिन निर्माण नहीं कर रहे। आठ दस सालों में
करणीदान सिंह राजपूत, डेमोक्रेटिक फ्रंट, सूरतगढ़ – 10 जुलाई :
वीआईपी कॉलोनिया में अधूरे छोड़े हुए बिना बनाए हुए खुले भूखंड जिनमें भयानक गंदगी गंदा पानी भरा हुआ है, सड़ांध मार रहा है। झाड़ियां कीकर आदि उगे हुए हैं जो अन्य निवासियों को परेशानियां पैदा कर रहे। आबोहवा खराब कर रहे हैं।
* निर्माण कार्य कराने के लिए एक अवधि निर्धारित होती है जिसमें निर्माण करवाना जरूरी होता है लेकिन बड़ी कॉलोनियों में निर्माण नहीं करवाया गया जो जरूरी था। बसंत विहार कॉलोनी आनंद विहार कॉलोनी जो आपस में मिली हुई है वहां पर काफी भूखंड खाली चारदीवारी बने हुए या खाली पड़े हैं जिनमें चारदीवारी भी नहीं है उनमें कचरा पड़ा है गंदा पानी पड़ा है। एक बार आवाज उठी थी कि जिन लोगों ने मकान नहीं बनाए वे बना लें ताकि दूसरे के मकानों को नुकसान नहीं हो दूसरे मकानों की नींवे खराब नहीं हो सीलन नहीं आए । लेकिन रहने वाले वीआईपी और जिनके भूखंड खाली पड़े हैं वह भी वीआईपी यानि कि बड़े लोग।
इस कॉलोनी के पास में बहता हुआ एक नाला टूटने के कारण उस इलाके के अंदर जब गया तो देखा कि दोनों कॉलोनियों के अंदर हालात खराब है। नाला बंद रहता तो बाजार के अलावा इन
कॉलोनियों में भी पानी भरता। नाला ठीक बहाव करवा दिया गया।
दोनों कॉलोनियों में अनेक मकान भूखंड खाली पड़े हैं जिनकी गंदगी से केवल कॉलोनियों की आबोहवा ही खराब नहीं होती बल्कि शहर की आबोहवा भी खराब होती है।
कॉलोनियों नगर पालिका क्षेत्र में आती है।
इनके अलावा भी बहुत से क्षेत्र में मकान खाली पड़े हैं जो सूरतगढ़ के वातावरण को प्रदूषित कर रहे हैं।
👍 नगर पालिका प्रशासन को इस पर की कार्रवाई करनी चाहिए और जो लोग जानबूझकर मकान नहीं बना रहे हैं।उनके भूखंड के पट्टे निरस्त किए जाने चाहिए। नगर पालिका सक्षम है। नगर पालिका से अनुरोध किया गया है कि वे एक सार्वजनिक सूचना जारी करें। हालांकि इसकी कोई आवश्यकता नहीं है। कृषि भूमि की कॉलोनियों में निर्माण कार्य 10 साल में हो जाना चाहिए था लेकिन 15 साल 17 साल बीतने के बाद भी कॉलोनियों में निर्माण नहीं हो पाया। इन भूखंडों के मालिक कौन है? उन्होंने भूखंड क्यों खरीदे अगर उन्हें यहां रहना नहीं था।
* नगर पालिका अधिशासी अधिकारी से 10 जुलाई को मिलकर पत्र दिया गया है। इसके बाद एक पत्र आयकर विभाग के एंटी विजन को दिया जाएगा कि पता लगाएं कि यह किन लोगों के भूखंड जिन्होंने खरीदे तो है लेकिन निर्माण नहीं कर रहे। आठ दस सालों में
कॉलोनियां पूरे रूप में विकसित हो जानी चाहिए थी। आश्चर्य है कि वीआईपी इतने झाड़ झंखाड़ और गंदगी से घिरे रहते हैं और कहीं शिकायत नहीं करते।