गांव सम्भालवा कर रहा है एक उदाहरण प्रस्तुत
- हरियाणा – हिमाचल सीमा पर बसे इस गांव के किसान डैम में वर्षा का पानी संग्रहित कर उसे खेती के काम में ला रहे है
नन्द सिंगला, डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, रायपुररानी /एलियासपुर – 23 जून :
भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है। इसलिए जल संरक्षण और इसके पुन: प्रयोग पर विशेष ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है। इस ओर सरकार द्वारा भी विशेष कदम उठाये गये है और वर्षा के पानी का संरक्षण और संचयन के लिए कैच दा रेन अभियान चलाया जा रहा है।
बारिश के पानी का संग्रहण कर उपमण्ड़ल नारायणगढ़ का गांव सम्भालवा एक उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। हरियाणा-हिमाचल सीमा पर बसे इस गांव के किसान डैम में वर्षा का पानी संग्रहित कर उसे खेती के काम में ला रहे है।
इस गांव के पास वर्षो पूर्व बने डैम से जहां वर्षा का पानी संचय किया जा रहा है वहीं पर इस पानी को सिंचाई के काम भी लाया जा रहा है।
गांव के किसान एवं सरपंच प्रतिनिधी सतपाल ने बताया कि गांव के साथ हरियाणा-हिमाचल सीमा पर वर्षाे पूर्व कण्ड़ी प्रोजैक्ट के द्वारा यह डैम बनाया गया था। जिसमें हिमाचल की पहाड़ी क्षेत्रों से आने वाले पानी का संग्रहण कर खेती के काम में लाया जाता है। संग्रहण किये गये इस पानी को साल में सात से आठ मास के लगभग दो गांवों सम्भालवा व उज्जल के किसान सिंचाई के काम में लाते है। उन्होंने कहा कि हालांकि गांव में किसानों ने खेतों में टयूबैल भी लगा रखे है और उससे भी सिंचाई का कार्य कर रहे है।
किसान महेन्द्र सिंह ने बताया कि डैम से पाईप के माध्यम से पानी को खेतों तक पहुंचाया जाता है। इस पानी से धान, गेहूं, मक्का, चारा आदि फसल तैयार की जाती है।
वन रेंज अधिकारी मोहन लाल ने बताया कि लगभग 4-5 साल पहले इस डैम की रिपेयर करवाई गई थी, ताकि इसके पानी का रिसाव न हो और बारिश के पानी का इसमें संरक्षण और जल संचयन किया जाए वह अधिक समय तक किसानों की खेती में काम आ सके। बता दें कि भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय द्वारा जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन को बढ़ावा देने के लिए भी कदम उठाए गए है। जल शक्ति अभियान के अन्तर्गत-कैच द रेन अभियान चलाया जा रहा है। हरियाणा प्रदेश में भी अमृत सरोवरों के माध्यम से पानी का संचयन और संरक्षण किया जा रहा है।