सूरतगढ़ सीट : न जाने चुनाव में कैसे भूल जाते हैं शरणपालसिंह मान को

डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, करणीदानसिंह राजपूत, सूरतगढ़ – 23    जून   :

भाजपा ने अशोक नागपाल राजेंद्रसिंह भादु रामप्रताप कासनिया को प्रत्याशी चुना और ये विधायक बन गए। आखिर किस नजरिये से चुने जाते हैं प्रत्याशी? जब जब चुनाव का मौका आया और प्रत्याशी को चुना गया तब दिखाई दे रहे चेहरे को हाल पूछ आगे बढ जाते रहे। 

पार्टी में नामी चेहरा छूटता रहा। घुमा फिरा कर लिखने के बजाय सीधे लिख देना उचित है कि वह चेहरा है’ सरदार शरणपालसिंह मान’। आश्चर्य हुआ नाम जानकर। हंगामा मचाना और दिखावा करना जिसकी आदत नहीं। 

आज की नेतागिरी के ये लाभ उठाने वाले दोनों तरीके इस व्यक्ति में खोजें तब भी नहीं मिलेंगे। लगभग 25 साल से तो यह नामी चेहरा संघ और भाजपा में कर्तव्य में प्रथम नहीं आया तो दूसरे नंबर पर भी नहीं खिसका। 

आम लोगों से जुड़ा मुद्दा पंजाब से आने वाला रासायनिक गंदा पानी का खूब उठाया। हर मोहल्ले में लगाई थी आवाज। भाजपा के हर काम में आगे। कांग्रेस शासन के विरुद्ध आक्रोश रैली तो ताजा घटनाक्रम रहा जिसके संचालक रहे शरणपालसिंह मान।

संघ में तो पचीसों सालों से जान लुटाने वाले। 

एक बार बात टिकट की बहुत आगे तक ऊंचे तक चली मगर नाम तय नहीं हो पाया। स्वर्ग सिधार गये सोहनलाल अग्रवाल जो सोहनलाल बिस्कुट वाले के नाम से अधिक जाने जाते थे वे शरणपालसिंह मान को विधायक देखने की प्रबल ईच्छा रखते थे। उन्होंने कसर तो नहीं छोड़ी। यहां मान लें कि भाग्य ने साथ नहीं दिया या मान की कम बोलने की आदत रही या पार्टी में ही कोई बड़ी चूक हो गई। 

अमूमन राजनीतिक लोग मान लेते हैं कि सिख को सीट श्रीकरणपुर और अरोड़ा को श्रीगंगानगर तय रहती है। यह कोई लोहे पर लकीर नहीं है। लोगों के चुप रहने से चल रहा है सब। सूरतगढ़ से जाट बिश्नोई अरोड़ा चुनाव में खड़े किए जाते रहे हैं जीतते भी रहे हैं। पिछले तीन चुनाव तो जाट विधायक ही चुने गए। पार्टियों ने टिकट दिए। पार्टी सरदार को टिकट दे सकती है तो सरदार भी विधायक बन सकता है। परिवर्तन भी एक प्रक्रिया है। शायद पार पड़ जाए। 2023 का चुनाव सिर पर है।

सन् 1967 में जन्मे शरणपालसिंह मान इस समय 56 वर्ष हैं और पूर्ण सक्रिय हैं। ०0०