Sunday, December 22

थोड़ी मात्रा में नशे सहित पकड़े गए नशा पीड़ितों को इलाज और पुनर्वास के लिए नशा मुक्ति केन्द्रों में भेजा जायेगा : डाक्टर बलबीर सिंह

नशा तस्करों के साथ सख़्ती से निपटा जायेगा : स्वास्थ्य मंत्री

मुख्यमंत्री भगवंत मान की सोच अनुसार पंजाब नशों के दुरुपयोग को रोकने के लिए बनेगा मिसाल

स्वास्थ्य विभाग ने राज्य में मानसिक स्वास्थ्य और इस सम्बन्धी दखलअन्दाज़ी के बारे माहिरों की मीटिंग करवाई

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ (राकेश शाह ) : हर नशा पीड़ित के साथ एक मरीज़ की तरह और हमदर्दी के साथ पेश आने सम्बन्धी मुख्यमंत्री भगवंत मान की वचनबद्धता को आगे चलाते हुये पंजाब के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने आज यहां कहा कि पंजाब सरकार नशों के प्रयोग को अपराध मुक्त करने के लिए नीति लाने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि अपराध मुक्त करने का यह भाव नहीं है कि नशे वैध हो जाएंगे, यह ग़ैर- कानूनी और रोक-अधीन ही रहेंगे। इस नीति का मकसद नशा-ग्रसित या नशीले पदार्थों का प्रयोग करने वाले मरीज़ों – जोकि मामूली मात्रा में नशीले पदार्थों के साथ पकड़े जाएंगे, को जेलों में फेंकने की बजाय इलाज करवाना और पुनर्वास के लिए नशा म्ुक्ति केन्द्रों में भेजना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि नशा तस्करी में शामिल व्यक्तियों के साथ पुलिस की तरफ से सख़्ती से ही निपटा जायेगा।

स्वास्थ्य मंत्री यहाँ, सामाजिक न्याय, अधिकारिता और अल्पसंख्यक, सामाजिक सुरक्षा, महिला एवं बाल विकास मंत्री डॉ. बलजीत कौर के साथ पंजाब स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के द्वारा आयोजित “पंजाब में मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों और दखलअन्दाज़ी संबंधी माहिरों की मीटिंग“ की अध्यक्षता कर रहे थे, जिसमें एमज़ दिल्ली के प्रोफ़ैसर डॉ. अतुल अम्बेकर और पीजीआइ में मनोविज्ञान के प्रोफ़ैसर और प्रमुख डॉ. देबाशीष बासु सहित प्रमुख वक्ताओं ने हिस्सा लिया।

डॉ. बलबीर सिंह ने आगे कहा कि नशों की समस्या ने पंजाब में बड़ी संख्या में आबादी को प्रभावित किया है और नशों का यह कोढ़ राज्य की तरक्की और विकास में बड़ी रुकावट बनते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार मुख्यमंत्री भगवंत मान की सोच अनुसार राज्य में से नशों को जड़ से खोद कर पंजाब को ’रंगला पंजाब’ बनाने के लिए वचनबद्ध है। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार की तरफ से एक नीति घड़ी जा रही है, जिस मुताबिक हालात से निपटने के लिए बहु-आयामी और बहु-अनुशासनात्मक पहुँच को प्राथमिक आधार पर इस्तेमाल किया जायेगा। उन्होंने कहा, “हम नशों की समस्या से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग और सामाजिक सुरक्षा, युवा मामले और शिक्षा समेत सभी विभागों के दरमियान तालमेल के ज़रिये काम करने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसमें रोज़गार उत्पत्ति और कौशल विकास विभाग का सहयोग भी लिया जायेगा, जो नशा छोड़ चुके मरीज़ों को हुनर और नौकरियाँ प्रदान करके उनको समाज की मुख्य धारा में लौटने के लिए मदद करेंगे।

डॉ. बलबीर सिंह ने स्वास्थ्य अधिकारियों को पंजाब की जेलों में मनोरोगी डाक्टरों की सेवाएं लेने के निर्देश दिए और प्राईवेट प्रैक्टीशनरों को सरकारी स्वास्थ्य संस्थाओं के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रेरित किया। डॉ. बलजीत कौर ने इक्ट्ठ को संबोधन करते हुये राज्य में से नशों की बीमारी को जड़ से खोदने के लिए अपने विभाग की तरफ से पूर्ण सहयोग का भरोसा दिया। प्रमुख सचिव स्वास्थ्य विवेक प्रताप सिंह ने स्वास्थ्य मंत्री को सरकार की स्वास्थ्य नीतियों को यथावत लागू करने का भरोसा दिया। सचिव स्वास्थ्य कम ऐमडी ऐनऐचऐम डॉ. अभिनव त्रिखा ने लोगों की मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों में मदद करने के लिए ‘टेली मानस हेल्पलाइन’ के बारे जागरूकता फैलाने की अपील की। इस मौके पर ए. डी. जी. पी जेल अरुण पाल सिंह, विशेष सचिव स्वास्थ्य डॉ. अदीपा कार्तिक, डायरैक्टर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डॉ. आदर्शपाल कौर, डायरैक्टर (ई. एस. आई.) डॉ. सीमा, पीएयू के वाइस चांसलर डॉ. सतबीर सिंह गोसल, प्रोफ़ैसर जी. एम. सी फरीदकोट डाः पिरदत्त बांसल, प्रोफ़ैसर जी. एम. सी. अमृतसर डॉ. नीरू बाला, प्रोफ़ैसर जी. एम. सी. पटियाला डॉ. रजनीश, आर. पिल्लई, डिप्टी डायरैक्टर राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य प्रोग्राम डॉ. दलजीत सिंह और सहायक डायरैक्टर डॉ. सन्दीप सिंह आदि उपस्थित थे।